छायावादी युग किसे कहते हैं? सीबीएसई बोर्ड क्लास 10TH हिंदी निराला | छायावादी के प्रमुख कवि और विशेषताएं

Table of Contents

 

छायावादी युग किसे कहते हैं? सीबीएसई बोर्ड क्लास 10TH हिंदी निराला | छायावादी के प्रमुख कवि और विशेषताएं

 

छायावादी युग की विशेषताएं

 

 आज हम Hindi educational knowledge में  जानकारी छायावादी काल के कवियों (The poet of Hindi ChhayaVadi) और छायावादी की क्या विशेषता है (Importance of chayavadi in Hindi) इस बारे में बताने जा रहे हैं.  छायावाद पर निबंध (Writing in Hindi essay on topic of Hindi chhayawad kavi Nirala, Mahadevi Verma) लिखने के लिए यह सामग्री बहुत सरल और सहज ढंग से समझाई गई है। (Study material to simply presentation in Hindi language about knowledge that Kavita ki visheshta and the poet of Kavi छायावादी कविता के प्रमुख स्तंभकार निराला महादेवी वर्मा जयशंकर प्रसाद सुमित्रानंदन पंत के कविताओं के उदाहरण से छायावादी कविता की क्या विशेषता है इसके बारे में बताया गया है जो आपकी सीबीएसई बोर्ड क्लास 10th और दूसरी  बोर्ड के सिलेबस के लिए उपयोगी है।  कक्षा 10 की हिंदी साहित्य में छायावादी कवि के बारे में प्रश्न भी पूछा जाता है इसलिए  बिल्कुल सरल ढंग और उदाहरणों से हिंदी साहित्य छायावादी काल के बारे में बताया गया इस आर्टिकल को आप को पूरा पढ़ें आपको जानकारी मिलेगी-

 छायावादी (chayavadi kavita in hindi) कविता का युग हिंदी में  सन 1918 से  1936 माना जाता है।  छायावादी कविता की विशेषता और उनके  मुख्य कवियों के बारे में यह जानकारी दी जा रही है। CBSE Board Class 10th में छायावादी कवि निराला जी की कविता उत्साह और अट नहीं रही पाठ्यक्रम में है। Chayavadi Yug kise kehte Hain tatha iski Pramukh visheshtayen के बारे में यहां हिंदी में जानकारी आपको दे रहे हैं। CBSE Board class Hindi की तैयारी कर रहे हैं आपके लिए बहुत उपयोगी  जानकारी है।

छायावादी युग किसे कहते हैं और  इसकी प्रमुख विशेषताएं

 दोस्तों छायावादी युग की शुरुआत हिंदी में  1918 से 1936 के बीच में माना जाता है। इस युग के प्रमुख कवियों में निराला जयशंकर प्रसाद महादेवी वर्मा  सुमित्रानंदन पंत का नाम  आता है। द्विवेदी युग के समय की नीरसता के कारण छायावादी युग की शुरुआत हिंदी में हुई और इन कविताओं ने अपनी विशेषता के कारण छायावादी कविताएं कहलाने लगी। आइए जाने छायावादी युग की कविताओं के क्या विशेषता है। 

See also  Hindi Portfolio Keya hai | हिंदी का पोर्टफोलियो कैसे बनाएं? CBSE board class 10th Portfolio 

new gyan hindi 

आपको या जानकारी दे newgyan.com वेबसाइट में आपको अलग-अलग तरह की हिंदी से संबंधित के बहुमूल्य जानकारी  सरल और उत्तम भाषा में आप तक पहुंचाई जाती है।  कक्षा 10 और 12 की CBSE बोर्ड की हिंदी पाठ्यक्रम रिलेटेड टॉपिक पर Term-1Term 2 एग्जामिनेशन के लिए महत्वपूर्ण पाठ सामग्री यहां पर दी गई है। 

छायावादी काव्य की विशेषताएं 

Chayavadi kavita ki vishesta in hindi: दोस्तों हिंदी में छायावादी कविता की विशेषता निम्नलिखित बिंदुओं के द्वारा समझाया जा सकता है और इसके आधार पर आप किसी भी छायावादी कवि की कविताओं को समझ सकते हैं। चाहे वह सीबीएसई बोर्ड क्लास 10th के निराला जी की कविता उत्साह और अट नहीं रही हो। उदाहरण से  छायावादी  कविता की विशेषताओं को साधारण ढंग से समझाया गया है, कक्षा 9 से  12 तक के विद्यार्थियों को समझने में आसानी हो। 

1. व्यक्तिवाद की प्रधानता – दोस्तों व्यक्तिवाद की प्रधानता का सरल मतलब होता है कि इस कविता में अपने और दूसरे के सुख, दुख, प्रसन्नता, शोक आदि को कविता के माध्यम से खुद को व्यक्त करता है।  

उदाहरणों के माध्यम से व्यक्तिवाद की प्रधानता

मैं शब्दों के प्रयोग कविता में देखने को मिलता है जैसे महादेवी वर्मा छायावादी कवयित्री है- मैं नीर भरी दुख की बदरी

यहां पर कवित्री द्वारा अपनी  बात  कहती है कि  उनका जीवन आंसू से भरा दुख वाला है।

मैं नीर भरी दुख की बदली कविता में कवयित्री महादेवी वर्मा स्वयं के दुख के बारे में बता रही है। मूल भाव क्या यह है कि उनका जीवन दुखों से भरा है, भाव यह है कि वे पानी वाले वे बदल की तरह जो छाया है और पानी की जगही आंसू निकल रहे हैं। यानि जिंदगी के हर मोड़ पर वे टूट चुकी है, उनकी परेशानी दुख भरा जीवन मै नीर भरी दुख की बदली है। 

छायावादी कवि प्रकृति के माध्यम से दुख, सुख के बारे में स्वय को व्यक्त करते है, यह दूसरे की भावनाओं को सामने रखते हैं, जैसे— निराला जी ने मेहनत करने वाली उस मजदूर महिला जो अपने जीवन जीने के लिए कड़ी धूप में मेहनत कर रही है और छायावादी कवि निराला जी उसे अपनी कविता में नए प्रतीमानों और प्रतीको के सहारे व्यक्त करते हैं। वह तोड़ती पत्थर;

See also  mcq hindi kshitij : एक कहानी यह भी Class 10th ncert

देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर-

वह तोड़ती पत्थर।

कोई न छायादार

पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;

श्याम तन, भर बंधा यौवन,

नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,

गुरु हथौड़ा हाथ,

करती बार-बार प्रहार:-

सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार।

व्यक्तिवाद की प्रधानता यहां दोनों उदाहरण में दिखाई देती। आशा करते टॉपिक आपको समझ में आ गया होगा कि  छायावादी कवियों में व्यक्तिवाद की प्रधानता होती या नहीं अपने सुख दुख कविता के माध्यम से व्यक्त करना चाहते हैं।

2. श्रृंगार भावना – छायावादी कविता में शुद्ध रुप से श्रृंगार दिखाई देता है लेकिन यह श्रृंगार सूक्ष्म रूप में है।  cbse बोर्ड  class 10 पाठ्यक्रम की कविताए ‘अट नहीं रही कविता प्रकृति के सिंगार का अद्भुत वर्णन  सूक्ष्म रूप में किया गया है। 

3. जीवन दर्शन – छायावादी कवियों ने जीवन को भावनात्मक तरीके से प्रकृति के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया है। सुमित्रानंदन पंत की cbse बोर्ड पाठ्यक्रम  कक्षा 9 में ग्राम श्री कविता में प्रकृति का अद्भुत बड़ा और जीवन का दर्शन भी छुपा हुआ है जिसमें प्रकृति को मानवीय रूप में प्रस्तुत किया गया है।

4. नई  भावना – छायावादी कविता में नारी को लेकर नए प्रतिमान गढ़े गए। सुंदरता के पर्याय के रूप में नारी शोषण और अत्याचार की भावना से युक्त इस काल में कविता  रची गई। निराला जी की कविता  वह तोड़ती पत्थर  इलाहाबाद के पथ पर नारी के नए प्रतिमान को बढ़ता है।

5. प्रकृति का मानवीकरण – छायावादी कवियों ने  प्रकृति  को भावनात्मक रूप से  जोड़ा है।  फूल पौधे बादल नदियां पहाड़ मौसम  आदि को अपनी कविता में  मानव के रूप में प्रस्तुत किया है।  मानवीकरण अलंकार की  अभिव्यक्ति छायावादी कविता में कोई है।  कक्षा 9 के सीबीएसई पाठ्यक्रम में  ग्राम श्री कविता  सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति को मानव रूपों का सबसे बड़ा उदाहरण है। मटर, चने और अलसी खेतों का प्राकृतिक चित्रण किस तरह से किया गया है जैसे इनका विवाह हो रहा हो। हथेली हठीली अलसी का प्रयोग मानवीकरण अलंकार को व्यक्त करता है पूरी कविता में प्रकृति के साथ मानव का तालमेल देखने को मिलता है। 

प्रमुख छायावादी  प्रमुख छायावादी कवियों के बारे में और उनकी रचनाओं के बारे में जानकारी     

जयशंकर प्रसाद

छायावादी कवियों में जयशंकर प्रसाद एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में अपनी रचनाओं के साथ सामने आते है। जयशंकर प्रसाद की ध्रुवस्वामिनी चंद्रगुप्त आदि ऐतिहासिक पात्र को प्रकट करने वाली घटनाएं होती थी लेकिन काव्य में उनकी नई रचनाएं हमें जो छायावादी विशेषताओं से प्रभावित है, वह देखने को मिलती है। 

See also  दो बैलों की कथा Class 9 MCQ क्षितिज भाग 1 एनसीईआरटी हिंदी बहुविकल्पी प्रश्न

उनकी कुछ रचनाओं की बानगी देखिए- लहर, आंसू,  कामायनी, उर्वशी, कानन, प्रेम पथिक,  प्रेमराज, झरना और अयोध्या इन कविताओं में छायावादी चेतना और विशेषताओं का प्रभाव देखने को मिलता है। 

अध्यात्म और मानवीय चेतना को प्रस्तुत करती है। 

सूर्यकांत त्रिपाठी

 निराला छायावादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविताओं में छायावाद का नया स्वर नजर आता है। निराला जी की कविताओं में गीतिका,  राम की शक्तिपूजा, परिमल, तुलसीदास और सरोज स्मृति में छायावाद के तत्व दिखाई देते हैं। 

साथ में भाषा का  उत्कृष्ट प्रयोग  निराला की कविताओं को  एक अलग दृष्टिकोण प्रदान करता है। 

 राम शक्ति पूजा में तत्सम हिंदी के शब्दों का नाद्य व स्वर के साथ प्रयोग यह दिखाता है कि शब्दावली का सही और सटीक प्रयोग के माध्यम से कविता कहने की प्रणाली बदल गई। 

छायावादी कविता में नए प्रयोग करने वाले कवि निराला जी की कविताएं,  महादेवी वर्मा सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद की कविताओं से अलग दिखाई देती है। 

महादेवी वर्मा-दुख और सुख की अनुभूति वाली  इन की कविता  इंसान की अभिव्यक्ति को व्यक्त करता है।  नीरजा, रश्मि, निहार, सांध्य गीत इत्यादि प्रमुख रचनाएं हैं।

सुमित्रानंदन पंत 

प्रकृति सौंदर्य के कवि सुमित्रानंदन पंत की कविताओं में प्रकृति का  सौम्य रूप दिखाई देता है। प्रकृति और मानव के रिश्ते में छुपी हुई अभिव्यक्ति इंसान को  प्रकृति प्रेमी बना देता है छायावादी कविता में इसकी मां को भी  प्रकृतिवाद और रहस्यवाद सुमित्रानंदन पंत की कविताओं में मुखरित होता है।  छायावादी कवि सुमित्रानंदन  की कविता ग्राम श्री  कक्षा 9 सीबीएसई बोर्ड हिंदी में  पढ़ाई जाती है।  छायावादी कविता प्रकृति चित्रण  को इस कविता के माध्यम से बताया जाता है। 

सुमित्रानंदन पंत प्रमुख छायावादी काल की कविताएं जो प्रकृति के प्रेम की अभिव्यक्ति करती हैं निम्नलिखित हैं-उच्छवास, ग्रंथि’(1920), ‘वीणा’ (1927), ‘पल्लव’ (1928) और ‘गुंजन’ (1932) हिंदी की छायावाद काल की कविताएं है।

 महादेवी वर्मा  

काव्य संग्रह- निहार (1930)  रश्मि (1932) नीरजा (1935) संध्या गीत (1936) यामा (1940) दीपशिखा (1942) सप्तपर्णा (1960)

छायावादी काव्यधारा की चार प्रमुख विशेषताएं कौन-कौन सी है?

 छायावादी कविता की चार प्रमुख विशेषताएं- प्रेम सौंदर्य का चित्रण, प्रकृति का मानवीकरण, करुणा एवं नैराश्य की प्रधानता, अंग्रेजी के रोमैन्टिसिज़्म (स्वच्छंदतावाद) से प्रभावित है. 

—————————————————————–

Related post

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top