Hindi कला—साहित्य

तिरंगा कहता है

ये तिरंगा कहता है सुन लो भारतवासी
देश के खातिर परवानो ने चूम लिया फासी
बहुतो की क़ुरबानी ने दी हमें आज़ादी,
आज़ादी की कीमत पहचानो न करो इसकी बर्बादी ।
ये देश -शहीदों की भूमि हैं, क्वाबा-काशी
ये तिरंगा कहता है सुन लो भारतवासी।
स्वार्थी जीवन में हम भूल गएँ अपनी आज़ादी।
मर रहा है किसान यहाँ, नेता बेच रहा खादी।
लोकतंत्र में बेहाल है, भारत का गरीब निवासी।
ये तिरंगा कहता है सुन लो भारतवासी।
भ्रष्ट-अधिकारी नेता खा रहें है,
देश का पैसा
व्यापारी मस्त है मुनाफाखोरी में ये देश है कैसा।
भ्रष्टाचार-आतंकवाद देश को बना रहा है दासी।
ये तिरंगा कहता है सुन लो भारतवासी।
शहीदों के सपनो को हुम न टूटने देंगें।
घर-घर शिक्षा का दीपक जलांगे।
भारत के युवा तुम हो कर्णधार, लो सपथ ये साहसी।
ये तिरंगा कहता है सुन लो भारतवासी।

अभिषेक कान्त पाण्डेय

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Abhishek pandey

Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
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