श्री कृष्ण होने के मायने

Last Updated on August 27, 2013 by Abhishek pandey

                                                             श्री कृष्ण होने के मायने

श्री कृष्ण शब्द हमारे जन चेतना का हिस्सा है। जन्माष्टमी का त्योहार हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराती है जिसमें श्रीकृष्ण ने हमारे लिए जीवन का मार्ग दिखाया।  माखन चोर श्रीकृष्ण का बाल रूप उनका नटखटपन, यशोदा माता के सामने भोलेपन से कहना-मइया मोरी मय माखन नहीं खायो। वहीं गोपियों के संग श्रीकृष्ण की रासलीला हमारे जीवन में जीवंतता का रस घोलती है। 
एक बार श्रीकृष्ण मथुरा में महल के प्रांगण में टहल रहे थे तभी उनका मित्र उद्धव उनके पास आया और बृजधाम का हाल चाल जानने के लिए श्रीकृष्ण ने पूछा। हे उद्धव! मुझे बृज के बारे में बताओं कैसा है मेरा गोकुल तुम तो वहां से लौटे हो।  यमुना के सुंदर तट के वृक्षों की ठण्डी छाया, गोपियों की कोलाहाल, सखी-बंधु कैसे है सब, उनका हाल बताओ।
उद्धव –  हे! श्रीकृष्ण जैसे ही मैंने वहां आपका संदेशा सुनाया। गोपियां बेसुध हो गईं। बृज के सभी पशु-पक्षी पेड़, खेत बस तुम्हारी ही राह तक रहे हैं। जल्दी वहां जाओ यमुना के तीर, बाल- गोपाल, सखी गोपियां सभी तुम्हारी राह तक रहे हैं। इस मथुरा में क्या रखा है। यदि तुम शीघ्र नहीं गए तो पूरा गोकुल – बृज तुम्हारे लिए अन्न- जल त्याग देगा। गोपियां तुम्हारे बिन अधूरी हैं- हे! कृष्ण सारा बृज तुम्हारे आने की प्रतीक्षा कर रहा है। 
हे! श्रीकृष्ण गोपियों ने  ये लिखित संदेश तुम्हे भेजा है-(उद्धव संदेश यथा पढ़ते हैं।) प्रिय, कृष्णा, आपको कंस का संहार किये कितने दिन बीत गए, अपने देश क्यों नहीं आ रहे हो, अब कौन-सा कार्य शेष रह गया है। मुरलीधर आप तो हमारे प्राण हैं। बृज में तुम्हारे बिना हमारा शरीर बिना जीवन के नीरस है। आप अतिशीघ्र अपने बृजधाम पधारे और हमारे प्राण लौटा दें। यदि आप बृज वापस नहीं लौटे तो हम अपना प्राण त्याग देंगे।
श्रीकृष्ण- (विचलित होकर) हे! उद्धव तुम शीघ्र वापस जाओ और गोकुल – बृज की गोपियों को समझाओं की मेरी आवश्यकता इस संसार को है अभी मुझे एक बड़ा कार्य करना, सत्य की स्थापना करनी है मेरे जीवन का उद्देश्य इस धरती की रक्षा करना है। उन्हें बताओं की कृष्ण उनके मन में सच्चे प्रेम की मोती की तरह है, गोकुल व बृज के कण कण में मैं समाया हूं। कहना मैं उनमें शाशवत समाया हंू। अभी मुझे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य करना है, न्याय के लिए किए जाने वाले युद्ध में मुझे मार्गदर्शक के रूप में सारथी बनना है। 
श्रीकृष्ण ने अपने लक्ष्य की पहचान पहले ही कर लिया था। गोपियों के साथ उनका जीवन बृज की भूमि में रासलीला में डूबा रहा लेकिन सत्य के लिए उन्होंने कंस के अत्याचार से मुक्ति प्रदान करने के लिए, श्रीकृष्ण ने मथुरा को अपना लक्ष्य बनाया। 
श्रीकृष्ण के जीवन को उद्देश्य सही मायने में महाभारत के युद्ध में उनकी भूमिका और बिना शस्त्र के युदध में सारथी बन भाग लिया। गीता रहस्य में जीवन सार छिपा है विचलित अर्जुन को सत्य की स्थापना के लिए युद्ध करने की प्रेरण दिया। विचलित अर्जुन ने कहा हे! कृष्ण मैं कैसे यद्ध करू, मेरे सामने मुझे शिक्षा देेने वाले गुरू द्रोणाचार्य हैं, मेरे पितामह भीष्म हैं, जिन्होंने मुझे पालापोसा इन सगे संबंधियों के विरूद्ध मैं कैसे शस्त्र उठांऊ। यह धर्म के विरूद्ध है, ये पाप है। मैं यह पाप नहीं कर सकता हूं। श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा  हे! अर्जुन तुम्हें अपने कर्तव्य का पालन करना चहिए तुम एक योद्धा हो और सच्चा योद्धा सत्य और धर्म के लिए युद्ध करता है। तुम भूल जाओ कि तुम्हारे सामने गुरू है, संगे संबधी है। सत्य यह कहता है कि जो व्यक्ति अधर्म करता है, उससे तुम्हारा कोई सबंध नहीं है, तुम केवल अपने धर्म और सत्य का पालन करों और सत्य एवं धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाओं। श्रीकृष्ण ने अपने होने का पर्याय इस श्लोक के माध्यम से बताया-
यदा  यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमर्धस्य तदात्मानं सृजाम्यहाम।।
अर्थात हे भारतवंशी! जब भी और जहां भी धर्म का पतन होता है और अधर्म की प्रधानता होने लगती है, तब तब मंै अवतार लेता हूं।
परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
मैं सदा जनों का उद्धार करने लिए, दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूं।
श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व विविधताओं से भरा है। बालपन का नटखट माखन चोर, सभी को आकर्षित करता है तो वहीं गोपियों के संग जीवन के यौवनकाल में शाश्वत प्रेम की परिभाषा देने वाले श्रीकृष्ण महाभारत के युद्ध में सत्य की स्थापना के लिए न्याय की भूमिका दिखते हैं। जहां इस संसार मे अपने होने को प्रमाण देते हैं। श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व अद्तिीय है।

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Abhishek pandey
Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
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