Superstition in Hindi चमत्कार, अंधविश्वास, विज्ञान इन सभी विषयों पर चर्चाएं होती रहती हैं। इन दिनों मीडिया जगत में Chamatkar andhvishwas पर debates हो रही हैं। 21 वीं शताब्दी विज्ञान की शताब्दी है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि हमारा समाज आखिर चमत्कार अंधविश्वास और विज्ञान इन बातों को किस नजरिए से देखता है और शिक्षा व्यवस्था विज्ञान और तर्क को स्थापित करती है। ऐसे में इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर अक्षर परीक्षा में सवाल पूछे जाते हैं कि विज्ञान का चमत्कार या विज्ञान या अंधविश्वास इन सभी टॉपिक पर अनुच्छेद या निबंध पूछा जाता है। यहां पर हम आपको इन्हीं टॉपिक पर कुछ अनुच्छेद और निबंध दे रहे जो आपके एग्जामिनेशन के लिए उपयोगी है।
NCERT solution anuchchhed competition paragraph writing about andhvishwas Chamatkar in Hindi हिंदी लेखन में अनुच्छेद और विचार लेखन का बहुत महत्व है। निबंध लेखन के अलावा पैराग्राफ राइटिंग इन हिंदी चमत्कार अंधविश्वास आदि पर खूब पूछा जा रहा है। यहां दिए गए अनुछेद और निबंध आपके लिए उपयोगी है इन example Chamatkar andhvishwas anuchchhed Hindi अंधविश्वास पर निबंध | Essay on Superstition in Hindi को पढ़कर अपने परीक्षा में बेहतर लिख सकते हैं।
चमत्कार और अंधविश्वास पर 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
आज का हमारा निबंध Speech भाषण अंधविश्वास (Superstition)
आधार बिंदु
चमत्कार और अंधविश्वास
समाज के उत्थान में बाधक शिक्षा और तर्क कितना आवश्यक
जागरूकता फैलाने के लिए आवश्यक कार्य जब मनुष्य तर्क और विज्ञान की कसौटी में कसकर किसी भी तथ्य को नहीं देखना चाहता है, तब वह मनुष्य अंधविश्वास के चक्रव्यूह में फंस जाता है। इसके पीछे मनुष्य के जीवन में कई तरह की धारणाएं रहती हैं, जो अंधविश्वास को जन्म देती हैं। ऐसी मान्यताएं जिनको विज्ञान की कसौटी पर और तर्कों की तराजू पर तौला नहीं गया है और उसे परंपरा के रूप में जब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में केवल मान लिया जाता है तो यह एक अंधविश्वास है। प्रत्येक समाज की संस्कृति में ऐसे कई अंधविश्वास उस संस्कृति का हिस्सा बनकर पीढ़ी दर पीढ़ी चली आती है। आज विज्ञान का युग है, इसलिए अंधविश्वास से छुटकारा पाना आवश्यक है। इसलिए भ्रष्टाचार, गरीबी, महामारी, बेरोजगारी, अशिक्षा के काले घने अंधेरे बादल से तर्क और विज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने वाले प्रबुद्धजन, चिंतक, विद्वान नायकों की आवश्यकता है।
जब समाज में भ्रष्टाचार, गरीबी, पाखंड, बेरोजगारी, अशिक्षा नहीं होगी तो इंसान खुशहाल होगा। यह तब होगा जब हम अंधविश्वास और चमत्कार के दुर्गुणों से निकलकर तर्कशील, वैज्ञानिक सोच और नैतिक जीवन जीने वाले नागरिकों का निर्माण कर सकें। चमत्कार और अंधविश्वास के सहारे कोई भी समाज कभी भी ऊंचाई की शिखर को प्राप्त नहीं कर सकता है। देखा गया है, जहां शिक्षा और विज्ञान का अभाव है, वहां पर व्यक्ति अंधविश्वासी होता है। गरीबी, बीमारी, प्रकृति आपदा, भ्रष्टाचार को एक दैविक आपदा मान लेता है, इन सभी से छुटकारा पाने के लिए उसे एक अंधविश्वास और चमत्कार का सहारा लेना पड़ता है।
क्योंकि अंधविश्वास में शिक्षा, तर्क और विज्ञान का अभाव होता है इसलिए ऐसे व्यक्ति अंधविश्वासी होते हैं। समाज को अंधविश्वास के दलदल से निकालने के लिए शिक्षा (education) व्यवस्था को समान रूप से सभी पर लागू करना होगा। अंधविश्वास के खिलाफ प्रभावशाली कानून बनाकर इसके रोकथाम का दायित्व सरकार को उठाना होगा। वैज्ञानिक अवधारणा (scientific concept) और तर्कशीलता की सोच नयी पीढ़ी में प्राथमिक शिक्षा के समय ही इसका बीजारोपण करना होगा, तभी एक नए तर्कशील समाज की स्थापना होगी।