चलो धरा में हरियाली रचे कविता अभिषेक कांत पाण्डेय
चलो धरा में हरियाली रचे
गगन को न्योता
पंक्षियों को बनाये देवता
संदेश दे
हरियाली की
सपने में हरा भरा
दिखे गगन से धरा
पंक्षी तू देख जंगल कितना
बता फिर लगा दूं कई वृक्ष
बैठ जाना कहीं
दुनिया तेरी भी।
पहाड़ मत हो गंभीर
धीरे बहने दे नीर
हरियाली सौंप दूंगा
अब नहीं करना हलचल
हमने भेजा है संदेश
चिड़ियों का यह देश
मानव सीख रहा आदिमानव से
हरी डालियों से तेरे देह से।