फादर डे

Last Updated on June 19, 2015 by Abhishek pandey

फादर डे

मैं जब भी देखता तो
उसके पिताजी बड़े दिखते
और मेरे पिताजी छोटे
पिताजी ने हमें नाम दिया
और उनके पिताजी ने उन्हें काम दिया
वे वंशों वाले पिताजी हैं उनके।
हमारे पिताजी मेहनतकश है।
हमें मोमबत्ती में पढ़ाया
इंसान बनाया।
उनके पिताजी ने उन्हें ताज पहनाया
चुनाव जीतवाया,
हम हमारे पिताजी से कहते कि
हमें कितना परिश्रम करना है
हमारे पिताजी कहते तुम तुम हो
सबसे अलग हो
तुम ही बदल सकते हो दुनिया।
मेरी बात समझ में है
मेरे पिताजी ठीक कहते हैं
उनके पिताजी उनके लिए चांदी के चम्मच बने।
फिर भी मैं सोचता वंशों की बैशाखी पर
उनके पिता ने बैठाया क्यों अपने बेटे को।
मेरे पिताजी इंतजार कर रहे
माली की तरह,
बेटा-
वंशों वाले बेटाओं से लड़ रहा है
उनके पिताओं से और उनके बेटों से
जिन्होंने लोकतंत्र को ढाल बनाया
मैं और मेरे पिता, हम
एक नई खोज में एक नये विचारों में
चिंगारी पैदा कर रहें
उनके पिता और बेटों के खिलाफ।

अभिषेक कांत पाण्डेय

Author Profile

Abhishek pandey
Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
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