रिसर्च: बाहर के खाने से हो सकता है, कैंसर

रिसर्च: बाहर के खाने से हो सकती है, कैंसर
भारत में हमेशा माता-पिता अपने बच्चों को घर का बना खाना खिलाने में ही विश्वास रखते हैं, उनका यह कहना कि घर का बना खाना ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है, अब इस बात पर मुहर लगा दिया है- अमेरिका की एक रिसर्च ने।


घर का खाना स्वास्थ्य का खजाना


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घर पर बनाया हुआ खाना आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है

 इस रिसर्च के मुताबिक घर पर बनाया गया खाना खाने से आप कई तरह की बीमारियों से बचते हैं। बांझपन, कैंसर जैसी बीमारियों से बचाया है और शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है । बाहर के खाने में ऐसे केमिकल तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
 अमेरिका में हुए इस रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ है कि घर में पकाया गया खाना ही सबसे अधिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

कौन सा केमिकल है खतरनाक


PFAS नाम का केमिकल नॉनस्टिक और पैकिंग करने वाले  सामग्री में पाया जाता है, जो कि  खतरनाक रसायन है। जिसके कारण से कई तरह की स्वास्थ्य की समस्या  हो सकती है। रिसर्च से यह साबित हुआ है कि  कैंसर, बांझपन जैसी बीमारियों का खतरा  इन तरह के केमिकल से होने की संभावना अधिक होती है।

आइए जाने क्या है पीएफएएस – 

यह एक तरह का खतरनाक केमिकल है, जो पॉलीफ्लुओरोकेलिल पदार्थ है।  जिसे 1930 के दशक में वैज्ञानिकों ने खोजा था। जिसका प्रयोग नॉन स्टिक खाना बनाने वाले बर्तनों में किया जाता है, इसके अलावा वाटरप्रूफ, फैब्रिक कोटिंग्स जैसे कई घरेलू वस्तुओं के साथ-साथ, आग बुझाने वाले फोम में किया जाता है।

बाहर का खाना क्यों है आपके लिए खतरनाक


अमेरिका के  इंस्टीट्यूट ‘साइलेंट स्प्रिंग’ के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि जो आप खाते हैं,  वही नहीं  बल्कि जहां आप खाते हैं, वहां पर पीएफएएस नाम के केमिकल आपके खाने में मौजूद हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक है, जो कई तरह के माध्यम से आपके खाने में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे कई तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं।

रिसर्च में कई लोगों पर अध्ययन करने पर पाया कि जो लोग बहुत सारा फास्ट फूड और पॉपकॉर्न खाते हैं, उनमें इन रसायनों का स्तर सबसे अधिक होता है, जो उनके  स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। रिसर्च में यह भी बताया गया है, जो लोग घर का बना खाना खाते हैं, उनके शरीर में यह खतरनाक केमिकल बहुत ही कम मात्रा में पाए जाते हैं।


बता दें कि भारत में हमेशा से घर का पकाया हुआ खाना खाने की आदत हिंदुस्तानियों में होती है, लेकिन धीरे-धीरे नई सोच व नई संस्कृति के चलते बाहर का बना हुआ खाना और ज्यादातर फास्ट फूड खाने का चलन बढ़ता जा रहा है। जोकि स्वास्थ्य के लिए एक नई समस्या पैदा कर रही है।

रिसर्च से साबित हो गया है कि जो लोग घर का बनाया हुआ खाना खाते हैं, वे  लोग कई तरह के खतरनाक केमिकल का सेवन करने से बच जाते हैं।
‘साइलेंट स्प्रिंग’ इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने पाया कि जो लोग घर पर पका हुआ खाना ज्यादा खाते हैं, उनके शरीर में पीएफएएस नामक इन रसायनों की मात्रा कम होती है। ये रसायन हमारे पर्यावरण में कई स्थानों पर पाए जा सकते हैं और हमारे भोजन में मिल सकते हैं – विशेष रूप से कुछ उत्पादों की पैकेजिंग, जैसे फास्ट फूड रैपर, और पैकिंग में करने वाली वस्तुओं से इसके साथ ही माइक्रोवेव में पकाए जाने वाले पॉपकॉर्न जैसे खाद पदार्थ (food item) को खाने से  यह खतरनाक केमिकल शरीर में प्रवेश कर  जाते हैं।

बीमारियों से बचना है तो घर का बना खाना खाइए


इस रिसर्च में राहत की बात यह है कि घर पर काका खाना खाने से जिन कारणों से  पीएफएएस केमिकल सारी में पहुंचता है उसकी संभावना कम हो जाती है इसलिए कैंसर और थायरॉइड की समस्याओं से बचाने में मदद करता है। घर का पके भोजन में पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। 

 शरीर में कैसे पहुंचता है खतरनाक केमिकल

यह केमिकल जब नॉनस्टिक कूकवेयर में खाना पकाने में और भोजन की  पैकेजिंग के साथ हमारे खाने से हमारे शरीर में पहुंचता है। इसका खतरनाक परिणाम हमारे शरीर में प्रजनन क्षमता को घटा देता है,  कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देता है, हार्मोनल डिसबैलेंस और शरीर में प्रतिरोधक क्षमता  को प्रभावित करता है। हाईब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां भी होने की संभावना अधिक होती है।

वैज्ञानिकों ने 10,000 से अधिक अमेरिकियों पर किया अध्ययन



साइलेंट स्प्रिंग के वैज्ञानिकों ने 10,000 से अधिक अमेरिकियों में पीएफएएस की भोजन की आदतों और रक्त के स्तर की जांच कर इन डाटा का अध्ययन किया। पीएफएएस केमिकल के खतरनाक स्तर को समझा जा सके। रिसर्च से बात सामने आई है कि जो लोग किसी भी तरह के रेस्तरां में भोजन करते हैं, उनके शरीर में अकसर पीएफएएस का स्तर अधिक होता है।

खाने की पैकेजिंग हो सकती है खतरनाक


 खाने की पैकेजिंग को लेकर शोधकर्ताओं ने कोई विश्लेषण यानी कि एनालिसिस तो नहीं किया लेकिन उन्हें इस बात का संदेह है कि जितना अधिक रैपर और पैकेजिंग आपके भोजन के लिए इस्तेमाल होती  है, उतना ही पीएफएएस आपके द्वारा खाए जाने वाले पदार्थों में घुस जाता है।

  पॉपकॉर्न पसंद करने वाले लोगों में यह केमिकल पाया गया। जबकि ऐसे लोग जो किराने की दुकान से सामान खरीदकर घर पर खाना पकाते हैं और उसे खाते हैं, उन लोगों पर अध्ययन से यह बात सामने आई  कि उनके शरीर में पीएफएएस का स्तर कम पाया गया। 


रिसर्चर ने कहा


साइलेंट स्प्रिंग इंस्टिट्यूट के रिसर्चर डॉक्टर  लॉरेल शेइडर ने बताया कि यह रिसर्च अमेरिकी आबादी में भोजन के विभिन्न स्रोतों और पीएफएएस एक्सपोज़र के बीच एक लिंक का निरीक्षण करने वाला पहला अध्ययन है। परिणामों का सुझाव है कि खाद्य पैकेजिंग से  पीएफएएस रसायनों  का संपर्क होने से  भोजन में यह तत्व चला जाता है ।

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