Uncategorized

इन्हें प्रकृति से मिला सुरक्षा कवच

अभिषेक कांत पाण्डेय

इन्हें प्रकृति से मिला सुरक्षा कवच

 इस धरती पर हर जीव को जीने का अधिकार है, प्रकृति ने कुछ जीवों के शरीर पर सुरक्षा कवच दिए हैं, जिससे कि उनका शिकार करने वाले जानवर उससे घायल हो जाएं या डरकर भाग जाएं। त्वचा की बाहरी सतह पर पाया जाने वाला सुरक्षा कवच इन जीवों में कई रूपों में दिखता है, आइए जानते हैं कि कौन से हैं ये जीव।

कांटों वाला साही 

साही का सुरक्षा कवच है इनके पूरे शरीर के कांटे। जब भी इसे किसी खतरे का अंदेशा होता है तो साही अपने आप को एक गेंद की तरह मोड़ लेता है। शरीर को मोड़ने से बाहरी सतह पर 5,००० से भी अधिक कांटे सीधे खड़े हो जाते हैं। इन कांटो के डर से शिकारी भाग जाता है। साही के कांटे एक साल में गिर भी जाते हैं और इसकी जगह नए और मजबूत कांटे फिर उग आते हैं।

खोल में छुपा कछुआ
बच्चों, तुम तो जानते हो कि कछुआ सीधे स्वाभाव का और धीरे चलने वाला जीव है। कछुए की कई किस्मों में शरीर के ऊपर भारी कवच पाया जाता है। जानते हो यह कवच कछुए के कोमल शरीर की रक्षा करता है। शिकारी के आने पर यह बिना हिले-डुले खुद को इतना शांत रखता है कि शिकारी इसे पत्थर समझ लेता है और वहां से चला जाता है। कुछ कछुए की प्रजातियां तो खतरा होने पर अपने सिर और पैर को सिकोड़ कर खोल के अंदर छुप लेते हैं। सदियों से कछुओं की एक किस्म जिसका नाम हॉक्सबिल टर्टिल है, इनका कवच गहना और और सजावटी चीजें बनाने के लिए इस्तेमाल होता आ रहा है। इस कारण से इन कछुओं को बचाने के लिए 1973 से इनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर रोक लगा दी गई है।

See also  ऑस्ट्रेलिया की बेहतरीन चार यूनिवर्सिटी best university of Australia

मगरमच्छ की सख्त त्वचा और जबड़ा
Natural capमगरमच्छ तो पानी में ही रहता है। इसकी शारीरिक बनावट ऐसी है कि पानी के बाहर ज्यादा तेज दौड़ नहीं सकता है, इसीलिए यह शिकार नहीं कर सकता है। लेकिन यह अपने शिकार का इंतजार पानी में घात लगाकर करता है। जब शिकार सामने आ जाता है, तो उसे अपने जबड़े में दबोच लेता है। जबड़े से मगमच्छ इतनी ताकत लगाता है कि शिकार छूट नहीं सकता है। यह ताकत मगरमच्छ को मिलती है, इसके बाहरी कांटेदार स्केलों से ढकी त्वचा के जरिए, जिसके नीचे हड्डियों का ढांचा और मजबूत मांसपेशियां होती हैं। इस सुरक्षा कवच के कारण मगरमच्छ पानी के अंदर बस शिकार का इंतजार
करता है।

सख्त त्वचा वाली पैंगोलिन छिपकली
पैंगोलिन की कुल आठ प्रजातियां हैं, सभी खतरे में हैं। स्तनधारियों की श्रेणी में आने वाली यह एकलौती प्रजाति हैं, जिनकी त्वचा के ऊपर बड़े किरेटिन के सख्त स्केल पाए जाते हैं। सख्त त्वचा के फायदे ये हैं कि जब खतरा होता है तो पेड़ की टहनियों में खुद को इस तरह चिपका लेती है, जिससे शिकारी जीव चकमा खा जाता है कि यह पेड़ का ही हिस्सा है। लेकिन इनकी प्रजाति खतरे में है। कुछ लोग इनके त्वचा और मांस के लिए इनका शिकार करते हैं, जिससे इनकी तादाद धीरे-धीरे कम हो रही है।

गेंद बन जाती है आर्माडिलो
प्रागैतिहासिक काल के लगने वाले आर्माडिलो के पेट को छोड़कर पूरा ही शरीर हड्डियों वाली स्केलों के ढका होता है। पेट पर रोएं होते हैं और यह काफी कोमल होता है। इनकी तीन किस्में पाई जाती हैं जिनमें से केवल एक ही में खुद को समेट कर गेंद जैसा बन जाने का गुण होता है।

See also  हमारी शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत

 और पढ़ें
और कार्टून सीरियल हमारे बच्चे को सिखा रहे हैं , गलत आदतें

10 बातें एक टीचर के लिए जानना बहुत जरूरी है

नजर कमजोर पर 
डंक नहीं
6 से लेकर 12 आंखें होने के बावजूद बिच्छुओं की नजर कमजोर होती है। अगर खतरे को देख ना पाएं तो भी खुद को शिकारियों से बचाने के लिए इनके पास खतरनाक डंक के साथ साथ जहरीली और कवच जैसी त्वचा भी होती है।

 इन्हें भी पढ़ें
ऑफिस में अपनाएं बैलेंस बिहेवियर तो होंगे आप कामयाब

About the author

Abhishek pandey

Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
newgyan.com Blog include Career, Education, technology Hindi- English language, writing tips, new knowledge information.

Leave a Comment

हिंदी में बेस्ट करियर ऑप्शन, टिप्स CBSE Board Exam tips 2024 एग्जाम की तैयारी कैसे करें, मिलेगा 99% अंक