और कार्टून सीरियल हमारे बच्चे को सिखा रहे हैं , गलत आदतें



आज हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं फेवरेट कार्टूनों के बारे में बताएंगे कैसे यह बनाए जाते हैं, कैसे चलते हैं, कौन-कौन से हैं  कब हुई थी इनकी शुरुआत और कार्टून सीरियल हमारे बच्चे को  कैसे सिखा रहे हैं, गलत आदतें ।

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  कार्टून किसे नहीं पसंद है। क्या बच्चे क्या बूढ़े क्या जवान सब को भाते हैं तेजी से भागने वाले शरारत करने वाले प्यारे से कार्टून करैक्टर। जब यह कार्टून नहीं थे तो ड्राइंग के माध्यम से लोग अपनी भावनाओं और कला को दिखाते थे। इसके बाद फोटोग्राफी तकनीक आई और अब कंप्यूटर से बनाए जाते हैं।


आप सोचते होंगे कि जो कार्टून टीवी पर दिखाया जाता है कैसे बनता होगा। दरअसल इन एनीमेटेड कार्टून को बनाने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। पहले तो कार्टून चित्रों को सिलसिले की लगातार फोटोग्राफी की जाती है। कैमरे के सामने जब एक एक चित्र चलता है तो चित्र के किरदार थोड़ा-थोड़ा हरकत करते नजर आते हैं और विराम चित्रों की रील तेजी से चलने पर करैक्टर भागते नजर आते हैं। जब इसको प्रोजेक्ट किया जाता है तो हमारी आंखों को पूरी फिल्म चलती फिरती नजर आती है।

फ्रांस में बना था पहला कार्टून करैक्टर

एनीमेटेड कार्टून की शुरुआत चार्ल्स निमाड़ रोनाल्डो द्वारा सर्वप्रथम फ्रांस में की गई थी। उन्होंने कार्टून की जरूरत बच्चों से लेकर सभी के लिए महसूस की थी। उस समय एनीमेटेड कार्टून तो नहीं थी पर चित्रकला बनाने वाले आर्टिस्ट हुआ करते थे। उनके एक से बढ़कर एक क्रिएशन चित्रकला में जान डाल देते थे।

इसके प्रभाव को चलचित्र में बदलने के बारे में सोचा गया। एनीमेटेड कार्टून और फोटो को चलाने के लिए एनिमेटेड डिवाइस की जरूरत थी। सन 18 77 ईसवी में दुनिया में पहली बार एनिमेटेड कार्टून का टेस्ट प्रॉक्सीमीनोस्कोप पर किया गया है। जो कि एक एनिमेटेड डिवाइस थी। यह डिवाइस एक सिलेंडर के आकार की थी जो कि किसी पिक्चर को लेकर मौसम पैदा करती थी फिर कार्टून बोलते नजर आते थे। इस सिलेंडर के अंदर कुछ फोटो और कार्टून लगे हुए हैं। सिलेंडर गिराकर अंदर का पाठ जब स्पिन करता था तो जो पिक्चर इस डिवाइस के अंदर सीक्वेंस से आगे बढ़ने लगती थी और एनिमेशन कार्टून फिल्म दर्शक चलता हुआ देख सकते थे। यह एनीमेटेड कार्टून आगे चलकर सन 1892 में इस डिवाइस की मदद से थिएटर पर देखा गया। 

दुनिया में छा गया कार्टून करैक्टर

धीरे-धीरे एनीमेटेड कार्टून दुनिया भर में फेमस हो गए। 1920 से 1960 के दशक का ऐसा समय  हजारों की संख्या में निर्माण किया जाने लगा। आमतौर पर एक फिल्म थिएटर में इसे फीचर फिल्म से पहले दिखाया जाने लगा और विराम इसके बाद कई कार्टून स्टूडियो द्वारा 5 मिनट से लेकर 10 मिनट तक के शॉर्ट्स बनाए जाने लगे।

मजेदार बात यह है कि 1926 में एनीमेटेड कार्टून में भी साउंड का उपयोग किया जाने लगा यह 5 से 10 मिनट तक के शॉर्ट्स देखने भर से दर्शक रोमांचित हो उठते थे।


  मिकी माउस

मैक्स फलेक्चर के my old can talky home नाम के कार्टून में पहली बार साउंड का इस्तेमाल किया गया यह देख वाल्ट डिजनी ने मिकी माउस नाम के कार्टून करैक्टर को बनाया उड़ गया, जिसमें ट्रैक साउंड का इस्तेमाल किया गया। यहां से मिकी माउस की मांग दुनिया के कोने कोने में बड़ी।


कार्टून कैरेक्टर्स की भरमार


पहले बच्चों के पास देखने के लिए केवल मिकी माउस और टॉम एंड जेरी जैसे कुछ चुनिंदा कार्टून ही थे। लेकिन आज कार्टून कैरेक्टर की भरमार है जैसे मिस्टर बेन, डोनाल्ड डक, छोटा भीम, डोरेमोन, पिंक पैंथर आदि और आज बच्चे टीवी के सामने बैठते हैं तो वे  सबसे अधिक  कार्टून  सीरियल देखना ही पसंद करते हैं। उसी कार्टून में वे अपने बेस्ट कैरेक्टर को तलाशते हैं। अब तो कार्टून चैनलों पर कई सुपर हीरो आ गए हैं। जिन्होंने एनीमेटेड कार्टून की दुनिया में हलचल मचा दिया है कार्टून नेटवर्क डिज्नी चैनल जैसे कई चैनल है जो नए नवेले कार्टून किरदारों को लाते रहते हैं।

बच्चों पर पड़ता है कार्टून कैरेक्टर का नकारात्मक प्रभाव

बहुत अधिक कार्टून देखने के कारण बच्चों के डेवलपमेंट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा कई रिसर्च में सामने आया है। 
कई माता-पिता से जब बात की गई तो इस बारे में  उन्होंने बताया कि उनके बच्चे ऐसी हरकत करते हैं  जो कि किसी भी नजरिए से इन बच्चों के लिए उचित नहीं है।
 बच्चों के कोमल मन पर इन कार्टून कैरेक्टर का प्रभाव नकारात्मक पड़ता है। चाइना का  कार्टून करैक्टर डोरेमोन  हमेशा गैजेट पर निर्भर रहता है। बच्चे उस काल्पनिक दुनिया को  ही सच मान लेते हैं।नोबिता का आलसी होना और हमेशा डोरेमोन पर निर्भर रहना, बच्चों पर गलत प्रभाव डालता है।
 जापान का शिनचेन करैक्टर 5 साल का है। यह केरैक्टर बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर लेता है, जो कि बच्चों की उम्र से बहुत अधिक बोल्ड बातें करता है। ऐसे में इस कैरेक्टर को देखने वाले बच्चे  उन बातों को सीख जाते हैं, जिन्हें उनकी समझ भी नहीं होती है। इस तरह बच्चा भी उम्र से अधिक अनर्गल बातें करने लगता है और हिंसक स्वभाव के हो जाते हैं।
जंक फूड को बढ़ावा देने वाले कई ऐसे कार्टून कैरेक्टर हैं, जो जंक फूड खाने से ताकतवर हो जाते हैं। ऐसा बच्चों के दिमाग में इन कैरेक्टर के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है।


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  1. लगभग 90 साल का हो गया है माउस।
  2. तीन पीढ़ियों के साथ जो कार्टून साथ रहा है आज ही उसे देख कर बच्चे जवान बूढ़े सब खुश हो जाते हैं।
  3.  मिकी माउस कैरेक्टर को बनाया है डिज्नी वाल्ट ने।
  4. लाल पैंट, पीले जूते, सफेद दस्ताने पहनने वाला यह चूहा हमेशा मुस्कुराता दिखता है। 
  5. आधिकारिक तौर पर यह किरदार पहलेपहल साल 1928 में 18 नवंबर के रोज ही दिखा था। 
  6.  साल 1929 से 1946 के बीच मिकी और मिनी के आवाज के पीछे वॉल्ट डिजनी थे।
  7. मिकी माउस के निर्माण के लिए वॉल्ट डिज्नी को साल 1932 में ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
  8. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों की सेनाओं के खुफिया अफसरों ने ‘मिकी माउस’ नाम को बतौर पासवर्ड इस्तेमाल किया था।
  9. मिकी माउस दुनिया के इतिहास का ऐसा पहला कार्टून किरदार है, जिसने बोलना शुरू किया।
  10.  मिकी द्वारा बोला गया पहला शब्द ‘हॉट डॉग’ था।
  11. डिज्नी द्वारा बनाई गई फिल्मों में पहला गाना ‘यू हू’ था। इसे मिनी पर फिल्माया गया था।
  12. मिकी कार्टून किरदार के निर्माण की सबसे अलग बात यह है कि वॉल्ट डिज्नी खुद ही चूहों से डरते थे। इसके बावजूद उन्होंने इस किरदार को ऐसा बनाया
  13. मिकी माउस के दिखने वाले कान भले ही टेढ़े दिखाई देते हों मगर वे हमेशा गोलाकार होते हैं।
  14. वाल्ट डिज्नी ने इन्हें पहलेपहल ‘मोरटाइमर हाउस’ का नाम दिया था। उनकी पत्नी ने उन्हें यह नाम रखने के लिए कन्विंस किया।
  15. हॉलीवुड के वॉक ऑफ फेम में शिरकत करने वाले पहले कार्टून किरदार का नाम मिकी माउस है.
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