Last Updated on September 30, 2019 by Abhishek pandey
Akele rahne wale bacche Kyon Bigad Jaate Hain
Akele Rahane wale bacche Aakhir Kyon Bigad Jaate Hain जो बच्चे इकलौते या अकेले होते हैं, ऐसा माना जाता है कि उनके अंदर सामाजिक गुण उतना विकसित नहीं हो पाता। लेकिन ऐसा क्या सभी बच्चों के साथ होता है जो अकेले माता-पिता के साथ पल रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि आज का समय कोई किसी को समय नहीं दे पाता है। सभी अपने निजी जीवन में ही व्यस्त रहते हैं फिर भी जिनके माता-पिता कामकाजी हैं तो उनके बच्चे का लालन-पालन किस तरह से हो पाता है क्या उनके पेरेंट्स उनको पर्याप्त समय दे पाते हैं या वह फैमिली जहां पर माता पिता के साथ उनके चाचा चाची दादा-दादी आदि रहते हैं ऐसी जॉइंट फैमिली में बच्चे ज्यादा सामाजिक होते इन बातों की जानकारी आइए जाने रिसर्च के माध्यम से-
बचपन के दिन बड़े सुहावने और मौज मस्ती वाले होते हैं। अकेले रहने वाले बच्चों पर नेगेटिविटी थिंकिंग का प्रभाव पड़ता है, जिनसे उनके सोचने के तरीके में नकारात्मकता आ जाती है। लेकिन इसके विपरीत, जो बच्चा अपने भाई या बहन के साथ बड़ा होता है, वे बच्चे नकारात्मक एक्टिविटी से दूर रहते हैं। उनमें अकेलापन डर और शर्मिला कम ही देखा जाता है। उनके भाषा का विकास बहुत तेजी से होता है क्योंकि उनके साथ उनके भाई या बहन अपने सुख-दुख और भावनाओं को बखूबी बाँटते हैं।
इसकी तुलना में अकेले रहने वाला बच्चा, जिसके भाई या बहन नहीं है। वह नकारात्मकता की ओर जा सकता है। ऐसी स्थिति में अकेलापन डर और शर्मिलापन होने की संभावना होती है। जो कि डिप्रेशन की ओर ले जा सकता है। यही डिप्रेशन किसी विशेष चीज से नफरत करना सिखा सकती है। कुछ मामलों में इंसान खुद को नुकसान भी पहुँचा सकता है।
लेकिन ऐसे बच्चे जो घर में भाई या बहन के साथ रहते हैं, कहने का मतलब यह है कि वे बच्चे जो अपने उम्र के साथ भाई या बहन के साथ बढ़ते हैं, उनमें चीजों के प्रति सकारात्मकता होती है।
अकेले रहने वाले बच्चों की तुलना में भाई बहन के साथ बड़े होने वाले बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सफल होते हैं।
जिन लोगों के भाई या बहन होते हैं, वे आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं। अपनी छोटी-मोटी समस्याओं को स्वयं ही सुलझा पाते हैं। भाई बहनों के बीच में प्रेम की भावना उनके व्यवहारों में सकारात्मकता लाती है। जो उनके भावी जीवन में सफलता का आधार बनता है। भाई-बहन के बीच में बहस झगड़ा होना रूठना और मनाना यह सब चलता रहता है।
रिसर्च हुआ खुलासा
ब्रिघम यंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने 395 फैमिली पर एक रिसर्च किया। इस रिसर्च की मुख्य बात यह थी कि जिनके एक से ज्यादा बच्चे थे, उनमें से एक बच्चा 10 साल या इससे कम उम्र का था।
आंकड़े इकट्ठा करते समय प्रोफेसर ने इस बात पर ध्यान दिया की छोटी या बड़ी बहन होने से उन बच्चों में बुरी आदतों या बुरे व्यवहार नहीं पाए गएँ।
इस रिसर्च में इस बिंदु पर गौर किया गया कि जब ऐसे भाई-बहन वाले बच्चों के बीच में आपस में बहस होती है, तो छोटी-मोटे नोकझोंक होने के बाद अपने भावनाओं को वे नियंत्रित करने का हुनर सीखते हैं।
रिसर्च से साबित हो गया कि अकेले बचपन गुजार रहे बच्चे बुरे व्यवहार और नकारात्मक सोच के शिकार हो सकते हैं, लेकिन अपने भाई-बहनों के बीच में रह रहे बच्चे अपनी भावनाओं को अपनी बातों को अच्छी तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। उनके अंदर भाषाई विकास और सामाजिकता का विकास बहुत तेजी से होता है।
यह भी पढ़ें
Author Profile
-
Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
newgyan.com Blog include Career, Education, technology Hindi- English language, writing tips, new knowledge information.
Latest entries
- DayApril 24, 2024Vishva Panchayat Divas विश्व पंचायत दिवस क्यों मनाया जाता है? GK
- Hindi English words meaningsApril 9, 2024पोटेंशियल सुपर पावर का अर्थ हिंदी में और भारतीय राजनीति में इसका महत्व
- Career NewsApril 5, 2024cbse skill education : सीबीएसई स्कूलों में स्किल एजुकेशन शुरू, छात्र मेन सब्जेक्ट के साथ पढ़ सकते हैं AI
- CBSEApril 5, 2024सीबीएसई पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव 10वीं 12वीं के पाठ्यक्रम को डाउनलोड करें