भारत के विकास में नई एजुकेशन सिस्टम बहुत जरूरी है क्यों
New education policy 2020
नई शिक्षा नीति विश्लेषणात्मक बातों का जवाब देता यह लेख खास आपके लिए है। न्यू ज्ञान वेबसाइट (New Gyan )आपको हमेशा हिंदी भाषा में ज्ञान से आपको अपडेट रखता है।
भारत सबसे अधिक तेजी से इंटरनेट यूज करने वाला देश है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, जहां इंटरनेट यूज़र सबसे अधिक है। सवाल ये उठता है कि आखिर जिस तरह से हम टेक्नॉलॉजी में आगे बढ़ रहे हैं, क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था भी उस टेक्नॉलॉजी के अनुसार अपडेट हो रही है कि नहीं?
न्यू शिक्षा नीति (new education policy) को समझने के लिए भारत में शिक्षा (education) के विकास को समझने के लिए यह लेख पढ़ना आपके लिए बहुत जरूरी है?
अगर आप एक छात्र हैं तो भी पढ़ें क्योंकि नई शिक्षा नीति में किस तरह के बदलाव हुए हैं, इन्हें जानना जरूरी है।
अगर आप एक शिक्षक हैं तो आपके लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एक शिक्षक ही सही नजरिए से किसी शिक्षा नीति को सफल बना सकता है इसलिए आपको पढ़ना भी जरूरी है।
अगर आप पेरेंट्स है तो भी यह जानना जरूरी है कि नई शिक्षा नीति और हमारे देश में नई शिक्षा प्रणाली, क्यों इतनी जरूरी है? आखिर कैसे हम इस नई शिक्षा नीति से आगे बढ़ सकते हैं?
नई शिक्षा नीति को कब मंजूरी दी गई?
मोदी सरकार की 2014 के मेनिफेस्टो में नई शिक्षा नीति लाने की बात की गई थी।
नई शिक्षा नीति 2020 का ड्राफ्ट 29 जुलाई को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है। यानी इस नीति को 29 जुलाई 2020 को मंजूरी मिल गई अब इसे लागू करना है।
क्या है नई शिक्षा नीति?
What is the new education policy?
नई शिक्षा नीति एक ऐसी शिक्षा नीति है, जो भारत में सन 2020 में लाई गई है। इस नीति के अनुसार भारत में प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर की शिक्षा व्यवस्था कैसी होगी, इसके बारे में चर्चा की गई है।
अब तक चली आ रही पुरानी शिक्षा नीति के अनुसार पढ़ाई हो रही थी। लेकिन अब नई शिक्षा नीति, जो सन 2020 में आई है, इसे लागू किया जाएगा।
भारत में नई दिशा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस नीति में छात्रों में व्यावहारिकता और कुशलता विकसित करना प्रमुख उद्देश्य है।
यह न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के नाम से जाना जाता है।
यह नई शिक्षा नीति मोदी सरकार लेकर आई है। जिसे नई शिक्षा नीति कहा जाता है।
किसने बनाई नई शिक्षा नीति?
Who made the new education policy
31 अक्टूबर 2015 को सरकार ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रह्मण्यन को नई शिक्षा नीति बनाने के लिए कहा। इनकी अध्यक्षता में 5 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 27 मई, 2016 को दिया।
नई शिक्षा नीति का किसने ड्राफ्ट तैयार किया?
#Who drafted the new education policy?
फिर 24 जून, 2017 को ISRO के प्रमुख रहे वैज्ञानिक के कस्तूरीगन की अध्यक्षता में नौ सदस्यों की कमेटी को नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
उन्होंने 31 मई, 2019 को ये ड्राफ्ट एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को सौंप। इसके बाद इस ड्राफ्ट पर एचआरडी मिनिस्ट्री ने भारत की जनता से सुझाव मांगे। दो लाख से ज्यादा सुझाव आए और उन सुझाव के पढ़ने के बाद 29 जुलाई को केद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी।
भारत में कितनी शिक्षा नीति आ चुकी हैं?
#How many education policies have come in India?
भारत में सबसे पहली शिक्षा नीति प्रोफ़ेसर डीएस कोठारी की अध्यक्षता में बनी। इनके कई सुझावों को उस समय नजरअंदाज कर दिया गया।
20 साल बाद यानी सन 1986 में भारत की दूसरी नई शिक्षा नीति आई। इस नीति को लागू करने में 6 साल की देरी कर दी गई और 1992 में इसे लागू किया गया।
नई शिक्षा नीति सन 2020 में यानी 34 साल बाद लागू होगी/ हुई।
नई शिक्षा नीति में सबसे बड़े बदलाव क्या-क्या हैं?
मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।
जब भारत आजाद हुआ था तो उस समय से सन 1985 तक एचआरडी मंत्रालय शिक्षा नाम से जाना जाता था और इसके मंत्री को शिक्षा मंत्री कहा जाता था।
लेकिन सन् 1985 में जब राजीव गांधी की सरकार आई तो उन्होंने इस विभाग का नाम मानव संसाधन विकास मंत्रालय रख दिया। नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा मंत्रालय के रूप में फिर से जाना जाएगा।
मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट सिस्टम का क्या मतलब है?
#What does multiple entry and exit system mean?
इस सिस्टम के जरिए छात्रों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ में कुशलता को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसे मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट सिस्टम कहा जाता है।
इसका मतलब यह है कि कोई छात्र इंजीनियरिंग में प्रवेश लेता है और वह पहले साल पढ़ाई करके छोड़ देता है तो उसकी 1 साल की पढ़ाई खराब नहीं होगी बल्कि उससे 1 साल का सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
अगर कोई छात्र किसी कारण से 2 साल की पढ़ाई करके छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा का सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
अगर वह 3 साल की पढ़ाई कंप्लीट करता है तो उसे डिग्री सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
इस तरह से शिक्षा में लचीलापन का फायदा छात्रों को किसी कारण से पढ़ाई छोड़ने पर उसे कार्य कुशलता से जोड़ने के लिए सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
नई शिक्षा नीति में क्रेडिट ट्रांसफर क्या है?
#What is credit transfer in new education policy?
इस व्यवस्था में यदि छात्र कहीं और एडमिशन लेता है तो उसका रिकॉर्ड कंसीडर किया जाएगा। इसे सरकारी पॉलिसी में क्रेडिट ट्रांसफर कहा जाता है। आपका कोर्स पूरा नहीं किया लेकिन जितना किया उसका क्रेडिट आपको मिल जाएगा।
नई शिक्षा नीति में स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई किस तरह की होगी?
#What kind of graduation and postgraduate studies will be done in the new education policy?
इस समय बीए, बीएससी जैसे ग्रेजुएशन कोर्स 3 साल के होते हैं। पर नई शिक्षा नीति में यह विकल्प बदल जाएगा।
अगर आप नौकरी पाने के लिए पढ़ रहे हैं तो उनके लिए ग्रेजुएशन 3 साल का होगा।
लेकिन जो रिसर्च करना चाहते हैं, उनके लिए ग्रेजुएशन 4 साल का होगा।
फिर उसके बाद 1 साल पोस्ट ग्रेजुएशन का होगा। इसके बाद 4 साल की पीएचडी होगी।
एमफिल का कोर्स खत्म कर दिया गया है।
नई शिक्षा नीति में मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन क्या है?
#What is multi-disciplinary education in the new education policy?
मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन का मतलब होता है कि अब छात्रों के लिए साइंस और आर्ट जैसी स्ट्रीम नहीं होगी बल्कि वे अपने मन से चाहे कोई भी सब्जेक्ट चुन सकते हैं।
वह चाहे तो साइंस के साथ कला के सब्जेक्ट भी चुन सकते हैं। अब इसमें कोई बंधन नहीं होगा।
इसे और सरल ढंग से समझा कि अगर कोई ग्रेजुएशन में फिजिक्स लेकर पढ़ रहा है लेकिन उसकी रूचि म्यूजिक में भी है तो वह साथ में म्यूजिक सब्जेक्ट लेकर भी पढ़ सकता है।
हर सब्जेक्ट के दो टाइप के होंगे- पहला मेजर सब्जेक्ट व दूसरा माइनर सब्जेक्ट्स। जैसे- फिजिक्स माइनर, फिजिक्स मेजर। इसी तरह से और सब्जेक्ट भी रहेंगे।
कालेजों को ग्रेटर ऑटोनॉमी दी जाएगी
अभी इंवर्सिटी से एफिलेटेड कई कॉलेजों की परीक्षाएं यूनिवर्सिटी कराती थी लेकिन अब कॉलेज खुद परीक्षा करवा सकती है इसकी छूट दी जाएगी।
नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा में सिंगल रेगुलेटर क्या है?
उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेग्युलेटर बनाया जाएगा। जैसे वर्तमान में यूजीसी, एआईसीटीई जैसी कई संस्थाएं हायर एजुकेशन के लिए हैं। अब इन्हें एक करके एक ही रेगुलेटर अथॉरिटी बना दिया जाएगा। एक सिंगल रेगुलेटर बॉडी भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा। सिंगल रेग्युलेटर बॉडी भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन किया जाएगा। लेकिन मेडिकल और ला के लिए अलग रेगुलेटर बॉडी बनाया जाएगा।
हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।
देश की सभी युनिवर्सिटी के लिए एजुकेशन सिस्टम इन स्टैंडर्ड एक तरह के होंगे।
कोई प्राइवेट कॉलेज भी कितनी अधिकतम फीस ले सकता है, इसके लिए फीस कैप तय होगी।
रिसर्च प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए अमेरिका की तरह नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाया जाएगा। यह साइंस के अलावा आर्ट्स के विषयों में भी रिसर्च प्रोजेक्ट्स को फंड देगा।
आईआईटी, आईआईएम के की तरह बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) स्थापित किए जाएंगे।
शिक्षा में टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल, शैक्षिक योजना, प्रशासन और प्रबंधन को कारगर बनाने तथा वंचित समूहों तक शिक्षा को पहुंचाने के लिए एक स्वायत्त निकाय राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (NETF) बनाया जाएगा।
दुनिया के टॉप विश्वविद्यालय को अपने देश में कैंपस खोलने के लिए बुलाया जाएगा।
स्कूलों में क्या बदलेगा?
नई शिक्षा नीति में नर्सरी से 12 तक की पढ़ाई कैसे होगी?
इस समय स्कूली सिस्टम 10th प्लस टू है जिसे समाप्त कर दिया जाएगा। नए सिस्टम को 5+3+3+4 बताया गया है।
मल्टी स्ट्रीम पढ़ाई क्या है?
स्कूल के अंतिम 4 साल यानी नौवीं से 12वीं तक की पढ़ाई को एक तरह माना (equal) गया है। इसमें सब्जेक्ट की गहराई से पढ़ाई होगी। लेकिन खास बात यह है कि स्ट्रीम चुनने की आवश्यकता यहां पर नहीं होगी बल्कि छात्र मल्टी स्ट्रीम (multi streem) पढ़ाई कर सकेंगे।
फिजिक्स की पढ़ाई करने वाला हिस्ट्री लेकर भी पढ़ सकता है या चाहे तो वह म्यूजिक या गेम को लेकर पढ़ सकता है। इसे एक्स्ट्रा सब्जेक्ट में नहीं बल्कि मेन सब्जेक्ट में गिना जाएगा।
नई शिक्षा नीति में कैसी होगी परीक्षा प्रणाली
स्कूली शिक्षा में बच्चे 3, 5 और 8 की स्कूली परीक्षा देंगे। कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए बोर्ड परीक्षा जारी रहेगी लेकिन इसका स्वरूप और पैटर्न बदल जाएगा इसके आकलन के लिए एक नई संस्थान स्थापित किया गया है जिसका नाम है- परख।
नई शिक्षा नीति में प्ले स्कूल क्या है?
3 से 6 साल के बच्चों को अलग पाठ्यक्रम तय होगा, जिसमें उन्हें खेल के तरीखों से सिखाया जाएगा। इसके लिए टीचर्स की भी अलग ट्रेनिंग होगी।
कक्षा 1 से 3 तक की पढ़ाई
नई शिक्षा नीति में इस बात पर खास जोर दिया जाएगा कि कक्षा 1 से 3 तक के छात्र भाषा को पढ़ना और लिखना अच्छी तरीके से जान जाए। 6 साल से 9 साल तक के इस उम्र में इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि बच्चा पढ़ना लिखना सही तरीके से सीख जाए इस बात पर किसी तरह की लापरवाही सही नहीं रहेगी इसलिए इस शिक्षा नीति में नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा।
बच्चों को कुशल बनाया जाएगा?
बच्चों में काम की कुशलता लाने के लिए कई शिक्षाविदों ने सुझाया है कि बच्चों को स्कूल मल्टीस्किल भी सिखाया जाए। नई शिक्षा नीति में इसे अपनाया गया है।
कक्षा 6 से छात्रों को बकायदा वोकेशनल कोर्स की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए उन्हें किसी कारपेंटर या लॉन्ड्री में इंटरशिप भी करनी हो सकती है। उन्हें कोडिंग सिखाया भी जाएगा। जो भी प्रोजेक्ट कार्य होगा वह लर्निंग बेस्ड होगा। एक तरह से शिक्षा को प्रेक्टिकल बनाया जाएगा ताकि बच्चा परफैक्ट बन सके।
कैसा होगा स्कूली बच्चों का सिलेबस?
नई शिक्षा नीति में स्कूलों के सिलेबस में बदलाव किया जाएगा। नए सिरे से पाठ्यक्रम फिर से लिखे जाएंगे और सारे देश में एक जैसे पाठ्यक्रम होंगे। कम से कम पांचवीं क्लास तक बच्चों को उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जा सके।
भारतीय पारंपरिक भाषा और साहित्य भी विकल्प के रूप में पढ़ाया जाएगा। स्कूली शिक्षा शुरू करने से पहले बच्चों को क्या सिखाया जाए इसके लिए पैरंट को भी शिक्षित किया जाएगा।
न्यू एजुकेशन सेेेेेेे संबंधित लेख पढ़िए
बहुत ही बेहतरीन लेख और समझदारी से समझाया गया है