भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अन्‍ना की मुहिम जारी

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भ्रष्‍टाचार corruption की मुहिम जारी है। अन्‍ना का आन्‍दोलन इस बार सख्त तेवर में सामने आ रहा है। 25 तारीख को जंतर मंतर दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ शहीद हुए परिजन के साथ यहां एक दिन का सांकेतिक अनशन किया गया। जिसका मकसद साफ था कि मजबूत जनलोकपाल को संसद में पारित करवाना। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई हर हिन्‍दुस्‍तानी की है। आज हम जिस तरह से भ्रष्‍टाचार से दो–चार अपनी रोजाना कि जिंदगी में होते हैं लेकिन अन्‍ना के भ्रष्‍टाचार corruption के खिलाफ मुहिम ने हमारी सोच को बदल दिया है। और हम भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आज एक साथ खड़े हैं।

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मीडिया ने निभाई जिम्‍मेदारी


एक आम भारतीय को दो वक्त की रोजी रोटी के लिए ही पूरी जिंदगी मेंहनत करने में लगा देता है। लेकिन सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्ट ब्‍यूरोकेट्स और नेता आसानी से लाखों करोड़ों बना लेते है। हमें तो अब अश्‍चर्य करने की जरूरत भी नहीं कि देश में इतने घोटाले होते है। आश्चर्य तो यह है कि वास्तव में यह सिलसिला कब से चल आ रहा है। आखिर अब तक पता कैसे नहीं चला जाहिर हमारी मीडिया और जनता ने इस तरह के घोटालों को सामने लाकर रखा है। अन्‍ना हजारे का मुहिम भ्रष्‍टाचार के खिलाफ हमारी आंखें खोल दी हैं। मीडिया की भूमिका प्रशंसनीय है जोकि भारत को खोखला कर देने वाले इन घोटालों को समाज के सामने बड़ी बेबाकी से रखा। कहीं कहीं तो जांच एजेंसी की तरह जांच पड़ताल की और तथ्‍यों को जुटाया लेकिन फिर भी हमारी सरकार ने कोई ठोस कदम उठाने की अभी तक सूझी नहीं।

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आखिर क्यों नहीं उठया जाता कोई ठोस कदम


देखा जाए तो इस तरह एक के बाद घोटालों का सामने आना सरकार के मंत्रियों का जेल जाना। वास्तव में सरकार पारदर्शी होने के दावों को खोखला करती है। आखिर हम लोकतंत्र में अपनी आवाज उठाते हैं पर उस पर कोई नोटिस क्‍यों नहीं होती हैॽ यह सवाल हमारे लिए सबसे बड़ा है। जब आखिर हमारे देश की बुनियादी जरूरतों जैसे शिक्षा जल सड़क बिजली आदि के संसाधन की जरूरत है लेकिन हजारों करोड़ों रूपये के इन घोटालों के कारण हम उन लोगों तक उचित सुविधाएं नहीं पहुंचा पाते है जिन्‍हें जल भोजन शिक्षा रोजगार की आवश्‍यकता है। अवैध खनन में आखिर सरकारें चुप क्‍यों रहती है। देश के संसाधन से खनन माफिया के हौसले बुलन्द है।

ऐसे में इन्‍हें रोकने वाले ईंमानदार आफिसर इनकी नाराजगी का शिकार होते है जिन्‍हें इनकी ईंमानदारी की कीमत इन्‍हें अपनी जान चुकाकर देनी पड़ती है। और हम तो केवल घर में बैठे सोच में पड़ जाते हैं कि हमारा देश आज माफियाओं के हाथ में है। कहां गई सरकार क्‍यों नहीं रोकती इन संसाधनों की चोरी कोॽ क्‍या ट्रक भर भरकर ले जाते हुए गिट्टी बालु कोयला दिखता नहीं है। या दीखता है तो बस आखें मूंद लिया जाता है। अगर ऐसा है तो साफ है इन माफियों से समझौता करके लाखों रूपये सरकारी नुमाइंदें और नेता मंत्री कमाई करते हैं।

जिम्मेदारी किसकीॽ


जब देश में भ्रष्‍टाचार इस कदर तक फैला हुआ है कि इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों के खिलाफ भ्रष्‍टाचारी इनके जान के दुशमन बन जाते है। और हमारा नकारा तंत्र बस देखता रहता है। जब जिन पर देश की जिम्मेदारी है वही अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझते हैं तो इस तरह भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे बाबा रामदेव और भारत की जनता को समाने आना होगा नहीं तो यह भ्रष्‍टाचार का यह नासूर हमारे देशा को खोखला कर देगा। अगर हम नहीं चेते तो इस भ्रष्‍टाचार के तंत्र में उस गरीब मतदाता ठगा सा रह जाएगा जिसने उस सरकार ने चुनाव मे बड़े बड़े वादे कर देश के विकास के सपने दिखाए लेकिन भ्रष्‍टाचारियों ने उसके सपने चूर चूर कर दिया।

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