बुद्ध जयंती Budha janam Diwas, Buddha Purnima : बुद्ध जयंती का महत्व, निबंध, भाषण Buddh Purnima Buddh Jayanti importance in Hindi,
वैशाख की पूर्णिमा का बड़ा महत्व हमारी संस्कृति में है। इसी दिन ऐतिहासिक पुरुष, महात्मा तथागत यानी बुद्ध का जन्म हुआ था। भारतीय संस्कृति और इतिहास के सबसे बड़े आइकॉन महात्मा बुद्ध हैं।
5 मई 2023 को बुद्ध पूर्णिमा के इस अवसर पर बुद्ध जयंती का महत्व, बुद्ध जयंती पर निबंध, भाषण और उनसे जुड़ी जानकारी के बारे में इस लेख को लिखा जा रहा है। Buddh Purnima पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, इस पवित्र दिन 563 ईसा पूर्व वैशाख पूर्णिमा के पवित्र दिन में बुद्ध का जन्म हुआ था।
Buddh Purnima : बुद्ध जयंती का महत्व, निबंध, भाषण के बारे में यहां पर नॉलेज के अलावा बुद्ध जयंती के महत्व, निबंध, भाषण दिया गया, जो आपकी परीक्षा और स्कूल विद्यालय संस्थान आदि में निबंध लिखने या भाषण कहने के लिए उपयोगी है।
बुद्ध कौन थे?
वैशाख महीने की पूर्णिमा जो 5 मई 2023 को है, इस दिन बड़ी धूमधाम से बुद्ध पूर्णिमा यानी बुद्ध की जयंती मनाई जाएगी।
आज से लगभग 2600 (563 ईसा पूर्व) पहले नेपाल के लुंबिनी में एक बालक का जन्म हुआ जिसका नाम सिद्धार्थ रखा गया।
सिद्धार्थ ज्ञान प्राप्त करने के बाद तथागत और बुद्ध के नाम से जाने गए।
इसके बाद 528 ईसा पूर्व बैशाख की पूर्णिमा को ही बिहार के बोधगया में वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ। ज्ञान (केवल्य) प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपने धम्म-मार्ग को स्थापित करने के लिए अपनी शिक्षाओं का प्रसार प्रचार करने लगे। जनमानस को सांसारिक दुखों और जीवन संघर्ष से जूझने की सीख दी। उनकी की सच्ची शिक्षाओं के प्रभाव से उनके कई शिष्य और अनुयाई बन गए। उस समय के मनुष्य को जीवन जीने का मार्ग मिल गया।
बुद्ध की शिक्षाएं
बुद्ध का दृष्टिकोण वैज्ञानिक था। उन्होंने ईश्वर के रूप का खंडन किया और इंसान को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए निर्वाण प्राप्त करने की शिक्षा प्रदान की। उनकी शिक्षा नैतिक मूल्यों पर आधारित वैज्ञानिक दृष्टि से उत्तम जीवन जीने की सबसे बेहतरीन कला थी इसलिए पूरी दुनिया के बुद्धिजीवी और देशों के नागरिकों ने उनके शिक्षा को अपनाया। शांति अहिंसा के प्रतीक बुद्ध पूरी दुनिया में आज छाए हुए हैं।
माना जाता है कि कुशीनगर में 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने देह त्याग दिया। देह त्यागने के बाद उनकी अस्थियां आठ भागों में बांट कर आठ स्तूप बनाए गए और उन स्तूप में उनकी अस्थियां रख दी गईं।
budh का महत्व
भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकतर देशों में बुद्ध के महिमा का गुणगान होता है। प्राचीन समय से पूरी दुनिया में बुद्ध के शिक्षाओं का प्रचार प्रचार पहुंचा और कंबोडिया जापान चीन जैसे देशों में बुद्धि का ज्ञान धम्म मार्ग के रूप में पहुंचा, इसीलिए बुद्ध को लाइट ऑफ एशिया कहा जाता है।
तकरीबन एशिया के सभी देशों में बुद्ध की महिमा का गुणगान है। भारत के नेपाल के लुंबिनी क्षेत्र में सिद्धार्थ के नाम से जन्म लेने वाले राजकुमार का बुद्ध बनने का सफर त्याग समर्पण और ज्ञान की जिज्ञासा से शुरू होता है।
बुद्ध ने सांसारिक जीवन के भोग-विलास को त्यागकर ज्ञान के मार्ग को प्राप्त कर पूरी दुनिया को जीवन जीने के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक राह प्रदान किया है।
उन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त किया। अपनी शिक्षाओं के माध्यम से उन्होंने प्राणी मात्र को जीवन जीने की कला सिखाई है। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव पूरी दुनिया में पड़ा है, इस कारण से उन्हें महात्मा बुद्ध और भगवान बुद्ध के नाम से भी पुकारा जाता है।
बुद्ध की शिक्षाओं में वैज्ञानिक अवधारणा और ज्ञान-विज्ञान और तर्क है, इसी कारण से अधिकांश देशों ने बुद्ध की शिक्षाओं और उनके मार्ग को अपनाया है।
Buddha birthday Buddh jayanti बुद्ध जयंती
5 मई, 2023 को बैशाख की पूर्णिमा है, इस दिन Budha जयंती धूम-धाम से मनाई जाएगी।
भारतीय संस्कृति के महान ज्ञानी पुरुष, ऐतिहासिक पुरुष जिनके धम्म मार्ग को पूरी दुनिया ने अपनाया है।
पाली भाषा में बुद्ध के दिए गए उपदेश और शिक्षाएं, हमें मनुष्यता के मार्ग पर चलने की सीख देती हैं।
भारत में लुंबिनी, वाराणसी और गया महाबोधी मंदिर, श्रीलंका के बौद्ध मंदिरों में इसके अलावा जापान कंबोडिया वियतनाम दक्षिण एशिया के प्रमुख देशों में बड़ी धूमधाम से बौद्ध जयंती मनाई जाती है। शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख देने वाले बुद्ध दुनिया में सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्तित्व है।
बुद्ध जयंती के अवसर पर भाषण निबंध
essay writing and speech writing in Buddh Purnima the birth of Buddha.
सभी लोगों को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक बधाई। बुद्ध जयंती के अवसर पर बुद्ध के विषय पर भाषण और निबंध आपके लिए उपयोगी है। Buddha Jayanti speech in Hindi
स्कूल में बुद्ध जयंती पर बोला जाने वाला छोटा भाषण
A short speech in Hindi language on the occasion of birth anniversary in school and college.
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय
आदरणीय शिक्षकगण एवं प्रिया सहपाठियों!
बुद्ध जयंती के अवसर पर मुझे भाषण करने का अवसर प्राप्त हुआ है, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में बुद्ध के बारे में कौन नहीं जानता है।
भारत की धरती से उत्पन्न होने वाला यह महान सितारा, जिन्हें पूरी दुनिया गौतम बुद्ध के नाम से जानती है।
जिन्होंने इस पूरी दुनिया को सत्यता और अहिंसा के मार्ग पर चलने की शिक्षाएं दी।
563 ईसा पूर्व नेपाल के लुंबिनी में महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था।
राजशाही परिवार में पले बढ़े सिद्धार्थ ने भोग-विलास को छोड़कर जीवन के रहस्य को जानने के लिए घर का त्याग कर जंगल-जंगल घूमने लगे। जीवन को समझने और जानने की उनकी खोज बोधगया में समाप्त हुई।
बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगा कर बैठ गए और एक दिन उन्हें ज्ञान (पालि भाषा में ज्ञान को केवल कहा जाता है।) प्राप्त हुआ, इस घटना के बाद वे बुद्ध कहलाए। उन्होंने सबसे पहले सारनाथ स्थान पर अपने शिष्यों को पहली शिक्षा बुद्ध बनने के बाद प्रदान की।
बुद्ध ने लोगों को उपदेश दिया। उन्होंने कहा दुख यह संसार है लेकिन इस दुख का कारण और निवारण है।
इसके लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा ना करने की सीख दी।
महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं केवल भारत में ही नहीं पूरे दक्षिण एशिया तक पहुंची।
आज 26 सौ साल बाद भी बुद्ध की धरती भारत से लेकर चीन, जापान, श्रीलंका वियतनाम, कंबोडिया सभी जगह बुद्ध की शिक्षाएं, ज्ञान और विज्ञान तर्क की कसौटी में कसकर पूरी दुनिया में फैल गई।
- झगड़ा नहीं करना,
- हत्या-पाप से दूर रहना,
- सदा सत्य बोलना,
- जीवों पर दया करना,
- दिखावा झूठ आडंबर से दूर रहना
- किसी भी चीज को इसलिए सही नाम मान लो कि किसी ने कहा है बल्कि अपने तर्क की कसौटी में उसे कसकर ज्ञान प्राप्त करके उसे अनुभव में उतारकर ही उस चीज को जानना चाहिए।
- तार्किक सोच और विज्ञान की दृष्टि का विकास उन्होंने किया उनका ज्ञान बौद्ध दर्शन के अंतर्गत आता है।
- दर्शन के अंतर्गत बौद्ध दर्शन जीवन की सच्चाई के पहलुओं को सामने लाता है।
- इसी जीवन में रहकर निर्वाण प्राप्त से यानी कि जीवन को सच्चा बनाने की बात बौद्ध (धम्म) मार्ग में की जाती है।
जैसे इनकी शिक्षा ने मनुष्य को वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान किया है।
बौद्ध मार्ग से प्रभावित हुए सम्राट असोक
बुद्ध की शिक्षाओं ने सम्राट असोक इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने धम्म मार्ग को अपनाते हुए अहिंसा का त्याग कर दिया और धम्म को पूरी दुनिया में फैलाया।
आज बुद्ध की विशाल विशाल मूर्तियां और उनकी शिक्षाएं पूरी दुनिया की सभ्यता बनी हुई है। आइए आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर हम बुद्ध की शिक्षाओं को हासिल करके ज्ञानवान बने। आइए हम बुराइयों को दूर करके बुद्ध की शांति, अहिंसा की बात को पूरी दुनिया तक लेकर जाए, जिससे एक ऐसे विश्व की स्थापना करें, जहां किसी तरह की अहिंसा न हो, कोई गरीब न हो।
आप सभी लोगों को बुद्ध पूर्णिमा के इस अवसर पर ढेरों बधाई और शुभकामना मेरे शब्दों को सुनने के लिए बहुत-बहुत आभार।
बुद्ध मार्ग या बौद्ध धर्म Fact
शिला लेख और साक्ष्य पर आधारित बात करें तो दुनिया का सबसे पुराना बौद्ध-धम्म मार्ग है।
ईसाई और मुस्लिम धर्म के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म बौद्ध धर्म है।
बुद्ध दर्शन को समझना है तो नास्तिक दर्शन को समझना आवश्यक है।
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Conclussion
बुद्ध ने अपनी शिक्षा उस समय की लोकप्रिय भाषा पाली में थी। उनके जीवनकाल में बौद्ध मार्ग बहुत तेजी से लोगों को प्रभावित किया है। लोग ने प्रज्ञा ग्रहण करके बौद्ध मार्गी बन गए। बुद्ध की शिक्षाओं को त्रिपिटक में संकलित किया गया है।
ज्ञान के महत्व और जीवन जीने की सरल कला और नैतिक मूल्यों को बढ़ाने वाले बुद्ध के मार्ग को कोई भी अपना सकता है। बुद्ध ने स्वयं को भगवान नहीं कहा। उन्होंने स्वयं को साधारण इंसान कहा है। बाद में बुद्ध की शिक्षाओं और मार्ग में शाखाएं उत्पन्न हो गए जिसमें से ही हीनयान और महायान प्रमुख हैं। आगे चलकर वज्रयान शाखा में बुद्ध की ढेरों मूर्तियां बनने लगी।
बोधिसत्व की मूर्तियां बनने लगी, जो बौद्ध भिख्खु बौद्धिसत्त्व होते हैं। बौद्ध धम्म पूरी दुनिया में फैला हुआ है। सम्राट अशोक ने इस धम्म को पूरी दुनिया तक पहुंचाया। पाली भाषा में धम्म शब्द का अर्थ मार्ग होता है।
FAQ
Answer – Buddha बुद्ध का पहला नाम सिद्धार्थ था।
Answer- भारत में बौद्ध धर्म या बौद्ध मार्ग की स्थापना बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के बाद हुआ। सारनाथ में उन्होंने अपने कुछ शिष्यों को केवल्य (ज्ञान) प्रदान किया, इसी के साथ बौद्ध धर्म की स्थापना हुई।6 BC में बौद्ध धर्म अस्तित्व में आया।
Answer: एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में 200 से अधिक देशों में बौद्ध धर्म के अनुयाई रहते हैं।
वहीं दुनिया में 20 गणराज्य देशों में बौद्ध धर्म के अनुयाई को की संख्या अधिक है।
Answer बौद्ध धर्म की स्थापना छठवीं शताब्दी ईसा पूर्व बुद्ध के द्वारा हुआ है।
एक जानकारी के अनुसार गौतम बुद्ध ध्यान मुद्रा में विपश्यना (Vipassana) करते थे।यह एक प्राचीन ध्यान (Meditation) विधि है। विपश्यना शाब्दिक अर्थ है। अपनी आत्मा का निरीक्षण करना व आत्मा को शुद्धि करना होता है। सरल अर्थ में इसे देख कर लौटना कहा जाता है। हजारों साल पहले इस ध्यान विधि द्वारा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था।
Answer: बौद्ध धर्म आध्यात्मिक मुक्ति को सर्वोपरि मानता है। यह एक ईश्वरवादी धर्म नहीं है। यहां ज्ञान को महत्व दिया गया है। बुद्ध ने अपने विचारों में ईश्वर को नकारा है। उन्होंने पुनर्जन्म को भी नकारा है।
Answer: एक पक्ष के अनुसार सनातन धर्म था। वहीं इससे दूसरा पक्ष इससे पहले श्रमण परंपरा भी बताते हैं।