मुख्यधारा की कविता के अलावा बची खुची खुरचन कविताएं भी हैं, जो साहित्य का हिस्सा हो सकती है पर आलोचक की नजर नहीें पडती है, यही है पीडि़त, छटपटाती, बाहर से जर्जर लेकिन अंदर से मजबूत कविताएं, उनकी या उनके लिए जो मजबूर है, पिछड़ा है , बिछडा है, असुर है, असुरक्षित है ।
कविता तो एडिशन के उस बल्ब के अविष्कार की तरह है, जो 1000 प्रयोगों के बाद सफल हुआ।
मन से मन और संवेदना के जन्म के बीच शब्दों की सूची मैं बैठी कई अनगिनत कविताएं जन्म लेती है और खत्म होती जाती है। हजार जन्म-मरण के पश्चात; कविता कालजयी एडिशन रोशनी वाले बल्ब की तरह जन्म लेती है।
कविता के एक-एक शब्द का वजन और उसका प्रभाव सोच समझ के रखा जाता है या दिल से उतनी ही वजन के शब्दों में लिखी कविता का जन्म होता है।
लिखने का तरीका आपका लेकिन बयानबाजी, नारा, विज्ञापन कविता नहीं होती है।
करोड़ों दिलों में से कुछ शब्दों में बंधी कविता उन संवेदनशील कवियों के हृदय से निकलती है जो संसार को बिना राग द्वेष से देखते हैं। यही कविता है। बयानबाजी, भड़ास, नारा और उलझी कविता-स्वयं से न्याय नहीं कर पाती; ऐसी कविता किसी विचारधारा के लेखक के द्वारा लिखी जाए, उसकी भर्त्सना की जानी चाहिए, चाहे वह कम्युनिस्ट विचारधारा का हो या कांग्रेसी विचारधारा का या राष्ट्रवादी विचारधारा का। कविता स्वतंत्र है, जनतंत्र है।
कविता प्रस्तुति कथ्य संवेदना शब्दों के चयन आदि की दृष्टि से अचूक होती है और नई संभावनाएं नए बिंब व प्रतीकों से युक्त होती है, इसलिए वहीं कविता लंबे समय तक जीवित रहती है जो इन बातों पर, जो इन तथ्यों पर खरा उतरे।
आप अपनी कविता को लंबा जीवन दें, लिखने से पहले सौ बार सोचे, सौ बार शब्दों को देखें और दूसरे की कविता पाठक की तरह पढें।
तब आपको खुद ही नयी कविता लिखने के लिए नया संघर्ष करना पड़ेगा और इस संघर्ष के बाद जो कविता जन्म लेगी, वह कालजयी कविता होगी।kavitakeyahi