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शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत paragraph education reform in Hindi

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education reform in Hindi: paragraph education reform in Hindi, Hamare Shiksha Niti Mein Sudhar हमारी शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत  के बारे में अनुच्छेद लेखन और भाषण लेखन के लिए उपयोगी है। what is the education system will be improved? how education system paragraph writing in Hindi

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Shiksha Niti Mein sudhar

reform educational system Shiksha Niti Mein sudhar आजकल अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इधर कान्वेंट और पब्लिक स्कूल के नाम पर तेजी से प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं जहिर है कि हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं मीडियम स्कूल में शिक्षा का गिरता स्तर इसके लिए जिम्मेदार है।

वहीं सरकार की ढुलमुल नीति इसके लिए सबसे अधिक दोषी है। (shaikshik vyavastha Mein sudhar kaise ho anuchchhed lekhan)

मातृभाषा में पढ़ाई जरूरी Why is it important to study in mother tongue

Mother tongue education should start from Nursery class. हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी माध्यम के पब्लिक स्कूल की बाढ़ है। कुछ गिनती के अंग्रेजी माध्यम (English medium School) के स्कूलों को छोड़ दे तो बाकी सभी स्कूल में आंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले ऐसे छात्र जिनका अंग्रेजी में पढ़ने का विकास नहीं हो पाता है, ऐसे छात्र कक्षा अपने दूसरे जिसे जैसे विज्ञान और सामाजिक विज्ञान को नहीं समझ पाते हैं क्योंकि उन्हें भाषा की समस्या होती है। education reform in Hindi

भाषा समझ में ना आने के कारण बच्चे हो जाते हैं पढ़ाई में कमजोर

अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई जाने वाली स्टडी मटेरियल यदि उन्हें समझ में नहीं आती है तो ऐसे बच्चे अपनी पढ़ाई में पिछड़ते चले जाते हैं।

आपको बता दें कि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान यदि विकसित नहीं हो पाता है, तो ऐसे बच्चे धीरे-धीरे पढ़ाई में कमजोर हो जाते हैं। यदि मातृभाषा में पढ़ाई बच्चा कर रहा है तो वह अपने पढ़ाई में अव्वल हो जाता है क्योंकि उसे अपनी भाषा में पढ़ाई समझ में आ रही है।

education reform in Hindi

अकसर यह समस्या अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के साथ आती है क्योंकि उनमें से अच्छा है और छात्र अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को ठीक तरीके से अर्जित नहीं कर पाते हैं। इसलिए वह अंग्रेजी भाषा में पढ़ाए गए सामग्री और अध्ययन में पिछड़ते चले जाते हैं।

कई विषयों में उनकी रुचि भी खत्म हो जाती है क्योंकि भाषा के कारण उन्हें समझ में नहीं आता है जबकि ऐसे स्टूडेंट्स को यदि आप मातृभाषा में पढ़ आएंगे तो बहुत जल्द ही वे अपने विषयों में सर्वश्रेष्ठ हो जाते हैं।

self study में होती है समस्या मातृभाषा में पढ़ना जरूरी?

उनका ज्ञान सीमित ही रह जाता है कारण, अंग्रेजी माध्यम की किताबें स्व:अध्ययन (self study) में बाधा उत्पन्न करती है। रिसर्च भी बताते हैं कि प्राईमरी स्तर में अपनी मातृभाषा में पढ़ने से बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं। यही कारण है कि हिंदी भाषा या जिनकी मातृभाषा है वह अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के मुकाबले में तेजी से अपने वातारण से सीखते हैं इसमें सहायक उनकी मातृभाषा के शब्द होते हैं जो उनके शुरूआती दौर में सीखने की क्षमता में तेजी से विकास करता है। यहां इस बात का  अफसोस है कि भारत में अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव के कारण प्राईमरी स्तर में बच्चों को आंग्रेजी माध्यम में शिक्षा दी जाने का चलन जोरों पर है जिस कारण से बच्चे ट्रासंलेशन पद्धति में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

भाषा का खिचड़ी ज्ञान तर्कशक्ति में कमजोर बनाता है

सत्तर के दशक में मातृभाषा में शिक्षा देने वाले शुदृध देशी स्कूलों ने होनहार प्रतिभाएं दी। आजकल तो पब्लिक स्कूल की अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा की तकनीक हिंदी—अंग्रेजी खिचड़ी ज्ञान से की जा सकती है। इस तरह प्राईमरी से जूनियर स्तर तक बच्चा कन्फूजिया ज्ञान ही हासिल कर पाता है। आलम यह है कि अंग्रजी माध्यम में विज्ञान, भूगोल, इतिहास आदि के प्रश्नोत्तर को अंग्रेजी भाषा में रटने की प्रवृति ही बढ़ती है जिससे बच्चों में मैलिकता और रचनात्मकता का अभाव हो जाता है जबकि 6 से 14 साल की उम्र में ही बच्चों में रचनात्मकता का विकास होता है, यहां इनकी रचनात्मकता अंग्रेजी माध्यम की वजह से प्रश्नों के उत्तर देते समय अभिव्यक्ति सार्थक नहीं हो पाती है।

मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं mother tongue study is most important

भारतीय परिवेश में हिंदी भाषा या मातृभषा (mother tongue study) में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र ज्ञान के स्तर से अच्छे होते कारण स्पष्ट हैं कि कक्षा में रूचि पूरे मनयोग से लेते हैं और इसके बाद घर पर स्वअध्ययन (self study) में समय देते हैं। लेकिन मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों के साथ समस्या अंग्रेजी भाषा की शिक्षा में होती है जिस पर अगर ध्यान दिया जाए तो हिंदी माध्यम के छात्र अंग्रेजी के मौलिक ज्ञान को भी प्राप्त कर सकते हैं। इस दिशा पर सरकार कार्य नहीं कर रही है। अंग्रेजी स्पोकेन और उच्चारण संबधित ज्ञान के लिए विषय के रूप में अलग से अ​ब अतिरिक्त कक्षाएं नियमित चलायी जा सकती है।

conclusion

education reform in Hindi; भारतीय शिक्षा पद्धति संक्रमणकाल से गुजर रही है। वह दिन दूर नहीं की आने वाले समय में हम हिंगिलिश ज्ञान वाले युवा की एक नई पीढ़ी सामने देखेंगे, जो अपनी मातृभाषा को हेय (निम्न) दृष्टि से देखेगी। विडंबना यह है कि जो समाज या देश अपनी भाषा व संस्कृति खो देगी तो इसमें काई शक नहीं है कि वह अपनी पहचान और एकता भी खो देंगे। हजारों वर्षों की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता हमारी विरासत है। अपनी संस्कृति और एकता को बढ़ावा देकर यह विश्व पटल पर अपनी नई पहचान बना सकते हैं। छठी शताब्दी ईसा पूर्व बुद्ध के ज्ञान कारण पूरी दुनिया को जाना और समझा छवि बनी हुई है। लेकिन आधुनिक युग के बहाव के कारण हम अपनी संस्कृति को दूषित कर रहे हैं ऐसे में हमें अपनी भाषा व संस्कृति को सम्मान देना चाहिए। निसंदेह हम फिर अपनी पहचान विश्व पटल पर उस गुरु की तरह बना सकेंगे, जो सबको ज्ञान देने वाला होता है।

हम युग निर्माता देश है इसके लिए हमारी सही शिक्षा नीति होनी चाहिए। नई शिक्षा नीति 2020 (new education policy) का सही से पालन किया जाए और मातृभाषा में शिक्षा की पहल को बढ़ावा दिया जाए तो एक आमूलचूल परिवर्तन देखा जा सकता है।

नई शिक्षा new education policy के महत्वपूर्ण पहलू

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New Gyan Blog for knowledge. Author- Abhishek Kant, Journalist

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