kanyadan summary in hindi

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कन्यादान-पठन सामग्री और भावार्थ Board Examination-2023, NCERT Class 10th Hindi

कन्यादान-पठन सामग्री और भावार्थ  Term-2 Board Examination-2022, NCERT Class 10th Hindi

CBSE Board Term-2 Examination will be on March 2023 पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न (Extra Question) उत्तर और सार (Summary of Kanyadan) – कन्यादान क्षितिज भाग – 2

भावार्थ, class10Kshitiz-notes.

Rituraj ki Likhit Kavita Kanyadaan ka bhavarth (summary) 

कवि ने इस कविता के माध्यम से माँ की उस पीड़ा को प्रकट किया है, जब माँ अपनी बेटी को विदा (कन्यादान) करती है। उसे ऐसा लगता है, जैसे उसने अपने जीवन भर की पूंजी को एक पल में गवॉं दिया हो। बेटी का कन्यादान करती हुई माँ की आँखों  में आँसू है तो वही ससुराल में बेटी का भावी जीवन कैसा होगा, इसको लेकर हृदय में आशंका भी है। कहीं बेटी को ससुराल में कष्टों का सामना तो नहीं करना पड़ेगा।

माँ जानती है कि उसकी बेटी अभी भोली है। बेटी सुखों को तो जानती है पर दुखों से उसका पाला नहीं पड़ा है। इस आशंका में माँ  अपनी बेटी को हिदायतें भी देती हैं। कवि माँ की आशंका और चिंता को व्यक्त करते हुए इस कविता के माध्यम से कहते हैं कि बेटी अभी अबोध है व जीवन के दुखों को  न पढ़ सकती है और न समझ सकती है। (kanyadan summary)

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कविता की आगे की पंक्ति में माँ अपनी बेटी को सीख देते हुए कहती हैं  कि बेटी आईने में अपना रूप सुंदर देखकर खुद पर रीझना ( मन ही मन प्रसन्न ना होना) नहीं। 

यह रूप-सौंदर्य स्थाई नहीं है। इस कविता में माँ  कई तरह की सीख देती है और कहती हैं  कि आग का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए होता है खुद को जलाने के लिए नहीं। यहाँ पर कवि ने दहेज प्रथा सामाजिक बुराई पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि इस तरह मानसिकता वाले लोग जो दहेज के लालच में दुल्हन (बहू) को जला (मार) देते हैं। उनसे ख़बरदार  रहने के लिए बेटी को सीख देती है और उसके अंदर साहस भरती है कि ऐसे भेड़ियों के खिलाफ आवाज उठाए।

 ‘कन्यादान‘ कविता में कन्यादान के समय माँ बेटी को तीसरी सीख देती है कि वस्त्र और आभूषण को अधिक महत्व अपने जिंदगी में मत देना, यह स्त्री जीवन के लिए बँधन होता है।  कवि इन पंक्तियों के माध्यम से बताना चाहता है कि महिलाओं को आभूषण और अच्छे व महँगे वस्त्र के लालच के माध्यम से उसे पुरुष मानसिकता घरों में कैद रखना चाहती है, ताकि महिलाएँ अपने हित में फैसले न ले सके, वह  आर्थिक और सामाजिक रूप से पुरुषों पर निर्भर रहें इसलिए इस कविता में इस बात का उल्लेख कवि द्वारा किया गया है। कवि समाजिक बुराइयों के प्रति चिंतित हैं। कवि ने यहाँ पर इस बात को व्यक्त कर रहा है कि किस तरह से समाज में पुरुषवादी मानसिकता के कारण महिलाओं का शोषण होता है।

माँ अपनी बेटी को साहसी बनने की सीख की बात कहती हैं कि खुद को कभी भी कमजोर व असहाय मत दिखाना, जरूरत पड़ने पर कोमलता और लज्जा आदि से हटकर अत्याचार के प्रति आवाज उठाना। कवि इस बात को बखूबी अच्छी तरीके से इस कविता में प्रस्तुत करते हैं ताकि समाज के उस चेहरे को सामने लाया जा सके जो लोग महिलाओं को शारीरिक रूप से कमजोर और सामाजिक रूप से लज्जा की घूँघट में रखकर कमजोर बनाते हैं ताकि उनका शोषण किया जा सके, इस सोच के खिलाफ कन्यादान कविता में  कवि ने कटाक्ष किया है।

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कवि ऋतुराज का परिचय

 कवि ऋतुराज का जन्म 1940 ई० में भरतपुर में हुआ था। राजस्थान में जयपुर विश्वविद्यालय से इन्होंने अंग्रेजी भाषा में एम०ए० की डिग्री हासिल किया। 40 वर्षों तक अंग्रेजी साहित्य में छात्रों को पढ़ाने के बाद सेवानिवृत्त होकर जयपुर में रहने लगे।  रोजमर्रा के जीवन के अनुभव हकीकत के रूप में  कविताओं में दिखाई देती है। दैनिक जीवन में घटने वाली घटनाओं और  सामाजिक बुराइयों के खिलाफ इनकी कविताएँ प्रमुखता से आवाज उठाती हैं और जन सामान्य की समस्याओं का हल खोजने की कोशिश करती है।

लेखन-कार्य

कविता संग्रह – एक मरणधर्मा और अन्य, पुल और पानी, सुरत निरत और लीला मुखारविंद।

 प्राप्त पुरस्कार एवं सम्मान – सोमदत्त, परिमल सम्मान, मीरा पुरस्कार, पहल सम्मान, बिहारी पुरस्कार।

 कविता में आए हुए कठिन शब्दों के अर्थ निम्नलिखित हैं  –

• प्रामाणिक – प्रमाणों से सिद्ध

• सयानी – बड़ी (mature)

• आभास – अहसास

• बाँचना – पढ़ना

• लयबद्ध – सुर-ताल

• रीझना – मन ही मन खुश होना

• आभूषण – गहना

• शाब्दिक – शब्दों का

• भ्रम – धोखा (cheating)

निष्कर्ष-

CBSE board class 10th Hindi examination 2023, सिलेबस के आधार पर कन्यादान कविता का भावार्थ प्रस्तुत किया गया है यानी दिया गया है। इस पाठ से संबंधित कई प्रश्न बन सकते हैं इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें और कन्यादान पाठ के अभ्यास प्रश्न के अलावा एक्स्ट्रा क्वेश्चन for examination के लिए पढ़ें।  यहां क्लिक करें।

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