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teaching idea method शिक्षण युक्तियां | nibandh hindi teaching method

teaching Idea method शिक्षण युक्ति हिंदी पढ़ाते समय
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माध्यमिक स्तर पर भाषा को पढ़ाने के लिए कई तरह के टीचिंग मेथड का इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें कि माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन करते समय अध्यापक की भूमिका सही वातावरण निर्माण में सहायक होनी चाहिए। भाषा और साहित्य की पढ़ाई में यह बात ध्यान देना बहुत आवश्यक होता है।

शिक्षण युक्तियां क्या है

पढ़ाने का तरीका ही शिक्षण युक्तियां कहलाती है। सरल भाषा में इसे टीचिंग मेथड कहते हैं। मान लीजिए कि आप किसी बच्चे को हिंदी पढ़ाना चाहते हैं तो आपको शिक्षण युक्तियों में कहानी वाचन प्रक्रिया अपनानी होगी, जिससे कि बालक कहानी रुचि लेकर पाठ को समझे इसके पश्चात इसी कहानी में से आप छोटे-छोटे प्रश्न पूछेंगे इस तरह की युक्तियां शिक्षण में प्रश्न प्रश्नानात्मक युक्ति कहलाती है। अब आपको शिक्षण युक्तियों के बारे में पूरी जानकारी यहां आगे हेडिंग जी के माध्यम से दी जा रही है। यह लेख शिक्षण युक्तियों यानी टीचिंग मेथड पर आधारित है इसे सरल भाषा में लिखने का प्रयास किया गया है। यदि आप टीचर शिक्षक बुद्धिजीवी हैं या आम पाठक तो भी यह आपके समझने के लिए बहुत सरल ढंग से बताया गया है।

शिक्षण युक्तियों पर अनुच्छेद निबंध

शिक्षण युक्तियों यानी टीचिंग मेथड पर अनुच्छेद या निबंध टॉपिक के अंतर्गत हम आपको शिक्षण युक्तियों के बारे में ही पूरी जानकारी दे रहे हैं फुल स्टार अगर आपको इसे निबंध के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं या अनुच्छेद के तौर पर अपनी जानकारी बढ़ाना चाहते हैं तो भी यह आपके लिए उपयोगी है। (the paragraph for writing in teaching method)

Teaching method knowledge in Hindi language

जब हम भाषा पढ़ाते हैं, खासतौर पर हिंदी भाषा तो विद्यार्थियों से यह अपेक्षा बिल्कुल नहीं करनी चाहिए कि वह बिल्कुल शुद्ध लिखेंगे बल्कि धीरे-धीरे उनकी शुद्धता की ओर ले जाना जरूरी होता है।

माध्यमिक स्तर की कक्षाओं में आपने पहले दिन पढ़ाया और बच्चे में व्याकरण वर्तनी जैसी गलतियां प्राप्त हुई तो आप इसे सहजता से लेते हुए इस रूप को स्वीकार करिए और उन्हें बेझिझक लिखित और मौखिक अभिव्यक्ति उत्साह पूर्वक करने के लिए प्रेरित करें क्योंकि यदि शुरुआत से ही भाषा और वर्तनी पर चर्चा करके उसे दूर करने की कोशिश करेंगे तो निश्चय ही उनकी मौखिक और लिखित अभिव्यक्ति में बाधा उत्पन्न होगी।
इसलिए उन्हें ऐसा दबाव नहीं देना चाहिए की भाषा सीखने में बच्चों को परेशानी हो धीरे-धीरे भाषिक योग्यता का विकास करते जाएंगे और इस तरह से व्याकरण और वर्तनी की गलतियों में सुधार होता चला जाएगा।

बालक में मौखिक अभिव्यक्ति

भाषा केवल लिखने की नहीं बल्कि बोलने की भी विषय वस्तु है इसलिए लेखन के साथ ही बोलने की क्षमता का विकास करना जिसे हम मौखिक अभिव्यक्ति कहते हैं उस पर भी बल देना जरूरी है। (teaching idea method शिक्षण युक्तियां) यदि आप किसी बच्चे को बोलने की कला सिखा रहे उच्चारण का तरीका और विराम चिह्न को ध्यान में रखकर कैसे मौखिक रूप से बोलें, इन सब बातों को सिखाते समय, यदि किसी तरह का डिस्टरबेंस हो रहा है तो आप अपने अध्यापन की शैली को चेंज कर सकते हैं।‌‌ इससे बालकों में नेचुरल सीखने की क्षमता का विकास होता है, और मौखिक अभिव्यक्ति में वह बेहतरीन हो जाता है।

सीखने में निरंतर रुचि बनाए रखना

शिक्षण युक्तियों की सही पहचान करके बालक में निरंतर सीखने के प्रति भागीदारी और उत्साह बनाए रखना अध्यापक का कर्तव्य होता है। इस प्रक्रिया में आप भी उनके साथी बन सकते हैं। ऐसे शिक्षण बिंदुओं की पहचान कीजिए जिसमें बालक पढ़ने में सहज महसूस करें और उसकी रूचि हिंदी भाषा सीखने में लग जाए।

शिक्षण युक्तियों के अंतर्गत, मैं यहां पर आपको एक उदाहरण देकर समझाना चाहता हूं कि यदि बालक किसी ‘कविता’ को पढ़ने में रुचि नहीं ले रहा है तो उस ‘कविता’ को विभिन्न तरीके से बोलकर पढ़ें, जिससे रोचकता आए; कविताओं के स्वर से बच्चे में पढ़ने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है।

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काव्य के अर्थ पर भी ध्यान

बहुत जरूरी बात यह है कि कविता के अर्थों पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। जब आप लय और गति के साथ कविता-वाचन करने के लिए कहते हैं तो बालक उसमें सरस (interest) हो जाता है; लेकिन काव्य के अर्थ को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है। इसलिए विभिन्न शैली द्वारा कविता के अर्थ को भी समझाना आवश्यक है।

भाषा व्याकरण व टीचिंग एटीट्यूड

अब हम आपके यहां बताने जा रहे हैं कि जब आप हिंदी-भाषा पढ़ाते हैं तो भाषा के व्याकरण पर भी ध्यान देना आवश्यक हो जाता है। हालांकि ‘भाषा के व्याकरण’ से संबंधित पढ़ाई नियमों और उदाहरणों द्वारा दी जाती है; लेकिन जब हम साहित्य पढ़ते हैं तो उस भाषा के व्याकरण कि सही प्रकृति को समझने के लिए छात्र को एक शोधकर्ता की नजरिए से विकसित करना होता है। teaching idea method शिक्षण-युक्तियां के द्वारा व्याकरण को सही तरीके से पढ़ा सकते हैं।

इसलिए शिक्षक केवल निर्देश देकर उनको सही व्याकरण लिखने और समझने के लिए प्रेरित करना है और उनका परिमार्जन (recheck) करना ताकि व्याकरण की गलतियों को सीख सकें: यह एटीट्यूट साहित्य या भाषा पढ़ते समय होना चाहिए।

क्योंकि व्याकरण के नियमों को पढ़ कर तब तक सही लेखन नहीं कर सकते हैं, जब तक की प्रायोगिक तौर पर वह लिखते और पढ़ते समय व्याकरण के तथ्यों को ध्यान नहीं देता है। उसे बार-बार परिमार्जित करता रहता है, निश्चित ही वह बालक अपने लेखन-कौशल में व्याकरण पर कुशलता प्राप्त कर लेता है।

भाषा के सरलता के लिए विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग

हिंदी भाषा में अन्य भाषाओं के प्रयोगों के उदाहरण से यह बात स्पष्ट पता चलता है कि प्रयोग करने से कोई विभेदीकरण नहीं होता है। बल्कि भाषा और लिपि में एक दूसरे की सहायता करता है।

इस तरह के बहुभाषिक परिवेश को समझना जरूरी है। उपरोक्त बातों को स्पष्ट रूप से इस तरह से सरल तरीके से बताया जा सकता है कि जैसे मान लीजिए कि हिंदी के क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग या अंग्रेजी के प्रचलित शब्दों का प्रयोग भाषा को सुचारू सरल बनाने के लिए हिंदी में किया जाता है यह एक तरह की भाषा शैली या लिखावट होती है, जिसे हम समझने में सरलता महसूस करते हैं।

उदाहरण समझें; टेलीविजन, अखबार और रेडियो मीडिया में है, जहां पर किसी चीज को समझाने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय भाषा, सरल भाषा के शब्दों और अंग्रेजी के सरल शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

अलग-अलग शिक्षण सामग्री उपयोग

हिंदी पढ़ाते समय अलग-अलग शिक्षण सामग्री का उपयोग शिक्षकों द्वारा किया जाना चाहिए। बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो किसी भी टॉपिक को समझने के लिए अलग-अलग तरीके के जरिए ही समझ पाते हैं इसलिए आपको अलग-अलग शिक्षण सामग्री का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि शिक्षा नीति में यह स्पष्ट है कि हर बालक अलग-अलग क्षमता वाले होते हैं इसलिए उन बालकों की क्षमता को पहचान करके उन्हें अलग तरीके से भी सिखाया जा सकता है।

अध्यापन में एक्टिविटी

कुछ बच्चे एक्टिविटी के सहारे या गाकर सीखने की क्षमता वाले होते हैं इसलिए ऐसे छात्रों के लिए यह तरीका बहुत ही अच्छा होता है। इसी के साथ कुछ बच्चे विशेष ध्यान देने पर ही सीख पाते हैं क्योंकि उनकी सीखने की प्रक्रिया भीड़ में या डर के कारण धीमी हो जाती है इसलिए उनके लिए अलग तरीके से सिखाने की teaching idea method शिक्षण युक्तियां का प्रयोग किया जाता है।

ऑडियो वीडियो सामग्री

कविता गाने योग्य होती है गुनगुनाने वाली होती है इसलिए कविताओं को गाने की शैली में रिकॉर्ड करके बच्चों को सुनाया जा सकता है। इससे कविता के काव्यांश का मर्म समझ में आता है।

बच्चे गीत और संगीत में अधिक रूचि लेते हैं इसलिए पाठ्यक्रम की कविता के गाने और उसके ऑडियो को सुनाना बच्चे में हिंदी सीखने की प्रेरणा को जगाता है और शब्दों के ज्ञान को आसानी से सीखते हैं।

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New Gyan Blog for knowledge. Author- Abhishek Kant, Journalist

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