हिंदी पत्रकारिता दिवस 2023: quotation, slogan Hindi Journalism Day

हिंदी पत्रकारिता दिवस 2023: message, quotation, slogan Hindi Journalism Day: हिंदी पत्रकारिता दिवस पर व्हाट्सएप स्लोगन मैसेज कविता Hindi patrakarita Divas per WhatsApp slogan message Badhai sandesh 2023 Hindi Journalism Day 30 May, what is the first Hindi newspaper name. Hindi patrakarita Divas manane Ke Karan, Hindi patrakarita ka Divas Kyon Manaya jata hai? Hindi patrakarta Divas kab Manaya jata hai?

 Hindi patrakarita Divas  2023: गुलाम भारत में आजादी की अलख जगाने वाली देश की पत्रकारिता ही थी और इसमें हिंदी पत्रकारिता ने अपनी बड़ी भूमिका निभाई है। आज से 197 साल पहले आज ही के दिन 30 मई को भारत की पहली हिंदी अखबार  उदंत मार्तंड प्रकाशित (first Hindi newspaper name udant marthand) हुआ था।  मई 2023 को हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हम आपको व्हाट्सएप मैसेज और स्लोगन कविता दे रहे हैं, जिसे आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भेज सकते हैं और इस दिवस की महत्व के बारे में उन्हें जानकारी दे सकते हैं। 

हिंदी पत्रकारिता दिवस 2023 से जुड़ी एक रोचक बातें

30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। 30 मई 1826 को उदंत मार्तंड नाम की पहली हिन्दी भाषा का समाचार पत्र प्रकाशित हुआ था इसलिए इस दिन हिंदी पत्रकारिता-दिवस (hindi patrkarita Diwas) मनाने की परंपरा है। 

हिंदी का पहला पत्रिका और उनके संस्थापक का नाम क्या है? (hindi first magzine)

हिंदी का पहला पत्रिका उदन्त मार्तण्ड है। इस अखबार के प्रथम प्रकाशक और संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल जी थे। Hindi first magazine उदन्त मार्तण्ड है। आपको यह जानकारी के लिए बता दे यह सप्ताहिक अखबार था।

हिंदी पत्रकारिता के महान नायक राजेंद्र माथुर 

हिंदी पत्रकारिता के महान सितारे राजेंद्र माथुर जी का राजनीतिक विश्लेषण (political review)  इतना गंभीर होता था कि अंग्रेजी के अखबार भी उनके वक्तव्य (statement) को हिंदी से अनुवाद करके अपने अखबारों में छापते थे। (The Greatest Hindi Journalist Rajendra Mathur)

Hindi Patrakarita Diwas Wishes, Quotes Hindi

Hindi patrakarita Diwas slogan

अपनी भाषा अपनी पहचान 

अपनी कलम अपनी ताकत

हिंदी पत्रकारिता-दिवस पर आप सभी लोगों को बधाई!


जब निकला अखबार हिंदी का,

अलख जगी आजादी की।।

उदंत मार्तंड हिंन्दी का पहला समाचार पत्र

हिंदी के गौरवशाली इतिहास का छत्र।।

आओ हिंदी पत्रकारिता-दिवस पर

एक दूसरे को दें बधाई!

हिंदी को आगे बढ़ाने की अब बारी आई।

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अपनी बात अपनी भाषा में कहें,

सब भारतीय खूब तरक्की करें!

हिंदी पत्रकारिता-दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!


 हिंदी पत्रकारिता दिवस पर कविता Hindi slogan

जन-जन की भाषा हिंदी,

उस समय गौरवान्वित हुई

जुगल किशोर ने 1826 में, 

हिंदी पत्रकारिता की नींव रखीं।


हिंदी पत्रकारिता की कलम ने

आजादी की  लड़ी लड़ाई,

भारतवासियों को आजादी की

कीमत समझाई।

एक-एक करके कई अखबारों ने लिया जन्म,

हिंदी पत्रकारिता पली-बढ़ी और किया कर्म,

उसने निभाया अपना पत्रकारिता धर्म।

ना जाने कितने अखबारों को अंग्रेजों ने किया था बंद।

पर कभी भी कलम की ताकत नहीं रुकी

निकलते रहे अखबार हिंदी

अंग्रेजों की सत्ता के खिलाफ बिगुल बजाने वाले

कहां रुकने वाले थे,

हर एक कलम से निकल रही थी आवाज

भारत माता की जय!! भारत माता की जय!!

poetry of hindi patrakarita diwas 2023

हिंदी पत्रकारिता Hindi patrakaarta के कितने साल हो गए?

हिंदी की पहली अखबार  1926 को उदन्त मार्तण्डँ पब्लिश हुआ था। इस तरह से आज 196 साल हो गया है। 

बंगाल में अंग्रेजी, भारतीय बांग्ला भाषा के कई अखबार प्रकाशित हो रहे थे लेकिन हिंदी का अखबार अभी प्रकाशित से नहीं हो पाया था। 

इसलिए हिंदी प्रेमी पंडित जुगल किशोर शुक्ला ने पहली बार उदंत मार्तंड नाम की पत्रिका हिंदी में प्रकाशित की। आपको बता दें उदंत मार्तंड पत्रिका कोलकाता में प्रकाशित हुई।

Hindi patrakarita diwas quotation 2023

हिन्दी पत्रकारिता-दिवस Hindi patrakarita Divas quotation  2023  पर हिंदी में कोटेशन यानी कि उद्धरण दिया जा रहा है। (हिंदी जर्नलिज्म डे) Hindi  journalism  Day

कौन थे जुगल किशोर शुक्ला Jugal Kishor Shukla

हिंदी का प्रथम अखबार उदंत मार्तंड प्रारंभ करने वाले जुगल किशोर शुक्ला हिंदी के साथ ही संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला भाषा भी जानते थे। वह मूल रूप से कानपुर के रहने वाले थे। कानपुर में ही दीवानी अदालत में एक वकील के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन उन्हें लेखनी और हिंदी भाषा से बहुत प्रेम था। (Jugal Kishor Day first Editor of Hindi patrakarita)

1 साल बाद उदंत मार्तंड अखबार क्यों बंद हो गया? Why was the Udant Martand newspaper closed after a year?

 पहली बार अखबार 500 कॉपियों के साथ  निकाला गया था। हिंदी अखबार उदन्त मार्तण्ड  को शुरू किया गया था लेकिन आर्थिक तंगी का इसे सामना करना पड़ा। कारण यह कि बंगाल में हिंदी भाषा के  पढ़ने वाले कम थे इसलिए  अखबार का खर्चा निकल नहीं पाता था। उस समय तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नमेंट से उन्होंने अखबार निकालने के लिए टैक्स में छूट मांगी लेकिन हिंदी अखबार के लिए किसी तरह का टैक्स   (tax) छूट तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नमेंट ने नहीं दिया।

उदंत मार्तंड के कितने अंक प्रकाशित हुए थे? 

हिंदी की पहला अखबार उदंत मार्तंड 79 अंक प्रकाशित हो पाए से आर्थिक तंगी के कारण यह खबर बंद हो गया। 4 दिसंबर 1927 को यह अखबार छपना बंद हो गया था।  

हिंदी पत्रकारिता दिवस 2023 पर व्हाट्सएप मैसेज hindi patrkarita diwas whats up massage

आम जन की आवाज बनती

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 जन जन की भाषा हमसे कहती

  हिंदी- पत्रकारिता भारत की आत्मा में बसती।

हिंदी पत्रकारिता-दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!


हिंदी से जुड़े हैं जन-जन भारतवासी

पूरी दुनिया की खबर मिलती हिंदी में

अलख जगाती हिंदी भाषा।

सत्यता, न्याय को निष्पक्ष सामने रखती

 हिंदी पत्रकारिता!!

आज 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बहुत-बहुत बधाई!!


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उदंत मार्तंड हिंदी का पहला समाचार पत्र

 जिसका मतलब उगता हुआ सूरज

जो आज भी बढ़ता चला जा रहा है,

हिंदी पत्रकारिता अपनी कलम से

न्याय सत्यता की आवाज उठाता जा रहा है

कई पत्रकार इस लंबी सूची में है

जिनकी कलम ने दुनिया में नाम कमाया है

हिंदी पत्रकारिता का सूरज

अपनी चमक बिखेरता हुआ

 आगे बढ़ता जा रहा है।।

हिंदी-पत्रकारिता दिवस 30 मई के अवसर पर आप सभी पत्रकार बंधुओं को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!

hindi diwas slogan 


हिंदी पत्रकारिता की अलख जगाने वाले आप सभी पत्रकारों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!

जन जन की आवाज आपकी कलम है

  सत्त्ता से सवाल पूछने का दम है

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ

हे हिन्दी पत्रकारों हमें आप पर गर्व है।


पत्रकारिता जीवन का आधार है

यह भारत की जन जन की आवाज है

ईमानदार कलम की आवाज है

हिंदी राष्ट्रभाषा का सम्मान है

 हिंदी पत्रकारिता दिवस 30 मई की हार्दिक बधाई।


हिंदी पत्रकारिता quatation hindi patrakarita

सच्चाई और सत्यता एक सच्चे पत्रकार की पहचान है। अन्याय उजागर करना पत्रकार का धर्म है।

-अज्ञात


हिंदी पत्रकारिता के सूरज और चमकते सितारों ने हिंदी पत्रकारिता को नई ऊंचाइयों तक ले गए हैं। भारत की जन जन से जुड़ी हिंदी भाषा और उसकी पत्रकारिता हमारे जीवन को आज बेहतर बना रही है।

हिंदी-पत्रकारिता करनेवाले उन समाचार संपादकों की, जिन्होंने अंग्रेजों के समय पत्रकारिता करके हिंदी के परचम को लहराया है। अंग्रेजों के समय पत्रकारिता करना बहुत कठिन था क्योंकि उनके कानून को चुनौती भारतीय नहीं दे सकते थे लेकिन हिंदी-पत्रकारिता ने सत्य का साथ दिया और गुलाम भारत को आजाद करने का बीड़ा उठाया।

-अभिषेक कांत पांडेय

उदंत मार्तंड पहला साप्ताहिक समाचार-पत्र के बाद आज इंटरनेट की पत्रकारिता ने इतना बड़ा सफर तय किया है। हमारी हिंदी भाषा की पत्रकारिता ने इसमें परचम लहराया है। इंटरनेट की तकनीक-युग में हिंदी-पत्रकारिता (Hindi Patrkarita) आगे बढ़ती जा रही है। दुनिया की बड़ी भाषाओं में हिंदी-पत्रकारिता भाषा अपनी पहचान बना रही है।

abhishek kant pandey

हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

हिंदी में समाचार का विश्लेषण  का एक स्वतंत्र पहलू है  जो शायद ही किसी और भाषा की पत्रकारिता में देखने को मिलती हो। अपने समय के संपादक अज्ञेय ने दिनमान पत्र में विश्लेषण  की नई शैली प्रस्तुत की थी, जो आज की गिन हिंदी की गंभीर पत्रकारिता में दिखाई देती है। 

हिंदी के महान पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी the greatest journalist Ganesh Shankar Vidyarthi in Hindi Samachar Patra

जन-जन की भाषा में जागरूक करने वाले।

अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध लिखने वाले।

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महान पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी निराले।

 1913 में हिन्दी अखबार ‘प्रताप’ का हुआ आगाज।

अखबार ‘प्रताप’ बनी जन-जन की आवाज़।

कलम चल रही थी विद्यार्थी की,

 छप रहा था  ‘प्रताप’ में-

अंग्रेजों के शोषण  की खबरें, 

आजादी पाने की बातें।

 पढ़कर आमजन जागरूक हो रहे थे,

  अंग्रेजों को रास नहीं आयी, अखबार की भाषा।

पर सच्चाई और आजादी के लिए लड़ने वाले।

पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी नहीं पीछे हटने वाले। 

 तमाम बंदिशों के बावजूद जारी रखा लिखना। 

‘प्रताप’ में लिखे उनके लेख भारतीयों मे जगाती रही चेतना।

FAQ Hindi first newspaper

When is Hindi Journalism Day celebrated? 

 भारत में हर साल 30 मई को ‘हिन्दीपत्रकारिता-दिवस (तिथि)’ मनाया जाता है। हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाने के पीछे क्या कारण है, यह जानना चाहते हैं तो पूरा लेख पढ़ें।

30 मई को हिंदी-पत्रकारिता दिवस क्यों मनाया जाता है? हिंदी-पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है?

 देश का पहला हिन्दी-समाचारपत्र  का प्रकाशन 30 मई, 1826 ईसवी को हुआ था। इस समाचारपत्र का नाम  ‘उदन्त मार्त्तण्ड’ (udant martend) था।

इसलिए हर साल 30 मई को हिंदी-पत्रकारिता-दिवस का आयोजन किया जाता है। (Hindi patrakaarta Divas kab Manaya jata hai)

यह अखबार हर 15 दिन में प्रकाशित होता था।  यह अखबार कोलकाता के  कोलू टोला मोहल्ला, आमड़तल्ला गली नंबर 27 से प्रकाशित होता था। 

हिंदी का प्रथम समाचार प्रकाशक कौन थे?

‘उदन्त मार्त्तण्ड’ समाचार पत्र के प्रकाशक और संपादक कानपुर के रहने वाले ‘युगल/जुगल/जुगुलकिशोर शुक्ल/सुकुल जी थे। 

(the publisher of ‘उदन्त मार्त्तण्ड’ Pandit Jugal Kishor)

  ‘उदन्त मार्त्तण्ड’ नाम का क्या मतलब होता है? (What is the meaning of Udant martand in Hindi)

  • दोस्तों आपको बता दें कि उदन्त मार्तण्ड  (Udant martand) दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है।
  • ‘उदन्त’ का अर्थ होता है- दन्तरहित (without teeth)
  • ‘मार्तण्ड’ का अर्थ होता है- सूर्य (Sun सूरज)
  • आपको बता दें कि ‘दन्तरहित’ का प्रतीकात्मक (symbolic meaning) अर्थ बाल या बालक होता है, ऐसा नवजात बालक जिसके दांत नहीं होते हैं। 
  • इस समाचार पत्र के संपादक शुक्ल जी ने हिंदी-पत्रकारिता के क्षेत्र में यह नया समाचार-पत्र  प्रस्तुत किया था।  क्योंकि उस समय हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत थी इसलिए उन्होंने यह नाम दिया होगा।
  •  महान पत्रकार  बाबू विष्णु पराड़कर
  • (16 नवम्बर 1883 – 12 जनवरी 1955)
  • मराठी-भाषी होते हुए भी हिंदी के मान-सम्मान लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वाले।
  • उस समय देश आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था। उनकी पत्रकारिता का मिशन देश की आजादी था। वाराणसी उनकी जन्मभूमि।
  •   हिंदी के दिग्गज पत्रकार  बाबू विष्णु पराड़कर भारत की आजादी के बाद भी लगातार पत्रकारिता करते रहे और पूंजीवादी ताकतों के खिलाफ लिखते रहे हैं।
  • अंग्रेजों ने उन्हें कई बार उनकी लेखनी से अप्रसन्न होकर इसलिए जेल भेज दिया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि कोई पत्रकार आजादी की अलख जगाकर लोग को जागरूक करें।
  • लेकिन  स्वतंत्रता सेनानी और  पत्रकार बाबू विष्णु पराड़कर ने अपनी कलम की धार को कमजोर नहीं होने दिया। लगातार लिखते रहे हिंदी पत्रकारिता को अपनी कलम की ताकत से समृद्ध बनाते रहे।

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