Multilingual Education and using mother tongue as a medium/ मातृभाषा में शिक्षा जरूरी क्यों जाने हिंदी में

Multilingual Education and using mother tongue as a medium मातृभाषा में शिक्षा क्यों जरूरी है इसके बारे में नई शिक्षा नीति में काफी वकालत की गई है। मातृभाषा में शिक्षा देने के लिए किन-किन टूल की आवश्यकता होती और शिक्षकों की training की जरूरत होती है, इन सब बातों को लेकर बड़ा मंथन हो रहा है। सबसे पहले जानना यह जरूरी होगा कि मातृभाषा किसे कहते हैं। अंग्रेजी में मदर टंग कहा जाता है। बच्चे के परिवार में जो भाषा बोली जाती है वही उसकी मातृभाषा (mother tongue) होती है। राष्ट्रभाषा (national language) या अंतरराष्ट्रीय भाषा (international language) तो बाद में बच्चा सीखता है सबसे पहले वह मातृभाषा ही सीखता है।

नई शिक्षा नीति में हिंदी मातृभाषा की पढ़ाई पर निबंध, सीबीएसई बोर्ड हिंदी पढ़ने का नया तरीका

मातृभाषा में शिक्षा यदि बच्चों को दी जाए तो गणित विज्ञान संगीत आदि में वह बहुत अव्वल हो जाते हैं। आसपास के वातावरण में जब वह मातृभाषा में सीखते हैं। उनका विकास भी तेजी से होता है। मातृभाषा के जरिए ही वह कई तरह की और भाषाएं भी धीरे-धीरे सीखना शुरू कर देते हैं।

मातृभाषा में शिक्षा क्यों जरूरी

यदि किसी बच्चे की मातृभाषा (mother tongue) हिंदी है और वह अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ता है तो वहां पर इस बात का बिल्कुल ध्यान रखा जाना चाहिए कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत कि उसे उसकी शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए यानी कि अंग्रेजी सिखाने के लिए भी उसे मातृभाषा के शब्दों के प्रयोग समझाने में करना चाहिए। कक्षा में Multilingual बहुभाषी शब्दों का प्रयोग करना इसलिए जरूरी हो जाता है।

See also  Letter Writing Example in Hindi

सीखने की प्रक्रिया मातृभाषा में बहुत तेजी से विकसित होती है।

(learning process multiple languages) छोटे बच्चों के सोचने और समझने की क्षमता मातृभाषा में तेजी से विकसित हो चुकी होती है। इन्हें और समझने की क्षमता का विकास तेजी से गणित, विज्ञान, नैतिक शिक्षा life skills संगीत जैसे विषयों को मातृभाषा के माध्यम से सिखाया जाए तो उनमें तेजी से विकास होता है‌।

छोटे बच्चे घर पर भी मातृभाषा के सहारे कई अच्छी बातें (moral values) और जानकारियां और अपने सामाजिक रीति रिवाज अपने माता-पिता से मातृभाषा में ही आसानी से सीख लेते हैं। इससे पता चलता है कि मातृभाषा एक प्रभावशाली माध्यम है शिक्षण का।

शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत paragraph education reform in Hindi

शिक्षा का अर्थ अक्षर ज्ञान नहीं बल्कि चरित्र निर्माण

मातृभाषा के सहारे नैतिक शिक्षा (मोरल वैल्यूज) का बीज बच्चों अंकुरित करना बहुत आसान हो जाता है। अपने आसपास के वातावरण और प्रकृति के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनते हैं। शिक्षा का मूल उद्देश्य बच्चों में चरित्र निर्माण (character building) करना है। बिना चरित्र के शिक्षा का कोई मूल्य नहीं रह जाता है। जीवन जीने की कला सही चरित्र से ही आती है। कई बातों से आप सहमत हो सकते हैं।

शिक्षा में सीखना एक कुशलता है। जैसे बोलने की कुशलता लिखने की कुशलता गणित के सवालों को हल करने की कुशलता बातचीत करने की कुशलता, खेल खेलने की कुशलता यह सब सिखाया जाता है। लेकिन इन कुशलता के आने के बाद भी यदि नैतिकता का विकास (moral values) छात्र में नहीं हुआ तो इन कुशलता का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसलिए शिक्षा में नैतिक मूल्य और चरित्र पर विशेष बल दिया जाता है।

See also  Gandhi Jayanti 2023: 154वीं गांधी जयंती पर पढ़ें, बापू जी के अनमोल विचार

बहुभाषी शिक्षा में मातृभाषा का महत्व (important of multi language education)

दुनिया में अनेक भाषाएं हैं, इनका अपना-अपना महत्व हैं। बालक को कई तरह की भाषाओं की शिक्षा दी जा सकती है। यदि कोई बालक हिंदी मातृभाषा क्षेत्र से आता है तो अंग्रेजी सीखने के लिए उसकी मातृभाषा उसकी मदद कर सकती है।

मातृभाषा के सहारे बच्चों को अंग्रेजी भाषा सिखाई जा सकती है। अंग्रेजी में विज्ञान या गणित सिखाने के लिए शुरुआती समय में मातृभाषा का सहारा लिया जा सकता है। बहुभाषी-शिक्षण का यह बहुत बड़ा महत्व है।

Catch up course kya hai कैच-अप कोर्स/ केचप कोर्स -2023 क्या है?/Bihar education

बहुभाषी शिक्षा का महत्व

मातृभाषा के अंतर्गत भारत की कई भाषाएं आती हैं। किसी ग्रामीण क्षेत्र के बालक की मातृभाषा अवधि है और उसे हिंदी भाषा में पढ़ाई करनी है। आशा के शब्दों का प्रयोग उसकी पढ़ाई में प्राइमरी लेवल में किया जा सकता है जिससे कि बच्चा तेजी से विषयों को समझता है।

इसी तरह से उसी कक्षा में कोई बच्चा जिसकी मातृभाषा भोजपुरी है, उन बहुभाषी शब्दों का प्रयोग करके सीखने की क्षमता सभी बच्चों में बढ़ाई जा सकती है।

गुजराती, मराठी, राजस्थानी, बुंदेलखंडी इत्यादि मातृभाषा वाले बच्चों को भी कक्षा में बहुभाषी शिक्षा देकर हिंदी भाषा सिखाई जा सकती है । बहुभाषी शब्दों के प्रयोग बच्चों को कई भाषा की तरफ आकर्षित करता है और उन्हें भाषा के मामले में समृद्ध बनाता है।

मातृभाषा में शिक्षा क्यों जरूरी है

बालक जब अपनी भाषा में शिक्षा को ग्रहण करता है, तब उसे विज्ञान, गणित आदि समझ में आना आसान हो जाता है। मातृभाषा बच्चे की भारत में तमिल, तेलुगू, मलयालम हिंदी कोई भी हो सकती है। बच्चा घर में अपनी मातृभाषा में सूझ, बूझ, समझना इत्यादि सीखता है और वस्तुओं के नाम भी आसानी से सीख जाता है। इन्हीं मातृभाषा के सहारे यदि उन्हें विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान आदि की जानकारी प्राइमरी स्तर पर देना शुरू करते हैं तो बच्चे का विकास बहुत तेजी से होता है।

See also  फाइनेंशियल लिटरेसी क्या है? वित्तीय साक्षरता Vittiya Saksharta

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top