अहिंसा और सादगी
anuched hindi lekhan nibndh lekhan: 2 अक्टूबर महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दिवस है। एक अहिंसा और दूसरे सादगी के प्रणेता। सभ्य समाज में शांति का महत्व है, यह शांति समाजिक न्याय से आती है। शांति और सादगी दोनों एक दसरे से जुड़े हैं। जीवन में सादगी की जगह अगर हम दिखावा करने पर उतारू हो जाते हैं, तब हम दूसरों की शांति भंग करना शुरू कर देते हैं। खूब बड़ा बंगला, कार, हीरे जवाहरात, रूपयों की गड्डी और इस सब पाने के लिए झूठ और भ्रष्टाचार का सहारा लेना शुरू करते हैं। गांधी जी एवं लाल बहादुर जी का व्यक्तिव्य विशाल है, जिसमें जीवन की सादगी, दया—करूणा के साथ हर इंसान के सुख—दुख की बात करता हमारे सामने है।
- How GPT Chat earn money
- summer camp: गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के लिए बेस्ट हैं ये 6 एक्टिविटीज
- ईमेल लेखन कक्षा 10 हिंदी 2023: example for examination
- cbse summer camp क्या है? ग्रीष्मावकाश शिविर अनुच्छेद लेखन
- 12वीं के बाद तुरंत पैसा कमाने वाले 5 बेस्ट ऑप्शन money earning course
अफसोस तब होता है जब आज के नेता का व्यक्तिव्य केवल सुख—सुवधिा के पीछे भागता है, सेवा भाव समाप्त और उपदेश देने के लिए सबसे आगे रहते हैं, चाहे वह जिस तकिए पर सो नहीं पाते हैं, वह महात्मा गांधी के चित्रांकित 500 व हजार की गड्डी वाली होती है। ऐसे में हाय कमाई करने वाले ऐसे लोग सही मायने में लोगों के हक को हड़प कर जाते है।
जिस तरह से हर साल फोर्बस पत्रिका में रइसों की संपत्ति के बढ़ने से लोगों खातौर पर मध्यम वर्गीय को यह समझाया जाता है कि दुनिया में खुशहाली है बिल्कुल उसी तरह जैसे मच्छर से बचने के लिए खाली मार्टिन का पैकेट रख देना कि अब हमारा खून नहीं चूसा जाएगा।
गरीब तो फोर्ब्र्स शब्द नहीं जानते और कूड़े में भी यह मैगजीन नसीब नहीं होता क्योंकि इसके पन्ने किसी मंहगे पन्ने सहेज लिए जाते है, उन्हें हिंसा और भ्रष्टाचार वाली हिंदी खबरों की हेड लाइन वाली अखबार की काली उतरती स्याही वाली चुरमुरा या समोसे में लिपटी मिलत है, जिसे देखकर वह यही कहता है कि अखबार के पुलेंदे में लिपटी सच्चाई।
सादगी और अहिंसा का व्रत धारण करने वाला व्यक्ति वहीं है आज के समय में जो लड़ न सके थप्पड़ न मार सके क्योंकि उसकी आवाज बुलंद नहीं है, गरीब है, डरा है और कम मजदूरी में जी रहा है, वहीं सादगी का पालन करता है।
अहिंसा और सादगी
बाकी तो सिविल लाईंस जैसे हाई सोशायटी के बाजार में चहलकदमी में बड़ी—बडी माल वाली ईमारतें हम पर फब्तियां कसती है, आओं हम सब उसूल लेंगे तुमसे। लाईट, एसी , सफाई का सारा पैसा बस कुछ खरीद लो पर हम जैसे तो घूम आते मन बहला आते हैं लेकिन मन को टस से मस और बहकने नहीं देते है बिल्कुल ज्ञानी योगी की तरह और खाली जेब हमें यह ऊर्जा देता अपनी खाली सिक्कों वाली जेब 1999 रूपये टैग देख 99 रूपये के सिक्के वाला जेब समझ जाता है.
बेटा सादगी ही जीवन है, चलों नुक्कड़ वाली दुकान और अपना प्राचीनकाल से घोषित फास्ट फूड रूपी समोसा और एक प्याली चाय की चुस्की के साथ आज के टापिक अहिंसा और सादगी पर सवाल दोस्तों के साथ शेयर करते हैं और छाप मारते है ब्लाग