आजादी में हम
आजादी के 66 साल बाद भी हम आज विकास कर रहे हैं। विकास में हम आज भी गरीबी की परिभाषा केवल जीने से भी बत्तर कर पा रहे हैं। गरीबी, अशिक्षा और खराब सड़कें सबकी हालत राजनैतिक भ्रष्टाचार ने कर दी है। हम लगातार लोकतंत्र को सशक्त बना रहे हैं।
वहीं राजनीतिक जमात आरोप—प्रत्यारोप की ओछी राजनीति में मशगूल है। हमारा भारत अब कुछ अमीरों के हाथों में है। गरीब केवल मतदाता है उसे सपने देखने का हक है और उनके सपनों को छिनने का हक उन लोगों का है जो सता के नशे में चूर है। इन सबके बावजूद भारत तरक्की कर रहा है।
हम अब तरक्की के लिए छोटे राज्यों में बटने लगे है और इसमें विकास कम राजनीतिक मंशा ज्यादा है। हमारी आजादी के इतने साल के बाद भी हम भारतीय है ये हमारी पहचान होनी चाहिए लेकिन नेता अब वोट बैंक के लिए हमें जातियों में बांट चुकी है। हम धर्मों में बंट रहे है जबकि हम एक देश के निवासी है। भारतीयता ही हमारी पहचान है।
राजनीति में जो युवा शीर्ष में है उनसे भी कुछ अलग करने की अपेक्षा नही कर सकते हैं वे विरासत से आए हैं और पुराने विचारों से ही राजनीति करेंगे। समझिये कि विरासत की सत्ता उनके पास है और वे भी इसी तरह की राजनीति कर रहे है। जुझारू लोग निचले स्तर पर संघर्ष कर रहे है। फिल्मों में और राजनीति में परिवारवाद हावी है। बदलते भारत की तस्वीर धुंधली हो रही है। जनता की भागीदारी जब तक नहीं बढ़ेगी तब तक हम चंद नेताओं के भरोसे भारत को नहीं छोड़ सकते हैं। हमें अपने मत की ताकत दिखानी है। हमें भारत के विकास के लिए स्वंय एक या दो कार्य ऐसे करने है जो हम कर सकते हैं। इसी तरह हम सच्ची देशभक्ति कर सकते हैं। यही हमारे लिए देश के वीर सपूतों के प्रति सच्ची श्रृद्धांजलि होगी। जय हिंद। जय भारत।
संपादक
प्रखर चेतना