Last Updated on June 16, 2019 by Abhishek pandey
रंगमंच नाटक समीक्षा- अभिषेक कांत पांडेय
प्रयागराज। उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में प्रख्यात संस्कृत नाटक ‘मृच्छकटिकम्’ का मंचन 12 जून को किया गया। भारतीय रंगमंच एक कला और विज्ञान की तरह है। आज भी रंगमंच सभी कलाओं का केंद्र बिंदु है,आधुनिक संचार साधनों ने रंगमंच को एक नया रूप दिया है लेकिन आज भी रंगमंच दर्शकों को जीवंतता की अनुभूति कराता है।भारतीय रंगमंच का प्रारंभ वेदों के संवाद सूक्त से माना जाता है। भरतमुनि ने अपने ग्रंथ ‘नाट्यशास्त्र’ में नाटकक के कला और विज्ञान को बताया है। संस्कृत नाटकों के मंचन में कला सौंदर्य के साथ-साथ तकनीक ने इसे पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है।
नाट्य कला का यह भव्य रूप मृच्छकटिकम् के मंचन पर 12 जून 2019 को प्रयागराज के उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र, प्रेक्षागृह में देखने को मिला। यह नाटक ‘शूद्रक’ द्वारा लिखा गया था जोकि मूल संस्कृत भाषा में है लेकिन वर्तमान में इसे हिंदी भाषा में प्रस्तुत कर दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया गया है। देशकाल को लांघते हुए यह नाटक प्रस्तुति के नए प्रयोग में असीम ऊँचाइयों को छुआ। इस नाटक में काम करने वाले अभिनेता और अभिनेत्रियों ने स्वयं हर पात्र के रूप में दर्शकों के मन में उस समय और वर्तमान समय को बखूबी दर्ज किया। इस कारण से सारे पात्रों ने अभिनय के उच्च कोटि प्रयोग के माध्यम से कालखंड को भी लांघ लिया और यह नाटक वर्तमान परिदृश्य में भी दर्शकों के सामने उनकी भाषा में हास्य-विनोद करती हुई दर्शकों के मन में उतर गई।
निर्देशन और परिकल्पना की मजबूती ने कलाकारों को प्रयोग की आजादी दी, जिस कारण से इस नाटक ने अपनी कसावट प्रस्तुति के कारण दर्शकों के बीच पल पल में जिज्ञासु बनी रही। ऐसे दर्शक जो पहली बार इस नाटक से रूबरू हो रहे थे, उन्हें ‘शुद्रक’ के समय और वर्तमान समय को समझने का मौका मिला। दर्शकों के मन मस्तिष्क पर एक अच्छे नाटक का प्रभाव उसके आने वाले समय पर भी पड़ता है। उसके सोचने समझने के तरीके पर भी पड़ता है। जिस तरह से उस समय राजनीति व प्रेम का चित्रण नाटक में किया गया, वह आज भी देखने को मिलता है।
एक ऐसी प्रेम कथा, जो राजनीति के चक्रव्यूह में फँस जाती है, यहाँ वही अत्याचार है, जो प्रेम को कुचलना चाहता है। यहाँ वही असमानता है, जो आज हमें दिखाई देती है।
नाटक टीम वर्क होता है और इस नाटक में काम करने वाले मंच पर और मंच के परे कलाकारों का हार्डवर्क नाटक के कला, संयोजन, निर्देशन, टाइमिंग की उत्कृष्ट प्रस्तुति ने राष्ट्रीय स्तरों के नाटकों की श्रेणी में इस प्रस्तुति को रखा है। कला और कलाकार चाहे किसी भी विधा के हों, वह अपने असीम ऊँचाइयों को छूता है और यह ऊँचाइयाँ हर बार नई चुनौती देकर ऊपर उठता चला जाता है, जिसे फिर से कलाकार प्राप्त करता है, इस तरह कला के सर्वोत्कृष्ट का अंत नहीं है। कलाकार उत्कृष्टता के प्रयास में एक वैज्ञानिक की तरह नए प्रयोग की तलाश में सदा लगा रहता है और उसके नाटकों में यह मेहनत सफलता के रूप में दिखाई देती है। इस नाटक में यह मेहनत इसकी प्रस्तुति में साफ दिखाई देती है। इस नाटक के कलाकारों ने कम समय व सीमित संसाधन में जिस तरह से नाटक की प्रस्तुति को उत्कृष्ट बनाया है, वह प्रशंसनीय है। प्रस्तुति का नया ढंग और सोच रचनात्मकता की पहचान है। यह रचनात्मकता अनुभव गंभीरता व प्रतिभा से आती है, काम के प्रति लगन व निष्ठा पूरी टीम की समझदारी है, जो नाटक को इस आयाम तक पहुँचाती है। दर्शकों के मन को छू जाए और इस प्रयास में ‘मृच्छकटिकम्’ नाटक सफल भी हुआ है।
इस नाटक की निर्देशिका डॉ० विधु खरे दास ने ‘पापुलर आर्ट्स’ को ध्यान में रखते हुए नाटक के अंत में बदलाव और नाटक में प्रयोगधर्मिता को नए अंदाज में प्रस्तुत किया, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।
नायक चारुदत्त के रूप में राकेश कुमार यादव ने पात्र अनुकूल अभिनय किया और क्लासिकल नृत्य के भाव को प्रेम से जोड़ने में सफल हुए। यही कलाकार की सबसे बड़ी कसौटी है।
आकांक्षा वर्मा इस नाटक की मुख्य अभिनेत्री हैं। वसंतसेना के किरदार में शुरू से अंत तक सशक्त नारी का प्रतीक बनी, जिसे उन्होंने अपने अभिनय से जीवंत बना दिया।
चारुदत्त और वसंतसेना के प्रेम को नाटक में भव्य तरीके से दर्शाया गया। जिसमें बिजली का कड़कना, बादल का बरसना, फूलों का गिरना आदि को कुशल निर्देशन के तरीकों से प्रस्तुत किया गया।
किसी भी नाटक में खलनायक की भूमिका जबरदस्त हो तो वह दर्शकों के सामने घृणा का पात्र बनता है। इस नाटक के खलनायक ‘शकार’ की भूमिका आशीष कांत पांडेय ने निभाई। शकार वसंतसेना को प्रेम करता है, लेकिन इस प्रेम को वसंतसेना स्वीकार नहीं करती है। इस तरह वसंतसेना और शकार का किरदार दर्शकों को लुभाता है। शकार की बेवकूफी और उसका क्रोध का सामंजस्य एक खलनायक के रूप में आशीष कांत पांडेय रंगमंच के मंच पर बेहतरीन तरीके से उतारा है। ‘विट’ के पात्र में पंकज कुमार की भूमिका, शकार के साथ उनका गठजोड़, दोनों पात्रो के प्रायोगिक डायलॉग, दर्शकों को आधुनिकता से जोड़कर नाटक के पाश में बांधे रखने में कामयाब होते हैं।
बाल कलाकार आराध्या पांडेय ‘चेट्टी’ की भूमिका में और ‘मंदनिका’ की भूमिका में वैशाली सिंह ने उत्कृष्ट अभिनय किया। वैशाली सिंह ने वसंतसेना (आकांक्षा वर्मा) चेट्टी (आराध्या पांडे) के साथ मंच पर यह तीनों फीमेल अभिनेत्रियों ने नाटक को नेचुरल बना दिया। तीनों कलाकार जब मंच पर एक साथ होतीं, तो विविधता का नया आयाम और प्रयोग धार्मिकता की विशिष्ट कला दिखाई देती है।
शर्विलक की भूमिका में अभिषेक मिश्रा ने आंगिक वाचन का अद्भुत प्रदर्शन किया, और सेंध लगाने वाला दृश्य अंदाज को जीवंत कर दिया। मैत्रेय की भूमिका में आलोक मिश्रा ने बहुत अच्छा अभिनय किया और नाटक में अपनी उपस्थिति को प्रभावशाली ढंग से दर्शकों के बीच छाप छोड़ने पर कामयाब भी रहें।
पात्र परिचय : मंच पर
चारुदत- राकेश कुमार यादव
वसंतसेना- आकांक्षा वर्मा
शकार- आशीष कान्त पान्डेय
शर्विलक- अभिषेक मिश्रा
विट- पंकज कुमार
मैत्रेय- आलोक मिश्रा मदनिका- वैशाली सिंह
चेट्टी- आराध्या पांडेय
इसके अलावा मंच पर इन्होंने भी अपना योगदान दिया।
प्रकाश परिकल्पना- सुजाॅय घोषाल
प्रकाश सहायक : कुंवरजी रॉकी
वस्त्र विन्यास- कृष्ण मोहन, शालिनी पान्डेय
संगीत संयोजन- विधु खरे दास
संगीत संचालन- सद्दाम हुसैन
मंच परिकल्पना- सुजाॅय घोषाल
मंच निर्माण-जगदीश प्रसाद गौड़ एवं अखिलेश कुमार प्रजापति
मंच सामग्री- आकृत श्रीवास्तव
ब्रोशर व पोस्टर डिज़ाइन – अनिमेश दास
रूप सज्जा- मोहम्मद हामिद
वीडियोग्राफी- अमित वर्मा
मल्टीमीडिया – अनुपम खरे एवं राजेश कुमार अहिरवार
प्रचार प्रसार- कृष्ण मोहन
आभूषण संकलन – मोनिका सिंह
प्रस्तुति नियंत्रक – पंकज कुमार पाण्डेय
नृत्य संरचना- अमित कोटार्य
सहायक निर्देशक- पंकज कुमार पाण्डेय
परिकल्पना एवं निर्देशन – विधु खरे दास
Author Profile
-
Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
newgyan.com Blog include Career, Education, technology Hindi- English language, writing tips, new knowledge information.
Latest entries
- DayApril 24, 2024Vishva Panchayat Divas विश्व पंचायत दिवस क्यों मनाया जाता है? GK
- Hindi English words meaningsApril 9, 2024पोटेंशियल सुपर पावर का अर्थ हिंदी में और भारतीय राजनीति में इसका महत्व
- Career NewsApril 5, 2024cbse skill education : सीबीएसई स्कूलों में स्किल एजुकेशन शुरू, छात्र मेन सब्जेक्ट के साथ पढ़ सकते हैं AI
- CBSEApril 5, 2024सीबीएसई पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव 10वीं 12वीं के पाठ्यक्रम को डाउनलोड करें
बहुत ही उत्कृष्ट एवं सारगर्भित समीक्षा लिखी है आपने नाटक के मर्म और उसके प्रयोग को समझते हुए नाटक के कलाकारों के अभिनय और निर्देशक के परिकल्पना और कौशल को समझते हुए समीक्षा लिखना एक विशिष्ट कला है जो आप ने बखूबी निभाया
धन्यवाद
बेहतरीन नाटक