नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सफलता!

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सफलता!
अभिषेक कांत पाण्डेय
न्यू इंडिया प्रहर डेस्क लखनऊ। चुनाव के वक्त नरेंद्र मोदी ने विकास का वायदा किया था, इस वायदे को पूरा करने और सबकों को साथ लेकर चलने की राह पर नरेंद्र मोदी का ऐजेण्डा सामने आ चुका है। एक सवाल उठता रहा कि क्या भारतीय जनता पार्टी में मुसलमानों को लेकर सोच मे बदलाव आया है कि नहीं? जब भाजपा के सांसद का लोकसभा में बयान के बाद हंगामा हुआ तब और अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले इंटर नेष्नल इंटरव्यू में अलकायदा की चिंता को खारिज कर दिया और कहा कि अगर किसी को लगता है कि उनकी धुन पर भारतीय मुस्लिम नाचेंगे तो वह भ्रम है। भारत के मुसलामान देष के लिए जीएंगे और देष के लिए मरेंगे, वे कभी भारत का बुरा नहीं चाहेंगे। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी का यह इंटरव्यू खास मायने रखती है, जिस तरह से एक समय था कि अमेरिका नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया था। वहीं आज की परिस्थिति में विष्व के सामने नरेंद्र मोदी एक ऐसे लोकतांत्रिक देष का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां पर हिंदू व मुस्लिम धर्म के लोग एक साथ रहते हैं। जाहिर है  कि भारत की विविधता में ही एकता है, जिस तरह से अलकायदा भारत जैसे देष में अपना असर फैलाना चाहता है, इसके लिए भारत के मुस्लमानों को भारत के खिलाफ भड़काने का नापाक इरादा जाहिर किया है। वहीं यह भी गौर करने वाली बात है कि यूपीए सरकार के लंबे अंतराल के बाद भारतीय जनता पार्टी का सत्ता में आना और नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना आतंकवाद फैलाने वाले चेहरों को रास नहीं आ रहा है। भारतीय मुस्लमानों की चिंता करने का ढोंग करने वाली अलकायदा जैसी आतंकी संगठन भारत में दहषत फैलाने का मनसूबा बना रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा का चेहरा विकास के मुद्दे पर केंद्रित किया जिसे मुस्लिम तबका ने हाथों-हाथ लिया। वहीं भाजपा की हिंदुत्व की छवि का चेहरा अब सबके विकास के एजेण्डे में तब्दील हो रहा है। नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषण में साफ-साफ कहा था कि गरीबी का कोई धर्म नहीं होता है। उन्होंने हर तबके के विकास का वायदा भी चुनाव से पहले किया, इस तरह से देखा जाए तो भारतीय राजनीति में अब तक जाति और धर्म हीे धुरी पर रही है। जबकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने सबके विकास की बातें कहीं, जाहिर है कि लोकसभा चुनाव के बाद यह सभी दलों को समझ में आ गया कि हिंदू, मुस्लमान में बांटकर राजनीति नहीं की जा सकती है, यह बात भाजपा के साथ ही सपा, बसपा और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को समझ में आ रही है। वहीं भाजपा के दूसरी लाईन के नेताओं का हिंदुत्ववादी विचारधारा  पर घमासान और नरेंद्र मोदी का विष्व पटल पर मुसलमानों के प्रति सकारात्मक बयान में यह संकेत छिपा है कि यह चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने जीता है, ऐसे में नरेंद्र मोदी का प्रभाव भाजपा मे ंसाफ देखा जा रहा है लेकिन भाजपा के अन्य नेतओं में हिंदुत्व छवि को भुनाने की होड़ भी लगी है इसीलिए नरेंद्र मोदी के विकास के एजेण्डे के अलावा हिंदुत्व विचारधारा की बात अलग-अलग तरीके से उपचुनाव के पहले परोसी गई, जिसका नुकसान उपचुनाव में भाजपा को उठाना पड़ा।  भारतीय जनता पार्टी के अंदरखाने में अभी भी हिंदुत्ववादी छवि को एक खास मतदाता वर्ग को  भुनाने की गोटी की तरह इस्तेमाल करने की रणनीति उपचुनाव में मतदाताओं को खींचने में असफल प्रयोग साबित हुआ। वहीं नरेंद्र मोदी ने विष्व पटल पर मुसलमानों के प्रति सकारात्मक बयान देकर, निष्चित तौर पर नये राजनीति की तरफ संकेत यह है कि नरेंद्र मोदी सबको ले कर चलने वाली नीति में सबके विकास के हिमायती और अपने एजेण्डे को कायम रखेंगे। वहीं मुसलमानों में यह लहर साफ देखी जा सकती है, आखिर इस मुल्क के सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी चाहे जिस मजहब को मानते हो लेकिन वह सबसे पहले भारतवासी हंै। इस तरह से धर्म की राजनीति करने वाले विरोधियों को नरेंद्र मोदी ने करारा जवाब दिया है। 
वहीं उपचुनाव में भाजपा को खासी सफलता न मिलने के कई कारण हैं, उपचुनाव में नरेंद्र मोदी को केंद्र में रखकर नहीं लड़ा गया लेकिन उपचुनाव से पहले भाजपा की एक खास रणनीति जिम्मेदार है, जिसमें हिंदुत्व के मुद्दे को उठाया गया, देखा जाए तो भाजपा का चेहरा नरेंद्र मोदी ही है लेकिन विकास के ऐजेण्डा से हटकर कोई भी प्रयोग इनके लिए घातक साबित होगा लेकिन उपचुनाव से पहले जिस तरह लव जिहाद और हिन्दुत्ववाद पर बखेड़ा खड़ा हुआ, भाजपा के  नेताओं की ओर से भुनाने की कोषिष की गई, यह कोषिष भाजपा ने अपने पारंपरिक वोट बैंक को एक करने के एवज में ऐस बयान देना शुरू किया। देखा जाए तो उपचुनाव भाजपा की खराब प्रदर्षन को  नरेंद्र मोदी से जोड़ा जाना उचित नहीं है। 
वहीं  नरेंद्र मोदी और मजबूत हुए है, जापान, चीन, नेपाल व अमरीका में आर्थिक व राजनीति दृष्टि से सफलता मिली है, जिसे एक प्रधानमंत्री के रूप में शुरूआती तौर पर बड़ी उपलब्धि है। लेकिन केंद्र की राजनीति और राज्य की राजनीति में बहुत बड़ा अन्तर है। उत्तर प्रदेष में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटें जीती लेकिन उपचुनाव में भाजपा में बिखराव ने यह स्थिति खड़ी कर दी है। वहीं उत्तर प्रदेष में सपा सरकार के लिए राह आसान बना दिया है। इन सबके बावजूद नरेंद्र मोदी की लोकसभा चुनाव के बाद भी लोकप्रियता बनी हुई है। इसका कारण साफ है कि जिस तरह धर्म व जाति विषेष की राजनीति को नरेंद्र मोदी ने तोड़ा है, वह काबिले तारीफ है, बषर्तें भाजपा के दूसरी पंक्ति के नेतओं में आपसी समझ विकसित होनी चाहिए। हालांकि नरेंद्र मोदी को नेतृत्व की इस कसौटी में खरा उतरना है। वहीं उनके सकारात्मक बयान पर उनके पार्टी के नेताओं को भी उनके लाइन को आगे बढ़ना है। सफलता के मद में विफलता का बादल बहुत ही जल्द घेर लेती है और उपचुनाव इसी खतरे की घण्टी प्रतीत होती है। 
जम्मू कष्मीर 109 साल बाद आए भयानक बाढ़ में राहत कार्य में केंद्र सरकार की मदद ने यह साबित कर दिया की  वोट बैंक की राजनीति के चलते राज्यों के प्रति अब तक हो रही उपेक्षापूर्ण नीति का भाजपा ने बदलाव की नई परंपरा डाली है। ऐसे में नरेंद्र मोदी के प्रति भारत की जनता का विष्वास और बढ़ा है। इस विष्वास को मुस्लिम धर्म गुरूओं ने भी सकारात्मक रूप से स्वीकार  भी किया है। महंगाई व भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी नरेंद्र मोदी की रणनीति  कार्यगर साबित हो रही है। नई सरकार के आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार से विदेष नीति की सुखद  आपेक्षा पर भी वह कई मील का पत्थर साबित हुई है। अपने शपथ समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को दावत देना और उनका षिरकत करना, एक अच्छी कूटनीति साबित हुई, वहीं इसके बाद के घटनाक्रम में जिस तरह से भारत और पाकिस्तान सीमा में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर उनका मुखर बयान वार्ता के लिए शांति आवष्यक है, यह खबर विष्व मीडिया में हलचल पैदा कर दिया। वहीं एषिया में चीन की बढ़ता प्रभुत्व को भी नजर आंदाज नहीं किया जा सकता है, वहीं इस रणनीति में भारत की आर्थिक नीति के लिए चीन से व्यापरिक समझौते आवष्यक हैं और यह एक बड़ी उपलब्धि के मायने के तौर पर देखी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ जापान जैसे प्रभुत्व देष से भी व्यापारिक सामझौते भारत के लिए फायदेमंद साबित होंगे। इस तरह से देखा जाए तो नरेंद्र मोदी विदेष नीति के जरिये जापान, चीन के बाद अब अमरीका में सफलता प्राप्त की है। इस मायने में इस सरकार की लोकप्रियतता बढना लाजिमी है। विष्व के अन्य देषों में भारत की छवि नरेंद्र मोदी की सरकार के बनने के बाद उज्ज्वल हुई है। भारत हमेषा शांति प्रिय देष के रूप में जाना जाता रहा है, इसी छवि और नीति को नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ाने का कार्य किया है। विष्व के मानचित्र में चीन और भारत दोनों महाषक्ति के रूप में उभर रहे हैं। चीन  के राष्ट्रपति जिनपिंग से नरेद्र मोदी की मुलाकात एषिया में शांति और सौहार्द के नजरिया से देखा जा सकता है। जिस तरह से गुजरात दंगे के बाद से अमरीका ने नरेद्र मादी की वीजा देन पर रोक लगा दिया था जिस पर भारत की राजनीति में खूब बवाल मचा, जिसके चलते राजनीतिक विरोधियों ने नरेंद्र मोदी का विरोध भी किया, लेकिन आज कि स्थिति में अमरीका ने नरेद्र मोदी को अमरीका मे आने का निमंत्रण दिया और उनकी कार्यप्रणाली की तारीफ भी किया। इससे जाहिर है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का लोहा अमरीका भी मानता है और वह कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहता है। इस सबके बीच नरेंद्र मोदी भारत की जनता से किये गए वादे को पूरा करना है, विकास के  मुद्दे के इतर पारंपरिक सोच से भाजपा को बदलाव की ओर ले जाना होगा, यह उचित समय है जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में धर्म और जाति की राजनीति की जगह विकास की राजनीति का ऐजेण्डा सभी दलों में प्रमुख्य रूप से होगा, सही अर्थो में यही बदलाव ही भारत को विष्व के देषों में अग्रणी रूप से स्थापित करेगा, जिसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है।
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