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कौशल के लिए शिक्षा (Education for skill) cbse skill education

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Written by Abhishek pandey

cbse skill education: कौशल के लिए शिक्षा (Education for skill) कौशल के लिए शिक्षा (Education for skill) pariksha pe charcha 2024, परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में कई टॉपिक पर एक शिक्षक होने के नाते कई तरह ​के टॉपिक पर विचार पूछे जाते हैं। यहां पर कौशल के लिए शिक्षा (Education for skill) pariksha pe charcha 2024 के बारे में अनुच्छेद दिया गया है। परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी जी बच्चों से बात करते हैं। इस बार भी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में देश के चुने हुए कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्रों से वार्तालाप करेंगे।


kaushal shiksha

बढ़ती हुई जनसंख्या और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए यदि प्रारंभिक स्तर के छात्रों को जागृत करके उन्हें चरण दर चरण कौशल के लिए शिक्षा (Education for skill) कार्यक्रम से जोड़ा जाए तो माध्यमिक स्तर से विश्वविद्यालय स्तर तक की उनकी शिक्षा एक तरफ कौशल के लिए शिक्षा होगी। जो उन्हें रोजगार परक बनाता है। इस तरह की शिक्षा भविष्य में बेरोजगारी की समस्या का एक रचनात्मक हल है और हमारे समाज की खुशहाली का तरीका है।

रोजगार कुशलता वाली शिक्षा

cbse skill education माध्यमिक स्तर के छात्रों में पढ़ाई के साथ उनमें रोजगारपरक कुशलता वाली शिक्षा का भी विकास करना आज की शिक्षा का सबसे बड़ा कर्तव्य है। किसी भी समाज में शिक्षित व्यक्ति यदि बेरोजगार रहता है तो उसकी शिक्षा का लाभ किसी भी तरीके से दूसरा व्यक्ति नहीं उठा सकते हैं, इसलिए उसे रोजगार से जोड़ने वाली कौशल-शिक्षा भी साथ में दी जाए ताकि अपने भावी जीवन में वह बेरोजगार न रहे और अपनी शिक्षा का समुचित उपयोग वह कर सकें। ‌

शिक्षा इंसान के जीवन को परिवर्तित कर उनमें मानवीय गुण का संचार करती है।‌ इसके साथ ही उसे ज्ञानवान बनाती है।‌ जबकि शिक्षा के साथ कुशलता वाली शिक्षा देने से छात्रों को दोहरा लाभ होता है।‌ ज्ञान के साथ ही जीवन जीने की कला विकसित होती है। रोजगार भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि उसके स्किल है।

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शिक्षा जीवन की कला और कुशलता

शिक्षा इंसान को जीवन जीने की कला सिखाती है लेकिन इसके साथ शिक्षा छात्रों को कुशल भी बनाती है। ‌ यह कुशलता भविष्य में उन्हें सीधे रोजगार से जोड़ती है। कई शिक्षाविदों ने भी कुशलता आधारित शिक्षा पर बल दिया है। ‌ वोकेशनल एजुकेशन आवश्यक है। ‌ रोजगारपरक स्किल योग्यता को निखारने वाली, कुशलता को बढ़ाने वाली शिक्षा की आवश्यकता भारत जैसे देश में है।

रोजगारपरक स्किल Educational skill


आज की तकनीकी और मशीनी युग में कई ऐसे रोजगारपरक स्किल Educational skill हैं जो माध्यमिक स्तर पर बच्चों को पारंपरिक विषयों के साथ उन्हें सिखाना आवश्यक है। अन्यथा वे भावी जीवन के रोजगार की दौड़ में पीछे रह जाएंगे।

हमारे देश में लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या रोजगारपरक स्किल के जरिए ही अपना जीवन यापन करती है। बुटीक स्किल, ब्यूटी पार्लर, कंप्यूटर आधारित जॉब वर्क, पाक कला, ऑनलाइन लेखन-अनुवाद कार्य इत्यादिक कार्य करती है। ‌ इस तरह के कई रोजगारपरक वोकेशनल पाठ्यक्रम हैं, जो जीवन में धन-उपार्जन करने हेतु आवश्यक है। यदि शिक्षा के साथ स्किल योग्यता वाली पाठ्यक्रम भी शामिल किया जाए तो छात्र अपनी रूचि के अनुसार रोजगारपरक वोकेशनल कोर्स में दक्ष होंगे और भविष्य में बेरोजगार नहीं रहेंगे।

Secondary level training

माध्यमिक स्तर पर प्रशिक्षण (secondary level training) आधारित रोजगारपरक शिक्षण मुख्य पाठ्यक्रम के साथ अनिवार्य हो। जापान और चीन जैसे देशों में रोजगारपरक शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाता है। तकनीकी रूप से अत्यधिक सक्षम हैं।
भारत में पारंपरिक विषयों के शिक्षण के साथ यदि नये और पारंपरिक विषयों के आधुनिक रोजगारपरक स्किल दक्षता वाले पाठ्यक्रम भी समय-समय पर कक्षा 9 से लेकर 12 तक के विद्यार्थियों (students) दिया जाए तो निश्चित ही वे शिक्षा को रुचिपूर्ण (interesting) तरीके से ग्रहण करेंगे।‌ इस कारण से वे नौकरी (job) तालाश में नहीं बल्कि स्वयं उद्यमी और स्वरोजगार (Entrepreneur and Self Employed) को बढ़ावा देंगे, जिससे लाखों लोग को रोजगार प्राप्त होगा।

वोकेशनल कोर्स

भाषा, विज्ञान जैसे विषयों के भी वोकेशनल कोर्स किसी भी छात्र को रोजगार से जोड़ने के लिए तैयार करता है।
उदाहरण के लिए भाषा में दक्ष छात्र अपनी विज्ञान की दक्षता के साथ वह आने वाले समय में रोजगार से आसानी से जुड़ सकता है, उसके लिए विज्ञान के सुनहरे अवसर तो हैं ही इसके साथ भाषा-दक्षता (language proficiency) के कारण एक तकनीकी-लेखक और एक उत्तम रचनात्मक व्यक्ति बन सकता है जो आधुनिक क्षेत्रों के तकनीकी- कला (technical art) में अपनी सेवाएं दे सकता है।
वोकेशनल कोर्सेज प्रायोगिक आधार पर होती हैं। यह छात्रों को व्यावहारिक रूप से कुशल बनाती है, जैसे एक भाषा दक्षता वाले कुशलता सीखने वाले में अनुवादक, लेखक, शोधकर्ता (translator, writer, researcher) बनने की क्षमता होती है।

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वर्तमान शिक्षा में कुशलता (skill) को निखारने वाली शिक्षा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि आज के समय में विज्ञान, आनलाइन तकनीक और रचनात्मक कला तीव्र गति से बढ़ रही है और इन क्षेत्रों में उत्तम कार्मिकों की आवश्यकता भविष्य में है।
इसी को ध्यान में रखते हुए कुशल योग्यता वाली शिक्षा आवश्यक है। रोजगार से जोड़ने वाली कुशल योग्यता की शिक्षा उद्यमी भी बनाती है।
आज ऐसे युवाओं की आवश्यकता है जो शिक्षा ग्रहण करने के बाद रोजगार के अवसर पैदा करें इसलिए व्यावहारिक तकनीकी कुशलता युक्त कई पाठ्यक्रम शिक्षा के पारंपरिक विषयों के साथ माध्यमिक स्तर से उच्च स्तर तक शिक्षा व्यवस्था में लागू करना आवश्यक है।
‌ इसे अनिवार्य रूप से कक्षा 9 के विद्यार्थियों से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए लागू होना चाहिए। जिसमें रोजगारपरक शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के प्रायोगिक प्रोजेक्ट कार्य होना चाहिए, जो उन्हें कुशलता वाली से जोड़ता है।

फायदें क्या हैं

स्किल आधारित शिक्षा के फायदें क्या हैं? इस पर चर्चा करते हुए मैं इस बात पर अत्यधिक बल देता हूं कि यदि भविष्य के 10 से 15 साल में किन किन तरह के प्रोफेशनल की आवश्यकता है, इस पर शिक्षा शोध के जरिए सूचनाएं एवं आंकड़े इकट्ठा करना चाहिए। पश्चात इन सूचनाओं और आंकड़ों को इकट्ठा करके हमारे वोकेशनल कोर्स तैयार किया जाए एक विज्ञानिक और तार्किक तरीका हमारी युवा पीढ़ी को सही राह पर शिक्षा देकर उनके जीवन को परिवर्तित करेगी‌।

मैं इस ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि तकनीकी विकास कई ऐसे स्किल (व्यवसाय कुशलता) के लिए रास्ते खोले हुए हैं, जहां योग्य व्यक्ति आसानी से रोजगार प्राप्त करता है। इसलिए हमारी शिक्षा प्रणाली में समय-समय पर इन तरह के पाठ्यक्रमों की एक सूची बनाकर उन्हें 10 साल के लिए लागू करना चाहिए। हर दूसरे साल इन रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की समीक्षा और परिमार्जन होना भी आवश्यक है।

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स्किल आधारित शिक्षा‌ कक्षा 6 से प्रारंभ हो जानी चाहिए और इसमें रोजगारपरक शिक्षा के प्रति बच्चों को जागृत करने हेतु और उनकी योग्यता को बढ़ाने के लिए प्रायोगिक शिक्षा देनी चाहिए।

पारंपरिक शिक्षा के साथ इनके कौशल के लिए शिक्षा (Education for skill) कार्यक्रम अंकों को जोड़कर इनके हाईस्कूल के बोर्ड परीक्षा के अंकों के साथ इसे प्रदर्शित करना चाहिए।

कक्षाओं में इन विषयों की जानकारी और इन पर प्रोजेक्ट कार्य से रचनात्मक पढ़ाई आवश्यक है। इसके लिए हमें उन्हीं पारंपरिक विषयों के साथ प्रोजेक्ट कार्य से जोड़कर बच्चों को वोकेशनल शिक्षा की ओर ले जा सकते हैं।

निम्नलिखित सूची वोकेशनल कोर्स (रोजगार परक शिक्षा)

इसके लिए योग्यता वाली शिक्षा की आवश्यकता है यदि इन्हें कोई ग्रहण कर ले तो आने वाले समय में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं-

फोटोग्राफी
वेब डिजाइनिंग
फैशन डिजाइनिंग
सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन
एनीमेशन
डिजिटल मार्केटिंग
सिनेमेटोग्राफी
मल्टीमीडिया
कंप्यूटर एप्लीकेशन
इंटीरियर डेकोरेशन
मीडिया प्रोग्रामिंग
फूड टेक्नोलॉजी
काउंसलिंग साइकोलॉजी
जर्नलिज्म
बेकरी
पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन
फॉरेंसिक साइंटिस्ट

माध्यमिक शिक्षा में कुशलता बढ़ाने वाली शिक्षा कक्षा 6वीं से 12वीं स्तर के विद्यार्थियों होना चाहिए।
इसके बाद विश्वविद्यालय स्तर पर इन्हीं विषयों में उन्हें विशेषज्ञ स्किल शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।

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कौशल के लिए शिक्षा (Education for skill) युवाओं को उद्योग और समाज को ध्यान में रखकर विकसित करना चाहिए।
औद्योगिक क्षेत्रों को सही स्किल वाले युवा नहीं मिल पाते हैं, इन समस्याओं का उपरोक्त हल मैंने सुझाया है, इसमें और लचीलापन लाकर इसे अनिवार्य रूप से शिक्षा में कुशलता बढ़ाने वाले पाठ्यक्रम तैयार करके हम आने वाली पीढ़ी को शिक्षा के साथ उनको रोजगार से भी जोड़ सकते हैं।

सुझाव एवं विचार
अभिषेक कांत पांडेय
(शिक्षक)

परीक्षा पर चर्चा प्रधानमंत्री मोदी Pariksha Pe Charcha 2022

About the author

Abhishek pandey

Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
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