Tips: तनाव से हो जाइए टेंशन फ्री Tips: Get tension free from stress
दिन प्रतिदिन बदलती हुई जीवनशैली का सकारात्मक कम नकारात्मक प्रभाव ज्यादा दिख रहा है। बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए क्षमता से अधिक काम करना व्यक्ति के तन और मन दोनों को प्रभावित कर रहा है। आगे बढ़ने की होड़ में जीवन जीवन का जोड़ जोड़ ढीला हो रहा है, ढेरों समस्याएं हैं पर समाधान रत्ती भर नहीं। ऐसे में दिमाग आ जाता है टेंशन में। हम बताने जा रहे हैं आपको ऐसे टिप्स जिससे रहेंगे आप टेंशन फ्री।
उम्र के किसी भी पड़ाव में आज हम टेंशन यानी तनाव से जूझ रहे हैं। आज की भागदौड़ वाली या जिंदगी हमारे जीवन में तनाव भर देता है। कभी आपने गौर किया होगा कि आखिर आप तनाव वाला जीवन क्यों जी रहे हैं। रिसर्च बताते हैं कि 80 परसेंट समस्या का हल तो हमारे पास तुरंत ही होता है।हमें टेंशन इसलिए होता है कि हम अपनी जिंदगी के लिए भौतिक सुखों की कामना कुछ ज्यादा ही करने लगते हैं। हर इंसान को अच्छा जीवन जीने का हक है, लेकिन हर इंसान को सब कुछ नहीं मिल सकता है। वह पैसा मेहनत करके कमा सकता है, उसे जीने के लिए बेहतर पैसा भी मिल सकता है। लेकिन हम इन सब के अलावा वह चीजें पाना चाहते हैं जो कि हमारे वश में सीधे-सीधे नहीं होता है और इन आकांक्षाओं की पूर्ति जब नहीं होती है तो हम तनाव में आ जाते हैं। दूसरों से तुलना करने के बाद हमारे स्थिति तनाव को और अधिक पढ़ा देती है।
अगर सोचते हैं कि किसी व्यक्ति को अपनी तरह बना ले या किसी में ऐसा परिवर्तन ला दे, या हमारे मन मुताबिक लड़का या लड़की हो, या हमें अपनी बेटा-बेटी-बहू-रिश्तेदारों से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगाएं। और वह उन उम्मीदों में खड़ा खरा नहीं उतरते हैं तो हम तनाव में आ जाते हैं । अपने मन से सवाल पूछे कि हर किसी की अपनी जिंदगी है वह आपके मुताबिक कीजिए चाहे आप अपने घर के मुखिया ही क्यों ना हो? इन सवालों को ध्यान में रखते हुए पूरा लेख पढ़िए फिर आपको जवाब स्वयं भी मिल जाएगा।
अनियमित दिनचर्या से बढ़ता है तनाव
हमारे देश भारत में लगभग 2 करोड़ से अधिक लोग गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं और हल्की मानसिक अवस्था की कोई गिनती ही नहीं है। अगर ऐसी स्थिति में इन लोगों को मानसिक तनाव से मुक्ति नहीं मिली तो यह बीमारी भयंकर रूप ले सकती है। भारत में अनियमित दिनचर्या के कारण लोगों में तनाव बढ़ रहा है। सही समय पर खाना पीना सोना उठना बैठना घूमना यह हमारे जीवन में बहुत जरूरी है क्योंकि हमारी मानसिक और शारीरिक संरचना एक दूसरे के पूरक होती है। सोचने की स्थिति में इंसान अपनी लाइफस्टाइल के कारण वह तनाव में चला जाता है। तो सबसे पहले आप अपनी दिनचर्या को नियमित करिए सही समय पर सही काम कीजिए यही प्रकृति हमें सिखाता है। इसके लिए आप एक डायरी लीजिए और उस पर कल आपने क्या-क्या किया और किस किस समय किया उसका विवरण लिखिए और फिर उस पर विचार करिए कि आपकी दिनचर्या प्रकृति के मुताबिक है कि नहीं क्योंकि देर से उठना और देर रात तक जागना तनाव को बढ़ाता है। डायरी में आप नई टाइमिंग लिखिए यानी टाइम टेबल बनाइए, उसका पालन कीजिए। कुछ दिनों बाद आपके जीवन में शारीरिक और मानसिक रूप से काफी फर्क दिखाई देने लगेगा आप स्वस्थ जीवन की एक कदम की ओर आगे बढ़ना शुरू कर चुके होंगे।
महिलाओं में सबसे अधिक तनाव की बीमारी
महिलाएं ज्यादातर अंदरूनी शारीरिक बदलावों और बाहरी अनेक समस्याओं को लेकर स्वयं में ही जूझती रहती हैं और विराम कहा जाता है कि मन स्वस्थ है तो तन्वी स्वस्थ है और विराम पर आजीवन महिलाओं का ना तो मन स्वस्थ हो पाता है ना तन क्योंकि वे कई तरह के दबाव और परेशानियों का सामना करती हैं। इसलिए पुरुष की अपेक्षा मानसिक बीमारियों के मामले में महिलाओं की संख्या दुगनी है। इस तरह महिलाओं की एक बड़ी संख्या इस जानलेवा बीमारी से ग्रसित है और मेरा जिसका प्रभाव हमारे सामाजिक पारिवारिक ढांचे पर दिखाई देता है क्योंकि महिलाएं ही परिवार व समाज की रीढ़ की हड्डी है।
अपनी अहमियत खत्म होना तनाव का कारण
घर परिवार में पुरुष की अहमियत जब धीरे-धीरे कम होने लगती है तब पुरुष अपनी अहमियत को बनाए रखने की जद्दोजहद करता है ऐसे में घर के अन्य सदस्यों से उसकी नोकझोंक होती है जिस कारण से तनाव होना शुरू हो जाता है।
अपनों की उपेक्षा की पीड़ा पुरुष की समाज में अपने परिवार में अपनी गहरी पैठ बनाने के प्रयास में भरसक प्रयास करता है।
नाम, ऊंचा स्थान, बनाने के फेर में वह दिन-रात एक्टिव रहता है। क्योंकि वह घर का मुखिया होता है, वह इस स्थिति में अपने को सर्वोच्च समझता है। ऐसे में परिवार में उसका रुतबा कम होता चला जाता है तो वह इसे प्राप्त करने के लिए तनाव में जीने लगता। है।
- हमारे समाज में बुजुर्गों की स्थिति भी दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है, जो कल तक घर का मुखिया था, वह घर की सभी छोटे-बड़े फैसले उसके अधिकार क्षेत्र में होते थे, जो परिवार का सार है, वही निर्बल होने पर अपने ही घर में पराया-सा हो जाता है।
- बुजुर्ग व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर होने के साथ मानसिक रूप से तब कमजोर हो जाता है, जब उसके मन में अपनों के द्वारा उपेक्षा का भाव पैदा हो जाता है। अपनेपन का अभाव, उनकी देखभाल की कमी, उपेक्षित जीवन, उन्हें अपनी समाप्ति का एहसास कराता है।
- अगर समय रहते इस विकट समस्या का आहट हमने नहीं सुनी, तो परिणाम भयंकर होने की संभावना है। मानसिक तनाव का मुख्य कारण भावनाओं का विकृत होना है, जो भावनाओं को दबाने से और ज्यादा गंभीर रूप ले लेती है। इसलिए व्यक्ति अपनी सोच को बदलें, जागरूक बने आपस में सहयोग की भावना हो।
- एडजस्ट करने की भावना होनी चाहिए और अपने सपनों के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाए और उससे जिम्मेदारी सीखे वास्तव में हम तनाव से दूर हो जाएंगे हम तनाव को अलविदा कहेंगे हमारा जीवन स्वस्थ होगा हमारा जीवन हंसमुख होगा।
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