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जब लापरवाह हो बच्चा
ट्यूशन के बावजूद बच्चा पढ़ाई में कमजोर है
आप स्कूल के टीचर से बात करें
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पढ़ाने के तरीके में फेरबदल किया जाए, पढ़ाने के इंट्रेस्टिंग तरीके की जरूरत है। एक्टिविटी और ‘आओ करके सीखे’, जैसे तरीके हर विषय में शामिल हो। बोरिंग पढ़ानेे के तरीके में क्रिएटिव माइंडेड बच्चे कभी रुचि लेकर नहीं पढ़ते हैं इसलिए बच्चे पर ट्यूशन का बोझ न डालें। एक से लेकर आठ तक की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों स्कूल में छह घंटे का समय बिताते हैं, अगर इतने समय में वे नहीं पढ़ पा रहे हैं तो पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है।
भाषा की वजह से बच्चा पढ़ाई में कमजोर है
आजकल मातृभाषा यानि मदरटंग में पढ़ाई का चलन नहीं है लेकिन भारतीय शिक्षा में इसी पर कई एजूकेशन कमीशन ने कहा है कि प्राइमरी स्तर पर बच्चे को उसकी मातृभाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए और धीरे—धीरे दूसरी भाषा की शिक्षा दी जानी चाहिए। लेकिन अंग्रेजी माध्यम स्कूल सिस्टम मदर टंग और हिंदी भाषा में पिछड़ जाते हैं जो कि उनके प्रारंभिक जान और पढ़ने की रुचि विकसित करता है और इसके साथ ही उनके अंदर नैतिकता की शिक्षा भी देता है।
पढ़ाने के तरीके में फेरबदल किया जाए, पढ़ाने के इंट्रेस्टिंग तरीके की जरूरत है। एक्टिविटी और ‘आओ करके सीखे’, जैसे तरीके हर विषय में शामिल हो। बोरिंग पढ़ानेे के तरीके में क्रिएटिव माइंडेड बच्चे कभी रुचि लेकर नहीं पढ़ते हैं इसलिए बच्चे पर ट्यूशन का बोझ न डालें। एक से लेकर आठ तक की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों स्कूल में छह घंटे का समय बिताते हैं, अगर इतने समय में वे नहीं पढ़ पा रहे हैं तो पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है।
भाषा की वजह से बच्चा पढ़ाई में कमजोर है
आजकल मातृभाषा यानि मदरटंग में पढ़ाई का चलन नहीं है लेकिन भारतीय शिक्षा में इसी पर कई एजूकेशन कमीशन ने कहा है कि प्राइमरी स्तर पर बच्चे को उसकी मातृभाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए और धीरे—धीरे दूसरी भाषा की शिक्षा दी जानी चाहिए। लेकिन अंग्रेजी माध्यम स्कूल सिस्टम मदर टंग और हिंदी भाषा में पिछड़ जाते हैं जो कि उनके प्रारंभिक जान और पढ़ने की रुचि विकसित करता है और इसके साथ ही उनके अंदर नैतिकता की शिक्षा भी देता है।
अगर बच्चे के घर में अंग्रेजी नहीं बोली जाती है तो अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने के जोर के कारण बच्चे को पढ़ाई समझ में नहीं आती है, बच्चा लगातार पढ़ाई में पिछड़ने लगता है।