कविता

किंतु -परंतु -अगर- मगर- लेकिन (कविता)

किंतु -परंतु -अगर- मगर- लेकिन  (कविता)

ईश्वर का दिया सब कुछ है…
गांव में नेचर है।
गांव में सरकारी स्कूल भी है!
गांव में सरकारी अस्पताल भी है!
गांव में लाइब्रेरी भी है!
गांव में लहलाती खेती के साथ
 सवाल उठाता हुआ साहित्य भी है!
असल में गांव- गांव ही है,
जैसा शहर है।
फर्क बस इतना है
 जो चीज वहां है,
 वह चीज यहां नहीं
इसे इस तरह कहे
जो चीज यहां है,
 वह चीज वहां नहीं
फिर समझ में
असल में अधूरे!
गांव और शहर
 बल्कि हम
बल्कि हमारा प्रयास!
परंतु….!

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