तिमिर घना
बन दीप
उज्ज्वल सा मन
मन का दीप।
सोच नया
सच नया
माटी के दीप।
चहू प्रकाश बन
धन से मन से
तू देश बन
चमक मन
धरा का कर्ज
तू दीप बन
प्रकाश बन
बिन सूरज के चमक
चांद से भी धवल
तू बन
बन तू शिक्षा का दीप
फैला उजाला
ज्ञान बन तू
दीप बन
भविष्य बन हर जीवन का।