निबंध लेखन: खुद को आत्मनिर्भर बनाने की राह में महिलाएं
निबन्ध (Essay) लेखन कई परीक्षा में पूछा जाता है। अब अनुच्छेद लेखन पूछने की परंपरा 910 की कक्षा में शुरू हो गया है इसलिए यह छोटा निबंध अनुच्छेद लेखन जिसने मेरी सहायता करता। जाता है।
किसी देश की तरक्की में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। परिवार को संभालने वाली महिला अब समाज और देश को नई दिशा दे रही हैं। ये सिलसिला आजादी के बाद से अब तक अनवरत चल रहा है। पुरुषों से कमतर समझे जाने वाली महिलाओं ने शिक्षा, विज्ञान, इंजीनियरिंग, मेडिकल और सेना जैसे क्षेत्र में खुद को साबित किया है। जहां कामयाबी पुरुषों का अधिकार समझा जाता था, वहीं महिलाओं ने इस भ्रम को तोड़ दिया है, वे कामयाबी की राह में आगे बढ़ रही हैं। चाहे जितनी मुश्किलें हो लेकिन आगे बढ़ने और खुद को स्थापित करने का जज्बा महिलाओं को कामयाब बना रहा है। निबन्ध (Essay) writing 2021 new updatet in hindi.
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भारतीय समाज में महिलाओं का विशिष्ट स्थान रहा हैं। पत्नी को पुरूष की अर्धांगिनी माना गया है। वह एक विश्वसनीय मित्र के रूप में भी पुरुष की सदैव सहयोगी रही है। लेकिन पुरुष वर्चस्व मानसिकता वाले समाज ने महिलाओं को घर की दहलीज से बाहर कदम रखने पर पाबंदी लगाता रहा है। महादेवी वर्मा ने कहा था कि नारी केवल एक नारी ही नहीं अपितु वह काव्य और प्रेम की प्रतिमूर्ति है। पुरुष विजय का भूखा होता हैं और नारी समर्पण की। शायद इसीलिए अपने सुनहरे भविष्य के सपने देखने वाली महिलाएं कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती हैं, तब उनकी इस सफलता को पुरुष मानसिकता बर्दाश्त नहीं पाता है। घर-बाहर सभी जगह महिलाओं और लड़कियों पर हिंसा इसी का जीता जागता उदाहरण है।
पुरुष मानसिकता
बचपन से भरी जाती है भेद-भाव की भावना
भारतीय समाज के संदर्भ में किए गए कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि एक ही परिवार में लड़का और लड़की में भेद किया जाता है। लड़कों की परवरिश लड़कियों के मुकाबले बेहतर होती है। लड़कों को अच्छे स्कूल में पढ़ाई, उनकी सेहत पर लड़कियों की तुलना में ज्यादा ध्यान दिया जाता है। भाई-बहन के बीच में यह भ्ोद-भाव लड़कों के मन व मस्तिष्क पर खुद को श्रेष्ठ मानने की मनोवैज्ञानिक अवधाराणा बचपन से पनने लगती है, जबकि लड़कियों में ठीक इसके उल्टे खुद को कमजोर समझने की भावना उनमें बैठ जाती है। जब लड़के बड़े होते हैं तो खुद को श्रेष्ठ समझने वाली उनकी धारणा, जो उन्हें परिवार में बचपन से मिली है, उसी भावना में जीते हैं। जबकि परिवार में अपने भाई से कमतर समझी जाने वाली भावना लड़कियों में बचपन से भरी गई है, उसके कारण वे जीवनभर अपने लिए स्वतंत्र निर्णय नहीं ले पाती हैं और अपनी मनमर्जी से जी भी नहीं सकती हैं, यहां तक कि वे शादी और कॅरिअर जैसे जीवन के महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए पहले पिता, फिर पति के इच्छा पर निर्भर रहती हैं।
सशक्त होती महिलाएं
उपसंहार
-व्यावसायिक संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, एक सर्वे के अनुसार भारतीय महिलाओं की भागीदारी कुल उद्योगों में दस प्रतिशत हैं और यह भागीदारी निरंतर गतिशील हो रही है। बैंकिग, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, कॉर्पोरेट जगत, स्वयंसेवी संस्थाओं तकनीकी क्षेत्र आदि में स्किल से लैस महिलाएं भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ा रही हैं। महिलाओं के काम करने की क्षमता जैसे, नेटवर्किंग की क्षमता, काम प्रति समर्पण, सहयोगियों के साथ मधुर व्यवहार, सीखने की जिज्ञासा, सकारात्मक सोच के इन्हीं गुणों के कारण महिलाएं आज इन क्षेत्रों में सफल नेतृत्व भी कर रही हैं।
-दूसरे सर्वे के अनुसार भारत में कुल 9 लाख 95144 लघु उद्योग उद्यमशाील महिलाओं द्बारा संचालित हैं। स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं दूसरी सैकड़ों महिलाओं को अत्मनिर्भर बना रही हैं। केरल में ऐसे स्वयं सहायता समूह के कारण आज वहां सौ प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं और अपने अधिकारों के लिए सजग हैं। बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में ग्रामीण महिलाएं आज स्वयं सहायता समूह से अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं।
निबंध लेखन essay writing in hindi for class 9 to 12
-रिसर्च से ये बात सामने आया है कि महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने से परिवार में खुशहाली और आर्थिक तंगी भी दूर होती है, क्योंकि उस परिवार में अभी तक पुरुष ही कमाते थे और परिवार की बढ़ती जरूरतों को बमुश्किल से पूरा कर पाते हैं। ऐसे में महिलाएं का आत्मनिर्भर बनना, बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा पोषण दोनों उपलब्ध होता है। मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ये तथ्य सामने आए हैं।