मेरा शहर कूड़े में तब्दील

Last Updated on August 23, 2013 by Abhishek pandey

मेरा शहर कूड़े में तब्दील
    http://prakharchetna.blogspot.in/ इलाहाबाद। शहर सभ्यता के प्रतीक हैं। सिंधु घाटी की सभ्यता शहरी थी। चारों ओर पक्की नालियां पक्के मकान, कूड़े फेंकने का उचित प्रबंध था लेकिन आज मेरा श​हर कूड़े खाने और कचरे में तब्दील हो रहा है। जगह—जगह​ बेतरकीब कूड़े का अंबार बदबू करता आपकों मिल जाएगा। उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद जिले का यही हाल है जगह—जगह ​कूड़े करकट पड़ा हुआ है। लोगों की जिम्मेदारी अपने घरों को साफ रखना है यही कारण है कि पार्क, गली में वे बड़े इत्मनान के साथ कूड़ा फेंक अपने दायित्व की इतिश्री कर लेते हैं। इस तरह एक अच्छे शहरी होने का धर्म निभाते हैं। हमारा घर साफ रहे भले गली मुहल्ला, कूड़े के इधर—उधर फेंकने से गंदा दिखे, कोई फर्क नहीं पड़ता है। इन दिनों बारिश का मौसम है और नगर निगम की दया से पड़े कूड़े बदबू और बीमारियां बांट रहे हैं। राजापुर के पीछे ऐतिहासिक कब्रिस्तान के पास तो कूड़ा जानबूझकर डम्प किया गया। वहीं पानी टंकी से सुलेम सराय के बीच खाली पड़े जगह पर तो गड्ढे पाटने के नाम पर कूड़े की कुरबानी दी गई है। यहां से गुजरने वाला रूमाल को मुंह और नाक पर रखकर ही गुजरता है और कम से कम सांस लेने की कोशिश करता है। यही हाल कटरा, मनमोहन पार्क, अल्लापुर का है जगह जगह कूड़े के छोटे पहाड़ अपनी बदबू और सड़न से इलहाबाद से शहर होने का खिताब छीन रही है। 

    नगर निगम का कूड़े कचरे के निस्तारण की व्यवस्था ​कबिल नहीं दिख रही है। मुंडेरा सब्जी मंडी में कूड़े का ढेर दिन भर देखा जा सकता है। अगर आप के साथ कोई पहली बार इलाहाबाद घूमने आया है तो उसे इन सब जगहों से चाहे जितना बचाए शहर के हर ग​ली मुहल्ले में ऐसे बचबचाते हुए कूड़े का ढेर मिल जाएगा। ​कूड़ेदान की परंपरा जैसे समाप्त हो गई है। पालीथीन में एक दिन का कूड़ा बालर की तरह घुमा के ऐसा फेंका जाता है की सुबह—सुबह कूड़ेदान के आस—पास जैसे शहीद होकर पालीथीन छितरी बितरी पड़ी हो। 

   बहरहाल इलाबाद का केवल यह हाल नहीं है— वाराणसी, कानपुर का भी यही हाल है। कूड़े के ​सही निस्तारण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो हंसी में मत लीजिए एक दिन हम कूड़ों के शहर में बैठे होंगे और हमारी पृथ्वी नील आस्ट्राम को नीला नहीं कूड़ों का काला पहाड़ नज़र आएगा, काश हम सुधर जाएं।

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Abhishek pandey
Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
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