संविद शिक्षक भर्ती में हाईकोर्ट ने दिए स्पष्ट आदेश, फिर भी अफसर कन्फ्यूज क्यों हैं

Last Updated on June 29, 2013 by Abhishek pandey संविद शिक्षक भर्ती में हाईकोर्ट ने दिए स्पष्ट आदेश, फिर भी अफसर कन्फ्यूज क्यों हैंअभिषेक कांत पाण्डेय/भोपाल। सभी के लिए अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा कानून के तहत 14 साल तक के बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा देना राज्य का परम कर्तव्य है। लेकिन आरटीई एक्ट का…

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मानव बनों

Last Updated on June 27, 2013 by Abhishek pandey मानव बनों हम जाग गए सवेरा हो गयाकल रात का मंजरअभी भी हैसुनसान चीखेंबहती पानी के साथ आवाजेंजिंदा शब्द हिलना डुलना में तब्दीलगड़गड़हाट ध्यान से सुन सैलाब नहींअब हेलीकाप्टरउम्मीद खोने के बाद जागने कीहालात देश मेंदेव भूमि से बत्तरबच्चे ने बतायाहम कट रहेकाट रहे पेड़। दिल्ली…

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संविदा शाला वर्ग 2 व 3 में 50 प्रतिशत से कम अंक वाले हजारों बेरोजगारों के साथ अन्याय हो रहा है।

Last Updated on June 27, 2013 by Abhishek pandey संविदा शाला वर्ग 2 व 3 में 50 प्रतिशत से कम अंक वाले हजारों बेरोजगारों के साथ अन्याय हो रहा है। अभिषेक कांत पाण्डेय/मध्य प्रदेश में व्यापम परीक्षा उतीर्ण योग्य ऐसे बेरोजगारों जिन्होंने बीए व डीएड की डिग्री एनसीटीई के नियमानुसार प्राप्त की लेकिन उन्हें नौकरी…

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उपेछित संगम नई कविता

Last Updated on June 13, 2013 by Abhishek pandey उपेछित संगम            नई कविता                 अभिषेक कान्त पाण्डेय  संगम की रेती  रेत के ऊपर गंगा  दौड़ती, यहाँ थकती गंगा  अभी-अभी बीता महाकुम्भ  सब कुछ पहले जैसा  सुनसान बेसुध। टिमटिमाते तारें तले बहती, काली होती गंगा…

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प्रेम-याद, भूल याद नई कविता

Last Updated on June 13, 2013 by Abhishek pandey प्रेम-याद, भूल याद             नई कविता                       अभिषेक कान्त पाण्डेय  बार-बार की आदत  प्रेम में बदल गया  आदत ही आदत  कुछ पल सबकी  की नज़रों में चर्चित  मन   सभी की ओठों में…

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बदलना जारी

Last Updated on June 13, 2013 by Abhishek pandey  बदलना जारी        नई कविता  अभिषेक कान्त पाण्डेय  बदलना जारी  मोबाइल रिंगटोन आदमी  धरती मौसम  आकाश, सरकारी स्कूल  कुआँ उसका कम होता पानी  चौपाल  फैसला  रिश्ते  इंजेक्शन वाली लौकी और दूध  गरीबी गरीब  आस्था प्रसाद  प्रवचन भाषण  नेता अनेता  पत्थर गाँव का ढेला  ओरतें  कामयाबी …

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जूठे मन

Last Updated on June 10, 2013 by Abhishek pandey कविता जूठे  मनकुछ हिस्सा जीवनबदरंग आदमीसोचकृत्यराजधानीलगातार बार बारजंगल में तब्दीलसड़क से संसद। गलत गलतचश्मे वाली आखों सेदेसी वादेउतरे -नहींहज़म सबख़त्म खेल।पुराने मन मेंनयापननहीं नहींभ्रम समझवही राजधानीजंगलसड़क से संसदचेहरे मोहरेबदरंग आदमीबहुरे छत,हत -प्रतबुझा मनवहीं चश्मे वाली नंगी ऑंखेंलुटेरासीधा-साधाकरोडों खाली पेटतैरती दुगनी आंखेउठाते इतने सिर।कहीं अरबों की डकारबडा…

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हिंदी में बेस्ट करियर ऑप्शन, टिप्स CBSE Board Exam tips 2024 एग्जाम की तैयारी कैसे करें, मिलेगा 99% अंक