Last Updated on September 8, 2019 by Abhishek pandey
*हिंदी अध्यापकों ने पाठ्यक्रम व प्रश्न पत्र के कलेवर पर रखे अपने विचार*
प्रयागराज। सीबीएसई द्वारा हिंदी अध्यापन के उद्देश्य की पूर्ति हेतु विष्णु भगवान पब्लिक स्कूल में 7 सितंबर को प्रश्नपत्र कलेवर से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में हिंदी विषय अध्यापन व प्रश्नपत्र के कलेवर एवं विद्यार्थियों में भाषा के विकास के संबंध में कई विद्यालयों के हिंदी अध्यापकों ने अपने अपने सुझाव प्रदान किया।
इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों से आए हुए हिंदी के अध्यापकों ने कक्षा 9 एवं 10 के पाठ्यक्रम पर चर्चा किया और प्रश्न पत्र में बदलाव संबंधित अपने सुझाव प्रदान किया।
कार्यशाला का आरंभ विष्णु भगवान पब्लिक स्कूल के हिंदी डिपार्टमेंट के अध्यक्ष श्री धनंजय के द्वारा किया गया। इस अवसर पर आए हुए शिक्षकों को छह-छह समूहों में बाँटा गया और निर्धारित क्रियाकलाप दिए गएँ।
हर एक समूह ने आपस में परिचर्चा करके संबंधित सुझाव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर समूह संख्या तीन का नेतृत्व क्राइस्ट ज्योति कॉन्वेंट विद्यालय के हिंदी के प्रवक्ता अभिषेक कांत पांडेय ने किया। श्री पांडेय ने व्याकरण से पूछे जाने वाले सवालों को पारंपरिक तरीके से पूछने के तरीकों में बदलाव करने का सुझाव दिया। इसके साथ ही रचनात्मक लेखन को बढ़ावा देने के लिए लेखन खंड में संवाद लेखन से संबंधित प्रश्न हाईस्कूल की परीक्षा में पूछे जाने का सुझाव दिया। इसके साथ ही निबंध के अधिभार को 10 अंक से घटाकर 5 अंक अधिभार दिए जाने का सुझाव दिया गया। उन्होंने बताया कि लिखित परीक्षा 80 अंक का होता है लेकिन भाषा में लेखन के साथ श्रवण और वाचन का भी उतना ही महत्व है। इसके लिए 20 अंक का अतिरिक्त मूल्यांकन अधिभार में 10 अंक का श्रवण एवं वाचन से संबंधित क्रियाकलाप विद्यालय में कराया जाए और उस अंक को बोर्ड के अतिरिक्त 20 अंकों में 10 अंक अधिकार के रूप में दिया जाना चाहिए। इस बात पर सभी शिक्षकों के बीच सहमति बनी।
समूह तीन की ही दूसरी प्रतिभागी रामानुजन पब्लिक स्कूल की अध्यापिका श्रीमती शिवानी श्रीवास्तव ने हाईस्कूल के प्रश्नपत्र में अपठित गद्यांश एवं काव्यांश के प्रश्नों को बहुविकल्पी प्रश्नों में बदलने का सुझाव दिया। इस बात पर मिली-जुली सहमति बनी। समूह तीन की ही संत जोसेफ स्कूल की अध्यापिका नम्रता द्विवेदी ने पद-परिचय से संबंधित प्रश्न के मूल्यांकन में होने वाली दुविधा के निवारण के लिए इस प्रश्न को बहुविकल्पी प्रश्न के तौर पर शामिल करने की बात कही। जिससे कि सटीक मूल्यांकन हो सके।
अन्य समूह संख्या के अध्यापक वी०के० शास्त्री ने उपभोक्तावादी संस्कृति पाठ से बोर्ड की परीक्षा में प्रश्न न पूछे जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि इस पाठ से बच्चे विज्ञापन के मनोवैज्ञानिक प्रभाव से होने वाले नुकसान से जागरूक होते हैं। विज्ञापन का प्रभाव सामाजिक मूल्यों को प्रभावित करते हैं और केवल खरीदारी का संस्कार डालते हैं। ऐसे में यह पाठ हमें उपभोक्तावादी संस्कृति का हिस्सा बनने से रोकती है और हर विज्ञापन को तार्किक शक्ति से पहचानने और समझने की सीख देती है। इसलिए उन्होंने कहा कि बोर्ड की परीक्षा में इस पाठ से सवाल अवश्य पूछा जाए।
इस संदर्भ में विभिन्न शिक्षकों ने अपनी राय रखी। हिंदी अध्यापक श्री अभिषेक कांत पांडेय ने हिंदी के महत्व को व्यक्त करते हुए फादर कामिल बुल्के के जीवन पर आधारित पाठ ‘दिव्य करुणा की चमक’ की चर्चा किया। फ़ादर कामिल बुल्के ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अपने जीवन को भारत के लिए समर्पित कर दिया था। इस पाठ से हिंदी की महत्ता पर विस्तृत चर्चा किया। उन्होंने इस पाठ की महत्ता को बच्चों में किस तरह समझाया जाए और इसी तरह दूसरे पाठ के अध्यापन में भी नवाचार अपनाने पर बल दिया। सुझाए गए अध्यापन के नये तरीके पर सभी अध्यापकों में सहमति बनी।
कार्यशाला का समापन विष्णु भगवान पब्लिक स्कूल के शिक्षकों ने धन्यवाद प्रकट किया और सभी शिक्षकों ने राष्ट्रभाषा के तौर पर हिंदी को सशक्त बनाने के लिए एक दूसरे को सहयोग करने का वचन भी दिया।
इस कार्यशाला में अन्य प्रतिभागियों ने भी अपने विचार प्रमुखता से रखा।
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Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
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