प्लाट
कविताप्लाट कुछ दिन बाद यहां बन जाएंगे मकान-दुकानफिर बिकेगा ईमानजब होगी बरसाततो गंगा खोजेगी अपनी जगहनहीं मिलेगा उसका वह जमीन क्योंकि उस पर बन चुके होंगे मकानआखिर थक हार कर वह बहेगीशहरों-नालो से होकरदुकानों, मकानों मेंफिर कोसा जाएगाप्रकृति कोदिया जाएगा नामबाढ़ बाढ़ बाढ़ बाढ़़। अभिषेक कांत पांडेय