Last Updated on October 16, 2019 by Abhishek pandey
Tips बच्चों से मोबाइल की आदत कैसे छुड़ाएं
आज हम बात करेंगे बच्चों में स्मार्टफोन की लत के बारे में। आज भारतीय माता-पिता और दुनिया के अन्य देशों के माता-पिता भी बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल करने को लेकर चिंतित है। इस पूरे आर्टिकल में इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।
पहला नजरिया हमारा यह होगा कि मोबाइल का उपयोग बच्चों के लिए क्या जरूरी है?
दूसरी दृष्टि यह डालेंगे कि आखिर बच्चों में मोबाइल फोन की बुरी लत को हम कैसे छुड़वा सकते हैं।
‘इस तकनीकी युग में बिना मोबाइल के हम एक पल भी नहीं रह सकते हैं।’
मोबाइल की दुनिया है अननेचुरल
बच्चों के प्रकृति से जुड़े खेल और आस-पड़ोस से मेल-जोल, बातचीत गायब हो चुके हैं
मोबाइल फोन क्यों बन रहा है वास्तविक दुनिया का विकल्प
भारतीय संस्कृति बच्चों को बुरी आदतों से दूर रहना सिखाता है, चाहे वह मोबाइल की बुरी आदत ही क्यों न हो, कैसे? पढ़ें और जानें
आपका बच्चा कहीं गुमसुम तो नहीं है
मोबाइल एक उपयोगी वस्तु है लेकिन इसका इस्तेमाल अधिक करने से हम अपने जीवन के और चीजों से, जैसे लोगों से मिलना-जुलना, किताबों से पढ़ना-लिखना-सीखना, बागवानी करना, प्रकृति के साए में टहलना-दौड़ना -कूदना, यह सब हमारे शरीर को और दिमाग को मजबूत बनाते हैं। अगर बच्चा मोबाइल की दुनिया में ही जिए जाए तो उसका सही विकास कैसे हो पाएगा?
बच्चे को मोबाइल से कैसे दूर करें
- साइकोलॉजिस्ट भी मानते हैं कि बच्चा अपने विकास के चरण में वह अच्छी आदतों के साथ बुरी आदतों को भी सीखता है। अब प्रश्न यह उठता है कि हम शुरुआती चरण में ही बच्चों में मोबाइल के इस्तेमाल की ललक पैदा न होने दें।
- यानी कि बच्चों में उनके मानसिक विकास के लिए खेल बहुत जरूरी है। बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उन्हें पारिवारिक सदस्यों के साथ उठना बैठना बातचीत करना और इसके बाद आस-पड़ोस की जानकारी, पास के पार्क आदि में घूमना टहलना जैसी चीजों की प्राथमिकता अगर होगी तो बच्चे में मोबाइल इस्तेमाल करने की आदत का विकास नहीं होगा।
- बचपन खिलौने खेलने का समय होता है। बालक शुरू से ही जिज्ञासु यानी प्रश्न पूछने वाला उसका स्वभाव होता है। वह प्रश्न पूछेगा जब व आस पड़ोस और प्रकृति से जुड़ेगा। हम बच्चों को अपने रीति-रिवाज संस्कृति प्रकृति और आस-पड़ोस से जोड़ेंगे तो बच्चे में मोरल वैल्यू यानी नैतिक विकास भी होगा। यह नैतिक विकास उसके डिसिप्लिन यानी अनुशासन वाला बनाएगा। वह समय पर अपने सभी कामों को पूरा करेगा।
आइए, अब तक की जानकारी को फिर से एनलिसिस यानि विश्लेषण करके समझें।
याद रखिए जब तक आप समस्या की जड़ को नहीं समझेंगे, तब तक समाधान भी नहीं निकल नहीं पाएंगे। मोबाइल इस्तेमाल करने की आदत बच्चे में है तो इसे छुड़ाने का तरीका आप खुद खोजेंगे।
असल में बच्चे के जिज्ञासु मन में मोबाइल की आदत को दूर करने के लिए कोई चुटकी बजाते सुलझने वाला तरीका नहीं हो सकता है लेकिन आप धीरे—धीरे सही रणनीति बनाकर अपने बच्चे के मोबाइल देखने की आदत को पहले कम कर सकते है, फिर वह खुद ही मोबाइल को एक उपयोगी वस्तु की तरह ही इस्तेमाल करेगा। लेकिन जब अच्छी आदत का विकास बच्चे में होता है तो वे आपका हर कहना मानेंगे लेकिन आप जब डांटेंगे या उनके साथ जबरजस्ती इन आदतों को छुड़ाने की कोशिश करेंगे तो बच्चा आपके खिलाफ हो जाएगा, इसलिए समझदारी से स्टेप उठाने की जरूरत है।
शारीरिक यानी कि फिजिकल हेल्थ के लिए बच्चे के अंगों का विकास होना जरूरी है। इसके लिए उन्हें खेलना भी बहुत जरूरी है। आप अपने बच्चे के साथ सुबह शाम को पार्क में पहले और उसके साथ दौड़ लगाएं।
मेहमान अगर घर में आते हैं तो घर में एक अलग तरह की रौनक होती है। बच्चों को मेहमान के साथ बातचीत करना सिखाएं, उनका अभिवादन करना, उनके प्रश्नों के जवाब देना, यह सब एक्टिविटी बच्चों में सामाजिक होने के गुण का विकास करता है।
हर बच्चा होता है प्रतिभाशाली बस उसके हुनर को खोजने की जरूरत होती है
आप अपने बच्चे के लिए एक कुम्हार की भूमिका निभाइए है। जिस तरह से कुमार मिट्टी के बर्तनों को सही आकार देने के लिए प्यार से थपथपाता है और दुलार से उसे मनचाहा आकार देता है, ठीक उसी तरह से आप अपने बच्चे के सूचियों को भी ध्यान दीजिए और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए आप उनके साथ रहिए।
बच्चा अपनी कामयाबी की पहली तारीफ अपने माता-पिता से सुनना पसंद करता है। इसलिए अपने बच्चे की प्रतिभा को पहचानिए और बच्चे के मन से जुड़ जाइए।
बच्चों के साथ किसी नए डिश यानी व्यजंन बनाने का प्लान कीजिए। छोटे बच्चों को बताइए कि इसके लिए किन चीजों की जरूरत होगी, इससे बच्चे खुद से प्रयोग करके नई नई जानकारी सीखेंगे।
बच्चों के साथ आप थर्माकोल या वेस्टेज पेपर और घर पर पड़े पुराने सामानों से कई तरह की कलाकृतियां और आकृतियां बना सकते हैं। बच्चों को इन सभी कामों में बड़ा ही मजा आता है। इस तरह के कामों से उनकी पढ़ने में भी रुचि बढ़ती है और मोबाइल से बच्चे दूर रहते हैं। इसमें बच्चों को मजा भी आता है और वे नई चीजें बनाना सीखते हैं।
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Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
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