hindi lekhan kaushal kaise sekhen arth mahatava paribhasha कौशल का मतलब इसका अर्थ और कैसे हिंदी लिखें इन सब के बारे में पूरी जानकारी एजुकेशनल पोस्ट के जरिए दी जा रही है। लेखन से संबंधित लघु कथा लेखन, विज्ञापन लेखन, अनुच्छेद लेखन के हमारे दूसरे उपयोगी ज्ञानवर्धक पोस्ट जरूर पढ़े।
दोस्तों लेखन-कौशल का अर्थ परिभाषा लेखन के जरिए हम किस तरीके से स्वयं को प्रकट करते हैं। हमारे मन में जो विचार है जो सूचना है उसे हम लिपि प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त करते हैं। किसी भी भाषा की मौखिक यानी ओरल प्रेजेंटेशन के साथ यदि हम उसे लिख सके तो इसके लिए उसके लिपि और व्याकरण का ज्ञान होना जरूरी होता है।
इसलिए लेखन कौशल (writing skills) बहुत ही महत्वपूर्ण है। अगर आप सरकारी नौकरी के लिए प्रयास कर रहे हैं तो निश्चित ही आपको लेखन शैली में पारंगत होना जरूरी क्योंकि कई परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके अलावा निबंध लेखन, विज्ञापन लेखन, लघुकथा लेखन, अनुच्छेद लेखन, कविता लेखन, कार्यालय पत्र लेखन इत्यादि से भी रोजमर्रा के प्रश्न पूछे जाते हैं।
इस पोस्ट के जरिए हम आपको लेखन कौशल से परिचित कराने जा रहे हैं, इसे पूरा अवश्य पढ़िए।
लेखन कौशल का अर्थ एवं परिभाषा
सबसे पहले आपको बता दें कि लेखन कौशल का मतलब क्या होता है?
किसी भी भाषा को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए लिपि की जरूरत होती है। अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, अरबी, फारसी भाषाओं को लिखित रूप में लिखा जाता है। इन तरह की तमाम भाषाओं की अपनी लिपि (script) होती है।
हमारे मन में विचार, सूचना और भाव जिसे हम लिखित रूप में लिखना चाहते हैं, तो हमें लिपि और भाषा का ज्ञान होना जरूरी होता है। इसीलिए हर भाषा में लिपि की व्यवस्था होती है। इसलिए कहा जाता है कि लेखन कार्य का मतलब लिपि में लिखावट होता है।
इस तरह से हम कह सकते हैं कि लेखन लिपि प्रतीकों के जरिए विचारों तथा भाव की अभिव्यक्ति का एक बहुत बड़ा साधन है।
केवल अक्षरों से शब्दों का निर्माण करके या सुनकर लिखना लेखन-कौशल नहीं कहलाता है। लेखन का मतलब होता है जिसमें लिपि प्रतीकों को इस तरह से व्यवस्थित किया जाता है जिससे कि कोई विचार या सूचना अभिव्यक्त हो सके, सरल शब्दों में जैसे लिखे हुए को समझ में आ जाए, जैसे मान लीजिए कि कोई एक पत्रकार है। वह सूचना इकट्ठा करता है। इसके बाद उसे खबर के रूप में अभिव्यक्त करता है।
पत्रकार द्वारा लेखन-कार्य समाचार-लेखन कहलाता है। जिसे सरल भाषा में कह सकते हैं समाचार लेखन, आर्टिकल लेखन इत्यादि।
लेखन कार्य करने वाले की योग्यता
अब हम आपको बता दें कि लेखन कार्य व्यक्ति लेखन में यानी लिखने में कुशल होना चाहिए। उसे अपने विचारों और सूचनाओं को सही से अभिव्यक्त करने का तरीका मालूम होता है। वह अपनी बात को सरल सहज तरीके से स्पष्ट रूप से पैराग्राफ के माध्यम से रखता है। भाषा का ज्ञान और इसके साथ ही उसके पास होता है।
लिखने के काम के लिए आपको जानकारी होना आवश्यक है। लेखन कार्य में विश्लेषण और विचारों की सही अभिव्यक्ति करने की क्षमता आप में अच्छी होनी चाहिए। जब आप कुछ लिखते हैं तो कई बार लेखन कार्य करते हैं और उसे अपने मन अनुरूप बदलते हैं जिसे संपादन कार्य कहा जाता है इसे लेखन और अच्छा होता है और लेखक का आर्टिकल पहले से बेहतर हो जाता है। इसलिए हिंदी अंग्रेजी किसी भाषा में लिखने से पहले जानकारी कैसा अच्छे हो लेखन करने की प्रैक्टिस होना भी बहुत जरूरी है।
रॉबर्ट लाडो की माने तो किसी भी भाषा में लेखन कौशल सीखने से मतलब यह है कि लेखन व्यवस्था के परंपरागत प्रतीक चिन्ह को लिपिबद्ध करना आना चाहिए।
लेखन कौशल (Writing Skill): भाषा कौशल
अगर किसी भी छात्र को आप हो लेखन करना सिखाना चाहते हैं तो उसे लिपि का विधिवत ज्ञान कराना जरूरी होता है। लिपि के उच्चारण संबंधित एग्जाम देना बहुत आवश्यक होता है। कोई अक्षर मुंह के किस भाग से उच्चारण होता है इसकी प्रैक्टिस भी कराना बहुत जरूरी होता है।
लेखन कार्य करते समय लिपि को सही तरीके से लिखना सीखने का ज्ञान होना जरूरी है क्योंकि हर भाषा की अपनी लिपि का परंपरागत लेखन व्यवस्था होती है, जिसे जानना बहुत जरूरी होता है।
इस तरह से कहा जा सकता है कि भाषा की दूसरी विशेषताओं के अलावा यह भी जरूरी है कि कि प्रतीकों को सही तरीके से लिखने की योग्यता होना जरूरी है यही लेखन कौशल की प्रमुख विशेषता है।
बालकों को लिपि कैसे सिखाएं
लगातार लेखन का अभ्यास करना और अक्षरों की सही पहचान सीखना चाहिए।
इससे कोई भी छात्र आसानी से लिपि को समझ सकता है। इसलिए छात्रों को लेखन कार्य कराते समय उनके अंदर जागरूकता उत्पन्न करना और मातृभाषा तथा दूसरे भाषा शिक्षण माध्यम का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाता है।
लेखन कौशल का महत्व
अब हम बात करेंगे लेखन कौशल का महत्व क्या है इसके क्या लाभ है तो आपको बता दें यदि किसी बच्चे को भाषा सिखा रहे जिसे हम भाषा शिक्षण कहते हैं इसमें सबसे बड़ा महत्वपूर्ण बात लेखन कौशल भी होता है। जिस तरह से मौखिक अभिव्यक्ति भी जरूरी है वैसे ही लिखने की क्षमता भी बालक में आना जरूरी है।
भाषा का लिखित रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ज्ञान को सुरक्षित रखता है। हजारों साल पहले पत्थरों पर लिखे गए लेख आज भी हमारे लिए इतिहास से चने का स्रोत है। इसलिए लिखित सामग्री काफी दिनों तक सुरक्षित रहती है अगर वह पत्थरों या ताम पत्र पर लिखा गया है तो वह हजारों साल तक सुरक्षित रहती है और इससे हमें ज्ञान के बारे में पता चलता है, इतिहास के बारे में पता चलता है।
इसलिए पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को लेखन के जरिए विज्ञान, तकनीक, पारंपरिक रीति रिवाज, संस्कृति और धर्म आदि के ज्ञान को पहुंचाता है। हमारे पूर्वज ने अपने आदर्श, जीवन मूल्यों को शिलालेखों, किताबों के रूप में दर्ज करवाया, जिससे धीरे-धीरे आगे की पीढ़ी ने इसे ग्रहण किया फिर एक समय आया की पुस्तकों के रूप में लेखन कार्य को पीढ़ियों तक सुरक्षित रखा गया और अब तकनीक के इस युग में इंटरनेट और कंप्यूटर के जरिए कोडिंग के द्वारा भाषा के ज्ञान को आसानी से सुरक्षित रखा जा रहा है।
लेखन के लाभ
जब दो संस्कृति आपस में मिलती हैं तो भाषा का भी आदान-प्रदान होता है और इस भाषा में जो ज्ञान होता है वह एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति जन समुदाय तक पहुंचता है और यहीं से एक नई संस्कृति का जन्म होता है। इन भाषा की लेखन कौशल हर पीढ़ी को प्रभावित करती है। भाषा के लेखन से एक नई संस्कृति का भी जन्म होता है। जब एक संस्कृति दूसरे संस्कृति से मिलती है तो अपने शब्द लेखन संस्कार और ज्ञान को भी साझा करती है। जैसे आज हिंदी भाषा में अंग्रेजी के कई शब्द जैसे स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी आदि को आत्मसात किया जा चुका है इसी तरीके से पूरी दुनिया में भाषाओं का आदान प्रदान के साथ विज्ञान तकनीक का भी आदान-प्रदान हुआ है।
भाषा में लेखन कौशल एक तरह से एक समुदाय से दूसरे समुदाय के बीच विचारों के आदान-प्रदान का सबसे बड़ा माध्यम रहा है। जैसे समाचार पत्र के माध्यम से जब कोई समाचार छपता है तो लिपि के माध्यम से ही हम उस समाचार को पढ़ सकते हैं और भाषा के माध्यम से उसको समझ सकते हैं, इस तरीके से देखा जाए तो भाषा में लेखन-कौशल का बहुत बड़ा महत्व होता है।
लेखन कौशल का विकास छात्रों में
अब हम आपको बता दें कि लेखन कौशल के जरिए छात्र ज्ञान के हर क्षेत्र की जानकारी लेता है। अपनी पढ़ाई के समय वह लेखन कार्य कुशल होता है और अपने विचारों की अभिव्यक्ति लिपिबद्ध करता है। इस तरीके से उसकी योग्यता उसे ज्ञानात्मक तथा भावात्मक रूप से कुशल बनाती है।
मातृभाषा में और दूसरी भाषा में लेखन कौशल
जो भाषा हमारी मातृभाषा होती उसमें अभिव्यक्ति हमारी शानदार होती है। उसे लिपिबद्ध करने और उसके व्याकरण और शब्दों से हमें विशेष से लगाओ बचपन से ही हो जाता है जिससे हम अपनी बात को बहुत ही अच्छे तरीके से अपनी मातृभाषा में कह सकते हैं। इसके अलावा जब कोई विदेशी भाषा सीखते हैं उसमें हमारी अभिव्यक्ति इतनी अच्छी नहीं हो पाती है।
इसका सबसे बड़ा कारण है कि जब हम अपने और जमीन से जुड़े हैं तो निश्चित हमारा ज्ञान बहुत तेजी से आगे बढ़ता है।
क्योंकि मातृभाषा में हम प्रतीक चिन्हों को बेहतर तरीके से समझते हैं इसलिए जब हम उसमें कुछ सीखते हैं तो हमें ज्ञान विज्ञान बढ़िया सारी समझ में आता है। इसलिए नई शिक्षा-नीति में भी मातृभाषा में शिक्षा देने को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
मातृभाषा में जब हम लेखन करते हैं तो हमारी अभिव्यक्ति और संवेदना बहुत अच्छे स्तर की होती है जिसे अभिव्यक्त करने में हम बेहतर महसूस करते हैं। क्योंकि इसमें रचनात्मक कुशलता बहुत तेजी से बढ़ जाती है। भाषा की योग्यता आगे चलकर भाषा विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में हमारे अंदर रचनात्मक विकास को जागृत करता है।
उत्तम लेखन कौशल उत्तम साहित्य सर्जन का मूल आधार होता है। लिपि, प्रतीक और माध्यमों का इस्तेमाल कर अपने विचारों और भावों को लिखित तरीके से अभिव्यक्त करते हैं तो यह एक साहित्य का रूप लेती है। आपको बता दें कि मौखिक रूप से भी साहित्य का निर्माण होता है यानी सृजन होता है लेकिन यह बहुत ही सीमित होता है और देशकाल वातावरण से इससे साहित्य को स्थायित्व नहीं प्रदान किया जा सकता इसलिए लेखन कौशल द्वारा किसी साहित्य को लंबे समय तक स्थायित्व बनाया जा सकता है।
मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक रचना साहित्य में अपना मुकाम इसलिए बना पाई है क्योंकि वह लिखित अभिव्यक्ति के साथ ही लेखन की उस उत्तम पराकाष्ठा को छू चुकी है जो अपने समय सीमा और देशकाल को पार करते हुए किसान की दयनीय स्थिति को व्यक्त करती है, मानवीय संवेदना प्रकट करती है। इसलिए ‘गोदान’ उपन्यास जिसने भी पढ़ा है, वह इस बात को आसानी से समझ सकता है।
आपने प्राइमरी की कक्षा में हिंदी की कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है उसे जरूर पढ़ी होगी। जिसमें ‘बूढ़ी काकी’, ‘मंत्र’, ‘सुनेहली का कुआं’ इन सब की शानदार अभिव्यक्ति और साहित्य के लेखन में ऊंचे मुकाम को छुआ है। इस कारण से यह रचना कई कालखंड को लांघते हुए आज भी हमारे लिए उपयोगी है।
लेखन कौशल का बड़ा महत्व इससे नजरिया से भी है कि हर देश काल में लेखन-व्यवस्था उस देश की संस्कृति को आगे बढ़ाने वाली होती है। यानी संस्कृति का संरक्षण संवर्धन और संक्रमण भी होता है इस तरीके से देखा जाए भाषा किसी संस्कृति का सबसे बड़ा मूल आधार होता है। लेकिन भाषा में साहित्य उसे बड़ी भूमिका में होता है।
जिस संस्कृति और भाषा में लेखन-कौशल सशक्त होता है। लेखन करने वाले लेखकों की पर्याप्त कुशलता होती है, वह अपने इतिहास, संस्कृति और साहित्य को उत्तम लेखन के रूप में दर्ज करती ही चली जाती है। जो पुस्तकों के रूप में अगली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा उपहार होता है।
भाषा संस्कृति और लेखन
अब हम आपको बता दें कि किसी भी समाज की संस्कृति की जानकारी अगर चाहिए तो उस समुदाय को पढ़ना लिखना आना जरूरी है। किसी भी संस्कृति के ज्ञान को लेखक लिपिबद्ध करता है और फिर आगे की पीढ़ी को अपने विचारों भावों से रूबरू करता है। यानी अभिव्यक्ति को जब पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित किया जाता है तो निश्चित ही हम संस्कृति के आदान-प्रदान को आगे बढ़ाते हैं जिससे मानव जाति का कल्याण होता है।
हम आपको बता दें कि लेखन कौशल शिक्षण में बहुत जरूरी है। यदि हम बच्चों को लेखन कौशल सही से सिखाते हैं तो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संस्कृति, ज्ञान, विज्ञान, तकनीक आसानी से आगे बढ़ता है। आपको हम यहां बता देगी वार्तालाप यानी कि बातचीत करना या वाचन करना या बहुत आसान होता है जबकि लेखन कार्य एक जटिल कौशल होता है। यह स्पष्ट करने की वार्तालाप में भाव-भंगिमा, अनुतान-साँचे और विवृति द्वारा अधिक स्पष्ट होती है।
जबकि लेखन में लेखन की स्टाइल, भाषा की संरचना शब्द ज्ञान पर पर्याप्त अधिकार होना जरूरी होता है। इसलिए लेखन कौशल को अलग-अलग कुशलता के समन्वित रूप माना जाता है।
इसके सीखने के लिए शिक्षण-संस्था में बच्चों को नर्सरी से ही इस योग्य बनाया जाता है कि आगे चलकर वह बेहतर तरीके से स्वयं को लेखन के जरिए में अभिव्यक्त कर सकती लेखन कौशल बेहतर हो सके।