आखिर टीचर की नियुक्ति ही क्यों टीईटी मेरिट से
प्राथमिक टीचर की भर्ती टीईटी मेरिट से ही सही
सरकारी स्कूलों की हालत क्यो खराबॽ
इस समय उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालय की हालत खस्ता है। कारण साफ है यहां बुनियादी सुविधा का अभाव है। भवन बेंच टायलेट आदि नहीं है। वहीं 50 छात्रों पर एक शिक्षक तैनात है। ऐसे में बताये कोई शिक्षक अपना बेस्ट परफारमेंस कैसे दे पायेगा। पढ़ाई का स्तर जाहिर है गिरेगा ऐसे में अंग्रेजी मीडियम तमगा लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे प्राइवेट स्कूल की बाढ़ आ गई है। प्राइवेट कान्वेंट स्कूल के दावे पर गौर करें तो यहां पर अच्छी फैकल्टी ट्रेंड टीचिंग स्टाफ और आधुनिक तकनीक से शिक्षा देने की बातें कहकर लोगों को आकर्षित किया जाता है जबकि इनके दावे कहां तक सच है। यह तो अपने बच्चों दाखिला दिलाने के बाद उनके अभिभावक अच्छी तरह से जानते है।
टीईटी ने दिखाया सच
मजेदार बात यह है कि इस समय देश में अनिवार्य शिक्षा कानून चौदह साल तक के बालकों के लिये मुफ्त में शिक्षा और गूणवत्तायुक्त शिक्षा की बात कहता है। जिसके तहत प्राइमरी और उच्च प्राइमरी में टीचरों की योग्यता के लिए एक पैमाना बनाया है। यहां प्रशिक्षित शिक्षक को केन्द्र व राज्य सरकार की और से आयोजित होने वाली टीचर एबिलिटी टेस्ट उतीर्ण करना जरूरी है। इस परीक्षा में 60 प्रतिशत अंक लाने वाला अभ्यर्थी ही शिक्षक की नियुक्ति के लिए पात्र हैं। आपको सुनकार आश्चर्य होगा की केंद्र द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा अभी तक दो बार आयोजित हो चुकी है। जिसमें केवल लगभग सात प्रतिशत ही ट्रेंड टीचर उतीर्ण हुए हैं। वहीं यूपीटीईटी में जबकि पहली बार यह परीक्षा आयोजित हुई और इसमें लगभग पचास प्रतिशत ही पास हुए। वहीं विशेषज्ञ बताते हैं कि यह पात्रता परीक्षा कुछ मायनों में सरल भी था। यानी कि सीटेट की तरह नहीं। फिर भी आधे ज्यादा छात्र मानक पर खरे नहीं उतर सके और टीईटी ने दिखा दिया सचǃ
टीईटी मेरिट से मिलेंगे सुयोग्य टीचर
अब तो प्रश्न यह उठता है कि आखिर हमारी शिक्षा प्रणाली कितनी दूषित है कि हम बीएड कालेजों से अच्छे टीचर नहीं बना पा रहे है। आखिर हम केवल कालेजों में डिग्रियां ही बांट रहे हैं। जो प्रशिक्षुओं इतना काबिल नहीं बना पाते है कि वे तुरंत पढ़ाने लायक हो। अधिकत्तर शिक्षण संस्थान में नंबर की होड़ लगी है। छात्रों में गुणवत्ता का विकास करने की बजाये उन्हे अच्छे अंक लाने के लिए नकल और रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है। और इनमें से जो कुछ छात्र मेंहनत से पढ़ते है अंको के पीछे नहीं भागते बल्की सच्चे ज्ञान को सीखते है और व्यवहारिक जीवन में उसे उतारते है। ऐसे छात्र आज केवल अंको के कम होने से शिक्षण के क्षेत्र में अपना करियर बना नहीं पाते क्योंकि यहां एकेडमिक रिकार्ड को ही अधिक महत्व दिया जाता है। जबकि सच्चाई यह इनमें प्रतिभाशाली छात्र अन्य क्षेत्रों मे पलायन कर जाते इस तरह स्कूलों में अच्छे शिक्षकों का हमेशा अभाव रहता है।
टीईटी मेरिट नकेल कसेगा नकल पर
अब सवाल उठता है कि जिस तरह से हमारी अव्यवस्था है तो हमारे विद्यालय को सुयोग्य टीचर कैसे मिल पायेंगे। जहां आज केवल प्रतिशत और अंको के लिए पढ़ाई होती है जहां एकेडमिक रिकार्ड को देखकर टीचर बना दिया जाता है। ऐसे में तो नकल माफिया पास कराने और नम्बर के गणित को सुधारने के लिए अपना फायदा उठाते हैं । और शिक्षा के मन्दिर को बदनाम करते हैं। यह हालात यूपी टेईटी परीक्षा में देखने को मिलता है कि आधे से ज्यादा लोग आयोग्य है प्राइमरी टीचर बनने के लिए। जाहिर सी बात है टीईटी में जो जितना अधिक नंबर लाया है वह उतना अधिक योग्य है टीचर बनने के लिए इसीलिए टीईटी की मेरिट से ही हो टीचर की भर्ती।