Last Updated on August 12, 2020 by Abhishek pandey
सीबीएसई नए सिलेबस के अनुसार ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ पाठ का बहुविकल्पी प्रश्न
CBSE class 10 multiple choice questions new syllabus according
सन 2020 में सीबीएसई बोर्ड के परीक्षा पैटर्न में बदलाव हुआ है। जिसमें क्षितिज भाग 2 कक्षा 10 में चलने वाली सीबीएसई बोर्ड की किताब के गद्य खंड और काव्य खंड से बहुविकल्पी प्रश्न( Multiple choice CBSE) पूछा जाएगा।
पठित काव्यांश और पठित गद्यांश से बहुविकल्पी प्रश्न
सीबीएसई बोर्ड कक्षा 10 नया एग्जामिनेशन फॉर्मेट ( CBSE board new examination format)
हाईस्कूल की बोर्ड की परीक्षा में क्षितिज भाग-2 से पढ़ी गई कविता का अंश और पढ़े हुए गद्य पाठ से गद्य का अंश दे दिया जाएगा और इससे संबंधित है, 5-5 अंक का बहुविकल्पी प्रश्न पूछा जाएगा। इसी तरह से दो-दो अंक के बहुविकल्पी प्रश्न और पूछे जएँगे।
छात्रों इस श्रृंखला में मैं सूरदास व तुलसीदास पाठ का बहुविकल्पी प्रश्न आपके सामने प्रस्तुत कर चुका हूँ।
आज हम क्षितिज, भाग-2 कक्षा 10 की पुस्तक से काव्य पाठ संख्या- 5, सूर्यकांत त्रिपाठी की कविता ‘उत्साह’ और ‘अट नहीं रही है’ से बहुविकल्पीय प्रश्नों की श्रृंखला देने जा रहे हैं। इसे आप ध्यान से पढ़िए। यह परीक्षा के लिए उपयोगी है।
(न्यू ज्ञान वेबसाइट Newgyan.com) हिंदी शिक्षक अभिषेक कांत पांडेय)
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर दीजिए-(5)
बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ !
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के -से पाले,
विधुत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले !
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो –
बादल गरजो !
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन !
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो –
बादल, गरजो
छात्रों के लिए निर्देश-
प्यारे छात्रों आप ऊपर देख रहे हैं। इस तरह का 5 अंकों का पठित काव्यांश देकर आपसे परीक्षा में नए पैटर्न के अनुसार पूछा जाएगा।
सबसे पहले आप ध्यान से इस काव्यांश को पढेंगे फिर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर को ध्यान से देखकर अपने उत्तर पुस्तिका में यानी आंसर शीट में लिखेंगे।
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कवि किसे गरजने के लिए कह रहे हैं?
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काले घुंघराले बालों से
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बादलों से
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लोगों से
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प्रकृति से
2. कवि काव्य रचना करने वाले कवियों से किस तरह की कविता लिखने का आवाह्न कर रहे हैं?
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क्रांति चेतना से युक्त कविता
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सौंदर्य वाली कविता
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गुणगान करने वाली कविता
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बादलों की कविता
3. ‘घन’ का अर्थ क्या है?
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पासा
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पेड़
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नदिया
-
बादल
4. कवि आकाश में घिर आए सघन बादलों को देखकर किस तरह की कल्पना करता है?
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सुंदर रुई की कल्पना करता है।
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काले घुँघराले सुंदर बालों की कल्पना करता है।
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नदियों की कल्पना करता है।
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सभी विकल्प गलत हैं।
5. बादल किस दिशा से आ रहे हैं?
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पूरब दिशा से
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पश्चिम दिशा से
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उत्तर दिशा से
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अज्ञात दिशा से
प्रश्नों के उत्तर-
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काले घुंघराले बालों से
-
क्रांति चेतना से युक्त कविता
-
बादल
-
काले घुंघराले सुंदर बालों की कल्पना करता है।
-
अज्ञात दिशा से
2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर दीजिए-(5)
अट नहीं रही है
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद गंध पुष्प माल,
पाट-पाट शोभा श्री
पट नहीं रही है।
-
फागुन की साँस से कवि का क्या तात्पर्य है?
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फागुन का साँस लेना।
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फागुन में चलने वाली तेज और मादक हवा।
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पेड़ -पौधों का साँस लेना।
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विकल्पों में से कोई नहीं।
2. “उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो” – से कवि का क्या तात्पर्य है?
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फागुन महीने में प्रकृति की सुंदरता देखकर मन पंख फैलाकर उड़ना चाहता है।
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प्रकृति उड़ने के लिए पंख देती है।
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मनुष्य को उड़ने के लिए कहा गया है।
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कोई भी विकल्प सही नहीं है।
3. “पाट-पाट शोभा श्री, पट नहीं रही है।” का क्या मतलब है?
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प्रकृति की सुंदरता इतनी अधिक है कि वह प्रकृति में समा नहीं पा रही है।
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प्रकृति की सुंदरता दिखाई नहीं दे रही है।
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कवि प्रकृति की सुंदरता को देख नहीं पा रहा है।
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कोई भी विकल्प सही नहीं है।
4. कवि किसकी सुंदरता का वर्णन कर रहा है?
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कवि फागुन में प्रकृति की सुंदरता का वर्णन कर रहा है?
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कवि वसंत की सुंदरता का वर्णन कर रहा है।
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कवि नायिका की सुंदरता का वर्णन कर रहा है।
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कोई भी विकल्प सही नहीं है।
5. कवि ऐसा क्यों कहता है कि आँख हटाता हूँ तो हट नहीं रहा?
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कवि को प्रकृति की सुंदरता इतनी मनमोहक लग रही है कि लगातार देख ही रहा है।
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कवि चाहकर भी अपनी आँखें हटा नहीं सकता है, क्योंकि उसे प्रकृति की सुंदरता मनमोहक लग रही है।
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कवि कहीं और देखना नहीं चाहता है।
-
कोई भी विकल्प सही नहीं है।
प्रश्नों के उत्तर-
-
फागुन में चलने वाली तेज और मादक हवा।
-
फागुन महीने में प्रकृति की सुंदरता देखकर मन पंख फैलाकर उड़ना चाहता है।
-
प्रकृति की सुंदरता इतनी अधिक है कि वह प्रकृति में समा नहीं पा रही है।
-
कवि फागुन में प्रकृति की सुंदरता का वर्णन कर रहा है?
-
कवि चाहकर भी अपनी आँखें हटा नहीं सकता है, क्योंकि उसे प्रकृति की सुंदरता मनमोहक लग रही है।
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Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
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