Last Updated on May 28, 2016 by Abhishek pandey
मई की तपती गरमी में पानी की किल्लत आम बात है। वायुमंडल में आग का गोला बरस रहा है। उत्तर भारत के साथ देश के पहाड़ी क्षेत्र भी भीषण गरमी की चपेट में है। पिछले पचास सालों में पर्यावरण को जबरजस्त नुकसान पहुंचा है। आज भी हम क्रंकीट के शहर में खुद को प्रकृति से दूर करते जा रहे हैं। जंगल की आग हो या इसके बाद नदियों में उठने वाला उफान इन प्राकृतिक आपदा के हम ही जिम्मेदार है। पहाड़ों पर हमारी हद से ज्यादा बढ़ती दखलअंदाजी हमने वहां के वातावरण को भी नहीं बक्सा। मैदानी क्षेत्रों में जल की समुचित व्यवस्था की पहल करने में भी हमने कोई रुचि नहीं दिखायी। देखा जाये तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का काम इस सदी में सबसे अधिक हम ही लोगों ने किया है। वाहन से निकलता धुंआ भले सुख—सुविधा का प्रतीक हो या हमारी तरक्की को उजागर करता फैक्टरियों से निकलता धुंआ। पर पर्यावरण को बचाने के लिए हम पेड़ों को लगाने व उन्हें जिलाने की अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं।
पिछले पखवारे चीन के बीजिंग शहर और उसके आसपास के इलाके में प्रदूषण के कारण धूल भरी आंधी से पूरा शहर धूंए के बादल और धूल के चपेट में रहा है। वहां के सड़कों पर सांस लेना, मौत को दावत देने के बराबर था। आनन—फानन में वहां कि सरकार ने वाहनों को चलाने पर रोक लगा दिया ताकि प्रदूषण में कुछ कमी आये। इस समस्या को लेकर चीन परेशान है। पर्यावरण के साथ हो रहे खिलवाड़ से अनदेखा करने वाले देशों को भी आने वाले समय में यही हाल होगा। अधिक कार्बन उत्सर्जन को लेकर कई देशों ने चिंता व्यक्त की लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से बचाने के लिये कोई भी देश पूर्ण इच्छा शाक्ति के साथ सामने नहीं आ रहा है। सभी देशों को आर्थिक प्रगति के लिए कार्बन उत्सर्जन को जायज पहुंचाने की होड़ है। कौन कितना कार्बन उत्सर्जन करें, इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में बहस होता है। अब वक्त आ गया है कि धरती के खराब हो रहे स्वास्थ पर ठोस पहल की जाये। प्रकृति संसाधन का सही उसी रूप में प्रयोग करके ही हम अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। सौरउर्जा, बायोडीजल, जल से चलने वाले उर्जास्रोतों को सुगम और सस्ता बनाना होगा। मानव सभ्यता के विकास से अब तक जितना भी जीवाश्म उर्जा यानी पेट्रोल या कोयला बचा है उसका लगातार दोहन हो रहा है लेकिन इधर के सौ वर्षों में जिस तरह से हम करोड़ों बरस की प्रकृति द्वारा संरक्षित कार्बन को कुछ वर्षों में जलाकर हम धरती को कार्बनडाइआक्साइड और बढ़ते तापमान में बदल डालेंगे। तब आप कल्पना करें कि बदलों की कोख में पानी नहीं होगा, विरान संमुद्र में रेत होगा, ज्वालामुखी आग उगलते नजर आएंगे, ऐसे में हम कहां होंगे, क्या आप कल्पना कर सकते हैं।
क्या आप जानते हैं आसमान नीला क्यों दिखता है पढ़ने के लिए क्लिक करें https://prakharchetna.blogspot.com/p/blog-page_27.html?m=1
क्या आप जानते हैं आसमान नीला क्यों दिखता है पढ़ने के लिए क्लिक करें https://prakharchetna.blogspot.com/p/blog-page_27.html?m=1
Author Profile
-
Author Abhishek Pandey, (Journalist and educator) 15 year experience in writing field.
newgyan.com Blog include Career, Education, technology Hindi- English language, writing tips, new knowledge information.
Latest entries
- DayApril 24, 2024Vishva Panchayat Divas विश्व पंचायत दिवस क्यों मनाया जाता है? GK
- Hindi English words meaningsApril 9, 2024पोटेंशियल सुपर पावर का अर्थ हिंदी में और भारतीय राजनीति में इसका महत्व
- Career NewsApril 5, 2024cbse skill education : सीबीएसई स्कूलों में स्किल एजुकेशन शुरू, छात्र मेन सब्जेक्ट के साथ पढ़ सकते हैं AI
- CBSEApril 5, 2024सीबीएसई पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव 10वीं 12वीं के पाठ्यक्रम को डाउनलोड करें