chamki bhukahar hindi kavita

चमकी के बुखार एक कविता

कठिन दौर में बच्चे

बच्चे सबसे कठिन दौर में 
सबसे कठिन समय में 
चुनौतियों का सामना कर रहें
हम बस राजनीति करते
 हम बस हाथ में हाथ धरे
 किसी एक खेमे की राजनीति में चुप
बच्चे कठिन दौर में जी रहें
 घर के खिलौने  इंतजार कर रहें।

अस्पताल की बेड में पड़े बच्चे 
 खिलौने इंतजार करते 
नन्हे हाथों  के स्पर्श के लिए।
 इधर अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, बेईमानी 
एक साथ खौफ़नाक 
उफा़न में आधुनिकता का पोल खोलता
बच्चे अस्पताल में लड़ रहें
एक सैनिक की तरह।
 
सफे़दपोश आते 
चले जाते 
अनकहे जवाब इस वस्तु स्थिति पर 
फेंक जातें
टीवी से चलता पहुँचता 
चाय की दुकानों से
हर हाथों के मोबाइलों से होता हुआ
विशेषज्ञों की  सूक्ष्म क्रिकेट टेक्निक से 
पट जाता अखबार ख़बरों का अंबार
टीवी चैनलों की आवाजें
गुम हो जाती
 बच्चों के लिए,
  उनकी आवाजें।

बच्चों के लिए अस्पताल की बेड पर 
न  नाम, न जाननेवाले
उस बुखार से,
लड़ता हर परिवार 
मन में भय लिए एक कोने में
पड़ा रहता उसका हर एक सवाल?
अभिषेक कांत पांडेय
See also  Enhancing Business Position with Business Intelligence: Key Insights and Benefits

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top